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Himanshu Prajapati
समझ में जब तक आता तब तक ना मैं मैं था, ना अपने अपने थे..! ©Himanshu Prajapati #Isolated समझ में जब तक आता तब तक ना मैं मैं था, ना अपने अपने थे..! #36gyan #hpstrange
#Isolated समझ में जब तक आता तब तक ना मैं मैं था, ना अपने अपने थे..! #36gyan #hpstrange
read moreseema patidar
वो नही करती ...... अब पहले सी नादानियां लगता है अब संवर गई है पर शायद वो खुद में सिमट गई है .......✍️ ©seema patidar शायद वो खुद में सिमट गई है ....✍️
शायद वो खुद में सिमट गई है ....✍️
read moretripathi
White हद से ज्यादा पागल है हम जिसके प्यार में वो मशरूफ है किसी और के इंतजार में 🥹🥹 ©tripathi #Thinking हद से ज्यादा पागल है हम जिसके प्यार में वो मशरूफ है किसी और के इंतजार में 🥹🥹
#Thinking हद से ज्यादा पागल है हम जिसके प्यार में वो मशरूफ है किसी और के इंतजार में 🥹🥹
read moreDiya
White किसी का अक़्स जो पल भर रहा आँखों में। फिर ना जाने कहां गुम हो गया यादों में। मैं ढूंढती फिरती हूं आवारा सी अपनी ही स्मृति पटल में। मुझे याद आ जाए वो अक़्स जो पल भर रहा आँखों में। जिस अक़्स को देखा था मैंने अपने ख्वाबों में। ©Diya #Sad_Status #किसी का अक़्स जो पल भर रहा आँखों में। फिर ना जाने #कहां गुम हो #गया #यादों में। मैं ढूंढती फिरती हूं आवारा सी अपनी ही #स्मृ
#Sad_Status #किसी का अक़्स जो पल भर रहा आँखों में। फिर ना जाने #कहां गुम हो #गया #यादों में। मैं ढूंढती फिरती हूं आवारा सी अपनी ही स्मृ
read moreRameshkumar Mehra Mehra
Unsplash दोनो ही मजबूर रहे.......... अपने अपने दायरे में...! एक इश्क ना कर सकी... .!! और एक इश्क भूला ना सका.....💕 ©Rameshkumar Mehra Mehra # दोनो ही मजबूर रहे,अपने अपने दायरे में,एक इश्क ना कर सकी,और एक इश्क भूला ना सका....💕
# दोनो ही मजबूर रहे,अपने अपने दायरे में,एक इश्क ना कर सकी,और एक इश्क भूला ना सका....💕
read moreहिमांशु Kulshreshtha
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वो आया था मेरी जिन्दगी में एक बहार की तरह गुज़रा मेरा वक़्त खूबसूरत ख्वाब की तरह एक दिन.. दिल में मेरे इंतिज़ार की लौ जलायी और फ़िर चला गया लौट के भी न आएगा ये भी बता गया। दिल मेरा दर्द-ओ-ग़म से हो गया बेहाल तो लगा जैसे दरिया में समंदर ही समा गया बेशक वक़्त-ए-रुख्सत वो ख़ामोश था मगर होंठों का काँपना पूरा क़िस्सा जता गया ख़बर है मुझे उसकी बेबसी की उसने ख़ुद को तो दी ही थी सज़ा मेरी जिन्दगी को भी दुश्वार कर गया जिसके साथ सजाई थी मैंने मुख्तसर सी दुनियाँ डर के फ़िर दुनियाँ की ख़ुद गर्जी से जिन्दगी मेरी बियाबान बनाई और चला गया एक ख़ामोश शिकायत लिए आज भी इंतजार करता हूँ उसी शिद्दत से जो बचे हैं चंद पल इस जिंदगी के तेरी यादों के साए में बसर करता हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha वो...
वो...
read moreAnamika Raj
White अपने वो होते हैं, जो समझते भी है और समझाते भी हैं! ©Anamika Raj अपने वो होते हैं,
अपने वो होते हैं,
read moreनवनीत ठाकुर
जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेला होने वाला। जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेला होने वाला। जो था कभी हमारी हर खुशी का हिस्सा, वो अब तन्हाई में खुद को ढूंढ़ने वाला था। जिसे कभी समझा था अपने साथ का साथी, वो अब बिन बताए, दूर जाने वाला था। हमारी आँखों में जो था हर ख्वाब पूरा, वो अब अपनी राहों में अकेला होने वाला था। मोहब्बत का जो वादा था उसने किया, वो आज उस वादे को तोड़ने वाला था। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेला होने वाला। जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेल
#नवनीतठाकुर जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेला होने वाला। जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेल
read moreF M POETRY
Unsplash कभी इधर कभी उधर आते हैं.. वो किताबों में नज़र आते हैं.. यूसुफ़ आर खान.. ©F M POETRY #वो किताबों में नज़र आते हैं...
वो किताबों में नज़र आते हैं...
read moreनवनीत ठाकुर
Unsplash लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके, ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं। शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़, वो भी बुझते-बुझते बस एक निशानी हो गईं। इश्क़ में लिखते रहे हम हज़ारों किस्से, मगर सच्चाई में वो सब बेमानी हो गईं। वो कसमें, वो वादे, वो लम्हों की गहराइयाँ, अब किताबों की तरह बंद कहानी हो गईं। जो हमने देखा था कभी चाँद की रोशनी में, वो उम्मीदें भी अब धुंधली कहानी हो गईं। जिनसे रोशन था कभी हर एक कोना-ए-दिल, वो रोशनी भी अंधेरों की मेहरबानी हो गईं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके, ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं। शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़, वो भी
#नवनीतठाकुर लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके, ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं। शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़, वो भी
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