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Shubhangi Sutar
अरे तुमच्या डोईवरच्या गगनाला कधी बघितलय का निरखून.... दलितांच्या डोक्यावर जे आभाळ आहे तेच आभाळ ब्राम्हणाच्या डोक्यावर देखील आहे ज्या हवेत दलीत श्वास घेतात व सोडतात देखील तीच हवा तुम्ही देखील घेता मग तुम्हाला ते चालत का?? तुमच्या घरी जे पाणी येत तेच पाणी त्यांच्या ही घरी येत मग ते बर चालत तुम्हाला.... दवाखान्यात रक्ताची गरज पडल्यावर जे रक्त मिळत ते घेताना डॉक्टराना का बर विचारत नाही तुम्ही लोक की हे रक्त कोणत्या जातीच्या माणसाच आहे.... अरे तुम्ही ज्या धरती मातेवर राहता ती सुद्धा एकच आहे मग तुम्ही लोक सगळ्यांना जाती मध्ये का विभागता का तू कोणत्या जातीचा अस विचारता.... ©Shubhangi Sutar #caste
Dhiraj Kumar
जातिगत भेदभाव झेल रहा हूँ नमस्कार मैं एक पिछडी़ जाति का बेटा बोल रहा हूँ। ईश्वरीय प्रतिमूर्ति हूँ फिर भी झेल रहा हूँ मैं पिछडी़ का बेटा बोल रहा हूँ। राम के देश में भेदभाव का दंश झेल रहा हूँ मैं पिछडी़ का बेटा बोल रहा हूँ। आशा भरी निगाहों से परिवर्तन मांग रहा हूँ नमस्कार मैं एक पिछडी़ जाति का बेटा बोल रहा हूँ।। ©Dhiraj Kumar #caste
Arun kr.
हमें लगा जाति और ये मज़हब अब भी सिर्फ गांवो तक में सिमटा हैं पर ये तो शहरों में भी धरले से पावँ पसारा हैं माना गांव के लोग अशिक्षित हैं पर शहर में तो सब ज्ञानी हैं खुद को पढ़ा लिखा कहते पर हरकतें गंवार सा करते जब तक जाति न जाने तब तक कोई नाम इन्हें अधूरा सा लगता हैं सोचो वंहा जंहा नामी विश्वविद्यालय में पढ़ रहा होता हैं और पढ़ा रहा होता हैं और उसी विश्वविद्यालय के हॉस्टल में ऊँची जाति और क्षेत्रवाद का ख़ौफ़ बना रहता हैं sc or st वालों को तो अपने ढंग से नचाना चाहता हैं इसलिए कोई यंहा रहना ही नही चाहता हैं सोचो आरक्षण न होता तो आज भी ये sc or st को अपने पावँ के नीचे का कीड़ा -मकोड़ा समझता हर मामले में ये उनके पावँ से कुचला जाता हां ये सब मे और सब जगह नही पर हां ये तो हकीकत हैं जातिवाद अब भी जीवित हैं कुछ गिने चुने नही चाहते कि ये स्थिति बदलें इन वंचितो का भी जीवन सँवरे। ©Arun kr. #caste
Abhijeet Digvijay
इंसान ऊपर वाले की एक बेहतरीन तकनीक " हम सोचते हैं की हम "राजपूत" हैं वहीं कोई सोचता मैं ब्राह्मण तो कोई कायस्थ और भी बहुत नाना प्रकार के जात पात ! अरे बेवकूफ़ तुम्हे पता नहीं की तुम्हरा "सर" जो हैं वो एक ब्राह्मण हैं, तुम्हरा हाथ क्षत्रिय, तुम्हरा पेट एक वैश्य (बनिया) हैं, और पैर एक सूद्र हैं, तो जात पात पर घमंड और छुआछूत क्यों !!! #caste
Nir's Talk
Even In Taking Our Decision "FAST," Today We Fight For The "CASTE." Even Knowing That "We Divide We Fall," Today We Fight For "The Same God..." - By N.H.Patel #caste....
#caste....
read moreshayar़vikas
God plz delete the word caste from the world because it's broked many people who love each other truly #caste
Randeep Yagyik
'जमादारी' हर एक नदी से सभ्यता ने शुरुआत बुनी हर सभ्यता में नाले की प्रवाहित धार चली नाले से दुर्गंध आती है; आती रहेगी जमादारों की बस्ती में ये दुर्गंध समाती रहेगी. नाले से दुर्गंध कम करना इस बस्ती का काम नाला अन्ततः नदी में जाता ; सो जाएगा. गंगा आदि नदियों और नालों में कोई द्वेष है ? नहीं!नहीं! नदी उतनी शुद्ध जितनी कम नाले में दुर्गंध. गंगा आदि सभी पाप धोती; जमादार नाला गंगा की पवित्रता जमादार के दूषित होने में निहित गंगा पुजती है;पुजती रहेगी, उस बस्ती में दुर्गंध बहती रहेगी. सब कहते गंगा सभ्यता तारती, मैं कहूँगा जमादार ने गंगा तारी... - 'रणदीप पुष्पवीर' ©Randeep Yagyik #caste
adi sharma
Jo caste ke nam lekar chor jate h unse jada mtlabi is duniya me koi ny hota h ....... caste
caste
read moreDr. Shukdeb Mazumder, Poet
The beauty within ------------------------------------ Shukdeb Mazumder For a long time, what do we see in front of the mirror- isn't it one kind of error? The beauty of the external appearance gives us some sense that beautiful we are- why don't we try to make us more and more fair? Thus we spend so much time and effort ahead of the looking glass- not looking into the inner beauty, and mute the sound of our sound thinking and music of the heart from which the flow of fine feelings and emotion flourishes. The eternal emotion of mankind is to be found by men, and then the promotion of the beauty within will be progressed. Our happiness, confidence and love within form the beauty within that is inner Aphrodite but the mirror reflects the outer one by whom Paris was fascinated and in the way the war of Troy started. We- all of us- must not be like Paris and the practice of considering any man only by his facial beauty should perish. The expression of inner niceness must be valued- by which the consciousness of and desire for being good within will arise in the mind of humankind in a natural way. Let the beauty within make the world beautiful. ©Dr. Shukdeb Mazumder, Poet Beauty Within by Dr. Shukdeb Mazumder
Beauty Within by Dr. Shukdeb Mazumder #Poetry
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