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royal_shetkari
Unsplash नका करू गवगवा कृषीप्रधान देशाचा रोज बरबाद होतोय इथे राजा मातीचा 🌱 कागदी योजनेने आता भागायचे नाही भिकेला आलाय इथे राजा मातीचा. ©royal_shetkari #snow नका करू गवगवा कृषीप्रधान देशाचा रोज बरबाद होतोय इथे राजा मातीचा 🌱 कागदी योजनेने आता भागायचे नाही भिकेला आलाय इथे राजा मातीचा.
#snow नका करू गवगवा कृषीप्रधान देशाचा रोज बरबाद होतोय इथे राजा मातीचा 🌱 कागदी योजनेने आता भागायचे नाही भिकेला आलाय इथे राजा मातीचा.
read moreShivkumar barman
!! किसी ने बड़ी कमाल की बात कही है.....!! हम एक नया रिश्ता पैदा ही क्यों करे !! जब हमको यु बिछड़ना है तो हम झगड़ा ही क्यों करे !! अपनी उन ख़ामोशी से अदा हो रस्म- ए - दूरी मे हम बे वजह लड़ कर कोई हंगामा ही क्यो करे !! ये काफ़ी है कि हम आपका दुश्मन दुश्मन नहीं है !! तो हम वो वफ़ादारी का दावा ही क्यों करे !! कहे कलम सूर्य की तुम हमारी ही ग़ज़ल का इंतज़ार क्यो ही करे !! हम तुम्हारी उस कहानी का हिस्सा ही क्यो बने !! तुम हमारी ही तम्मना क्यों ही करोगे ? और हम तुम्हारी ही तमन्ना क्यों ही करे ? !! हमारी दुनिया की परवाह नहीं है तो हम भी दुनिया की परवाह ही क्यों करे !! ©Shivkumar barman !! किसी ने बड़ी कमाल की बात कही है.....!! हम एक नया #रिश्ता पैदा ही क्यों करे !! जब हमको यु #बिछड़ना है तो हम झगड़ा ही क्यों करे !! अपनी
!! किसी ने बड़ी कमाल की बात कही है.....!! हम एक नया रिश्ता पैदा ही क्यों करे !! जब हमको यु बिछड़ना है तो हम झगड़ा ही क्यों करे !! अपनी
read moreनवनीत ठाकुर
कभी किस्मत से न था कोई गिला हमारा, मगर ख़्वाब जो टूटे, अब थोड़ी शिकायत तो करू। दिल में एक तलब थी, पर खामोश रहे, अब दिल में तन्हाई हो, तो कुछ कहने की चाहत तो करू। ज़िंदगी के सफर में दर्द था, पर हिम्मत थी, अब वो चुप है, अब जरा सा गम तो करू । मुहब्बत की राहों में अगर दूरियाँ रहीं, तो तुझसे दूर होकर, अब कुछ शिकवे तो करू। तेरी यादें ही सही, दिल को थामे रखी हैं, मगर कभी तू पास होता, तो शिकायत क्या करु। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर कभी किस्मत से न था कोई गिला हमारा, मगर ख़्वाब जो टूटे, अब थोड़ी शिकायत तो करू। दिल में एक तलब थी, पर खामोश रहे, अब दिल में तन
#नवनीतठाकुर कभी किस्मत से न था कोई गिला हमारा, मगर ख़्वाब जो टूटे, अब थोड़ी शिकायत तो करू। दिल में एक तलब थी, पर खामोश रहे, अब दिल में तन
read moreRakesh frnds4ever
White कोई कैसे जीते जालिम जमाने से कि अपने ही लगे पड़ें हैं अपनों कि लाश गिराने में कोई कैसे जिए इन बेबस दुखी नासूर अत्याचारों से कि खूनी दरिंदे बने हुए हैं अपने ही परिवारों में """"किस्मत को मंज़ूर यही था जीती बाज़ी हार गए लड़ते रहे हम तूफानों से और वो दरया पार गए"""" ,,,,,,जब किसी की इच्छा या चाह ही नहीं है ,,, तो मैं जीतकर भी ,,,,क्या करू ,,,..!!!???!!! ©Rakesh frnds4ever #कोई #कैसे जीते #जालिम #जमाने से कि अपने ही लगे पड़ें हैं अपनों कि #लाश गिराने में कोई कैसे जिए इन बेबस दुखी #नासूर अत्याचारों से