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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# पूज्य माता कैकई #विचार

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कवि अशोक कुमार शर्मा

सुनो कैकई #Sunrise #कविता

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सुनो कैकई अगर रामजी..... वनवासी हो जायेंगे !
उजड़ जाएगी अयोध्या.. दशरथ रो रोकर मर जायेंगे !!
मान, प्रतिष्ठा, वैभव, सुख,......और प्राण भी जायेंगे !
तेरे हठ के कारण सब यश....मिट्टी मे मिल जायेंगे !!
****
तेरी करनी का फल... सारे इतिहास बतायेंगे !
सौतेली माँ के सनेह से....बच्चे अबोध घबरायेंगे !!
मर्यादा से मुक्त हुई तो.....अपयश हाँथ मे आयेंगे !
राम सिया के दुख का कारण.. सब तुझको बतलायेंगे !!
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कोमल.. कठोर इस ह्रदय को करले दोष अभी मिट जायेंगे !
दुख के बादल छाये हैं जो..... पल भर मे छट जायेंगे !!
सीता के कोमल पग कैसे... कंकड़ पर चल पायेंगे !
वनवासी गर हुए राम तो......सुख सारे खो जायेंगे !!
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©कवि अशोक कुमार शर्मा सुनो कैकई 

#Sunrise

सोमेश त्रिवेदी

****है प्राण माँगा कैकई ने**** वो मंथरा कुबजा कुटिल थी, कैसा ज्ञान माँगा कैकई ने, भरने लगी विष से हृदय को, विषपान माँगा कैकई ने... श्र

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****है प्राण माँगा कैकई ने****

वो मंथरा कुबजा कुटिल थी, 
कैसा ज्ञान माँगा कैकई ने, 
भरने लगी विष से हृदय को, 
विषपान माँगा कैकई ने... 

श्री राम को वनवास हो, 
जब वरदान माँगा कैकई ने, 
कैसे करें विश्वास दशरथ, 
है प्राण माँगा कैकई ने..
 #NojotoQuote ****है प्राण माँगा कैकई ने****

वो मंथरा कुबजा कुटिल थी, 
कैसा ज्ञान माँगा कैकई ने, 
भरने लगी विष से हृदय को, 
विषपान माँगा कैकई ने... 

श्र

सोमेश त्रिवेदी

Video ****है प्राण माँगा कैकई ने**** वो मंथरा कुबजा कुटिल थी, कैसा ज्ञान माँगा कैकई ने, भरने लगी विष से हृदय को, विषपान माँगा कै #Nojotovoice #nojotovideo

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Rashi d

माता कैकई की कहानी पार्ट 2 #heaven

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Snehi Uks

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HP

वरदान #बात

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एक बार पाँच असमर्थ और अपंग लोग इकट्ठे हुए और कहने लगे, यदि भगवान ने हमें समर्थ बनाया होता तो बहुत बड़ा परमार्थ करते। अन्धे ने कहा— यदि मेरी आँखें होतीं तो जहाँ कहीं अनुपयुक्त देखता वहीं उसे सुधारने में लग जाता। लंगड़े ने कहा— पैर होते तो दौड़-दौड़ कर भलाई के काम करता। निर्बल ने कहा— बल होता तो अत्याचारियों को मजा चखा देता। निर्धन ने कहा— धनी होता तो दीन दुखियों के लिए सब कुछ लुटा देता। मूर्ख ने कहा— विद्वान होता तो संसार में ज्ञान की गंगा बहा देता। वरदान

HP

वरदान

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👉 Vardaan वरदान

एक बार पाँच असमर्थ और अपंग लोग इकट्ठे हुए और कहने लगे, यदि भगवान ने हमें समर्थ बनाया होता तो बहुत बड़ा परमार्थ करते। अन्धे ने कहा— यदि मेरी आँखें होतीं तो जहाँ कहीं अनुपयुक्त देखता वहीं उसे सुधारने में लग जाता। लंगड़े ने कहा— पैर होते तो दौड़-दौड़ कर भलाई के काम करता। निर्बल ने कहा— बल होता तो अत्याचारियों को मजा चखा देता। निर्धन ने कहा— धनी होता तो दीन दुखियों के लिए सब कुछ लुटा देता। मूर्ख ने कहा— विद्वान होता तो संसार में ज्ञान की गंगा बहा देता।
वरुण देव उनकी बातें सुन रहे थे। उनकी सचाई को परखने के लिए उनने आशीर्वाद दिया और इन पाँचों को उनकी इच्छित स्थिति मिल गई। अन्धे ने आँखें, लंगड़े ने पैर, निर्बल ने बल, निर्धन ने धन और मूर्ख ने विद्या पाई और वे फूले न समाये। परिस्थिति बदलते ही उनके विचार भी बदल गये। अन्धा सुन्दर वस्तुएँ देखने में लगा रहता और अपनी इतने दिन की अतृप्ति बुझाता। लंगड़ा सैर-सपाटे के लिए निकल पड़ा। धनी ठाठ-बाठ जमा करने में लगा। बलवान ने दूसरों को आतंकित करना शुरू कर दिया। विद्वान ने अपनी चतुरता के बल पर जमाने को उल्लू बना दिया। बहुत दिन बाद वरुण देव उधर से लौटे और उन असमर्थों की प्रतिज्ञा निभी या नहीं, यह देखने के लिए रुक गये। पता लगाया तो वे पाँचों अपने-अपने स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए थे।
वरुण देव बहुत खिन्न हुए और अपने दिये हुए वरदान वापिस ले लिए। वे फिर जैसे के तैसे हो गये। अन्धे की आँखों का प्रकाश चला गया। लँगड़े के पैर जकड़ गये। धनी निर्धन हो गया। बलवान को निर्बलता ने जा घेरा। अब उन्हें अपनी पुरानी प्रतिज्ञायें याद आईं और पछताने लगे कि पाये हुए सुअवसर को उन्होंने इस प्रकार प्रमाद में क्यों खो दिया। समय निकल चुका था, अब पछताने से बनता भी क्या था?

📖 अखण्ड ज्योति अगस्त 1964 वरदान

Snehi Uks

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Kavita Vijaywargiya

आज मेरी वजह से एक सच्चे , भोले और ईमानदार शख्स के दिल को इतनी गहरी चोट लगी है कि उसका दर्द बयां करने ‌के लिए उसके पास शब्द तक नहीं है ।

जिसकी मुस्कान और हंसी ने मुझे हंसना और जीना सिखाया..... आज उसकी उस प्यारी हंसी को  मैंने अपने शब्दों से घायल कर‌ दिया ।

ईश्वर का वरदान किस रुप में आपके पास आये ये तो‌ ईश्वर ही जानता है , मैं बस इतना जानती हूं कि..........
❤️ " मुझे वो वरदान मिल‌ गया " ❤️
😇 #वरदान
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