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Bharat Bhushan pathak
नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak #newday love poetry in hindi poetry in hindi hindi poetry on life poetry on love hindi poetry
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read moreRishi Ranjan
Unsplash " अलविदा कहना पड़ रहा.... " मेरे सभी BPSC PGT शिक्षक प्रशिक्षु आने वाला पल अब एक दास्ताँ में बदल रहा... एक पल में अर्सा गुजरने का दौर भी अब थम रहा.... आ गया वो मोड़ जिसमें अलविदा कहना पड़ रहा... क्लास और लंच वालीं कहानी होंगी खत्म... अब अलग होंगे विद्यालय एवं लेकिन मकसद होंगे केवल एक वो है अपने बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा... छह दिनों के प्रशिक्षण सब कितने जल्दी हो गए.... एक पल में अर्सा गुजरने का दौर भी अब थम रहा.... आ गया वो मोड़ जिसमें अलविदा कहना पड़ रहा है.... Bpsc शिक्षक बने हुए आए थे प्रशिक्षण ले कर जा रहे... सेमिनार हॉल के सांस्कृतिक कार्यक्रम सब कितने जल्दी हो गए... हाथ में certificate मिला और हम सभी बुनियादी रूप से भी शिक्षक हो गए.... एक पल में अर्सा गुजरने का दौर भी अब रहा.... आ गया वो मोड़ जिसमें अलविदा कहना पड़ रहा है.... मेरे दोस्तों ध्यान से देख लो कहीं कुछ छुटा ना हो... कहीं आपकी वज़ह से किसी का दिल रूठा न हो... भूलकर सब रंजिशें सब एक दूसरे से मिल लो.... क्युकी जा रहा ये वक़्त अब दुबारा आने से रहा.... दिल थाम कर आंखे पोंछ कर अलविदा कहना पड़ रहा... मेरे BPSC PGT शिक्षक ये साथ का पल अब एक दास्ताँ में बदल रहा... आ गया वो मोड़ जिसमें अलविदा कहना पड़ रहा है..... अलविदा कहना पड़ रहा.... धन्यवाद और आभार आप सबों को.... ©Rishi Ranjan #Book #poems #Life hindi poetry on life love poetry in hindi poetry in hindi poetry quotes
Bharat Bhushan pathak
White इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार। शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६ पृथ्वी अग्नि व्योम मृदा,करे सृष्टि निर्माण। तत्व एक भी लुप्त यदि,हो विध्वंश प्रमाण।।७ नाशे सभी यदि वृक्ष तो,हो जाएगा अंत। बरसेगी तब ये धरा,खोले तीखे दंत।।८ प्राणवायु भी लुप्त क्यों,सोचेंगे सब लोग। समझ नहीं पाए कभी,कैसा है ये रोग।९ हवा पानी मिट्टी अरु,करते गंदा लोग। शोर ज़ोरों से कर वो ,बढ़ा रहे हैं रोग।।१० ©Bharat Bhushan pathak #nature poetry quotes poetry poetry in hindi love poetry for her poetry on love
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read moreBharat Bhushan pathak
लगाते तुम, बहुत हो पेड़ स्टेटस में,दिखाने को। हमारे ये,धरोहर हैं,कहा था क्या ,सिखाने को।। सदा देखा,यहाँ करता,कटे जाते यहाँ पे पेड़। करो तुम बन्द जी पहले,इसे ना अब,कभी तू छेड़।। प्रकृति के ओ!सुनो पूजक,बचा लो पेड़ जो कटते। बचाओ तुम,सुनो उनको,यहाँ से जो,अजी छँटते।। ©Bharat Bhushan pathak #Nature poetry lovers poetry on love hindi poetry on life poetry poetry in hindi
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read moreAndaaz bayan
!!1857 की क्रांति!! धधक उठी चिंगारी,सैलाब स्वतंत्रता का ये पहला था । गाय सूअर की चर्बी वाले कारतूसों ने,"घी "आग में डाला था ।। तब मौत का कोई खौफ नहीं रह गया,सीने पर गोली खाने को । जब मजबूर किया,भारतीयों को,ब्रिटिश इंडिया कंपनी के अमानुषिक व्यवहारों ने।। तब हल्ला बोला स्वतंत्रता सेनानियों ने जिनकी सूची काफी लंबी थी। (प्रमुख थे बहादुर शाह जफर,मंगल पांडे,नाना साहेब,तात्या टोपे,कुंवर सिंह लक्ष्मी बाई ) राज्य हड़पने,धर्म परिवर्तन,रिवाजों से छेड़छाड़,जब रास ना भारतीयों को ये सब आया था।। यूं तो देशभक्ति की ज्वाला हर एक क्रांतिकारी के दिल में थी, छूटी जमीन किसानों से ,जमीदारों की रियासतों का विलय हुआ । ठप्प हुआ हस्तशिल्प कारीगरों का,बच्चों से गुरुकुल मदरसा छीना गया, ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन ने सबका बेड़ा गर्क किया।। चली गई ब्रिटिश सरकार के हाथ में ,सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत की। 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का ये निर्णायक परिणाम हुआ।।✍🏻 ©Andaaz bayan #1857revolt #1857War #poem #poems Hinduism poetry poetry in hindi
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read moreNitish Tiwary
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