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Rahul Ashesh
Unsplash गुमनाम सा शहर था, गुमनाम से थे हम। एक तुम मिली, और सब जाना पहचाना लगने लगा। ©Rahul Ashesh #lovelife गुमनाम सा शहर था, गुमनाम से हम थे। एक तुम मिली और सब जाना पहचाना लगने लगा। अशेष 📝 shayari love badmash shayari shayari status
#lovelife गुमनाम सा शहर था, गुमनाम से हम थे। एक तुम मिली और सब जाना पहचाना लगने लगा। अशेष 📝 shayari love badmash shayari shayari status
read moreSANIR SINGNORI
वही पल है, वही है शाम-ए-हज़ीं... आज फिर बिछड़े हम दिसम्बर में.. 🥀💯 . ©SANIR SINGNORI वही पल है वही है शाम-ए-हज़ीं आज फिर बिछड़े हम दिसम्बर में
वही पल है वही है शाम-ए-हज़ीं आज फिर बिछड़े हम दिसम्बर में
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी कैसे खिले फूल बगिया में जब खाद्यपानी माली खा जाये कली कली मसल दी यौवन की बहार जीवन मे कैसे आये उभर ना पाये योग्यता के बल पर धोखा हम सब पढ़ पढ़ कर खाये हर नॉकरी मजदूरी जैसी असुरक्षित होकर धोखा खाये सियासतों ने हाथ बाँध दिये उनसे बड़ा कोई होकर चुनौती उन्हें कोई दे ना पाये पतझड़ जैसी बंदिशें लाकर युवा कैसे फल फूल पाये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #GoodMorning धोखा हम सब पढ़ पढ़ कर खाये
#GoodMorning धोखा हम सब पढ़ पढ़ कर खाये
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White जो लगा उन्हें इश्क़ है मुझे उनसे वो, बेतरह मगरूर हो गए भूल गए वादे, इक़रार सभी बस दूर मुझ से हो गए मलाल महज इतना ही रहा माना था जिन्हें ना ख़ुदा अपना वही हम से दूर हो गए ©हिमांशु Kulshreshtha जो लगा उन्हें
जो लगा उन्हें
read moreF M POETRY
White मनाने रूठने के खेल में हम.. बिछड़ जायेंगे ये सोचा नहीं था.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #मनाने रूठने के खेल में हम.....
#मनाने रूठने के खेल में हम.....
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी ठहरे हुये जज्बात है जमा समय खर्च रहा है कातिल कोई तो है जो बहाव का रुख बदल रहा है यकीनन हम शिकार राजनीत के है मगर व्यवस्थाओ को घुन की तरह पीस रहा है अगर आबाद नही होगी आबादी तो खतरों से खेलने के लिये आमदा हर वर्ग होगा संघर्षों में तब्दील होगी बस्तियां अराजकता का माहौल होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Sad_shayri यकीनन हम शिकार राजनीति के है
#Sad_shayri यकीनन हम शिकार राजनीति के है
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी छाया है पूरा शहर,धुंध के आगोश में अफरातफरी का आलम है चेतती नही सरकारे दिल्ली आज फिर थमने के कगार पर है पाबंदिया के साये में पब्लिक है मगर प्रदूषण के बचाव में वाहनों से बसूली के फंड कहा पर है सब जिमेदारी का दामोदर पब्लिक पर है तो फिर रोल किया सरकारों का है इनकी बेतुकी हरकतो से दिल्ली आज दम तोड़ रही है बीमारियो की जद में बच्चों बुजुर्गों को ले रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Yaari दिल्ली आज फिर थमने के कगार पर है
#Yaari दिल्ली आज फिर थमने के कगार पर है
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी लतो के हुये शिकार हम टेक्नोलॉजी अंग अंग खराब कर रही है कमजोर आँखे और कान, देखने और सुनने की शक्ति कम कर रही है अतिवाद की धारणा, पंगु बनाकर छोड़ेगी जवानी की दहलीज में बुढ़ापे की तान छेड़ेगी नही चाहिये अन्धविकास टेक्नोलॉजी मानव को गुलाम बनाकर छोड़ेगी प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Sad_Status लतो के हुये शिकार हम
#Sad_Status लतो के हुये शिकार हम
read moreAK Srivastava
श्री चित्रगुप्ताय नमः ©AK Srivastava जय श्री चित्रगुप्त जी महाराज 🙏 हम सब के कर्मों का हिसाब किताब रखने वाले आपकी जय हो🙏🙏🙏
जय श्री चित्रगुप्त जी महाराज 🙏 हम सब के कर्मों का हिसाब किताब रखने वाले आपकी जय हो🙏🙏🙏
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