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Gautam_Anand
कौन दोहराये दर्द की कहानी फिर से; आओ कि लौट जाएँ सुकून में फिर से। उधड़े हुए रिश्तों की रफ़ूगरी के लिए; कुरेदने होंगे कई ज़ख्म पुराने फिर से। फिर अपनों दरमियाँ मुस्कुराये ज़िन्दगी; समेटने होंगे खुशियों के बहाने फिर से। यकीन आहत है बहुत, चोट गहरी है सही; भूलकर तल्खियाँ होंगे कदम बढ़ाने फिर से। मिलें ऐसे कभी कि घर लगे घर कि तरह; मैं चाहता हूँ लौट आयें वो ज़माने फिर से। #अभिशप्त_वरदान #रिश्तों_की_रफ़ूगरी
Gautam_Anand
बहुत छोटी सी ख्वाहिश है जब रंजिशें किसी से हो हर रंजिशों के बाद सब फासला भुलाता मिले मैं रोज देखता हूँ नाउम्मीदी की धुंध जहान में कोई तो शाम कोई उम्मीदों की लौ जलाता मिले इसी उम्मीद से रूठता है अपने घर में कोई कि शायद उसे मोहब्बत से कोई मनाता मिले खुद में समेट लेता हूँ कुछ थकन और कई परेशानियाँ कि जब भी रोज़गार से लौटूं तो घर मुस्कुराता मिले कौन जाता यूँ ही वापस ना लौटने के लिए कभी तो कोई आवाज़ लरज़ कर बुलाता मिले #अभिशप्त_वरदान #yqdidi #घर_मुस्कुराता_मिले
Gautam_Anand
मुझको मेरे वरक़ से परखने की कोशिश ना कर मुझको आखिरी सफ़हे तलक पढ़ ले पहले बहुत जल्द मेरे बारे में नतीजे पे आ जाता है तू छोड़ दे मुझको मेरी परछाई से मिल ले पहले हाँ मेरे पैरहन में कई पैबंद लगे हैं बेशक़ मत देख मेरा जिस्म मेरी रूह से मिल ले पहले बात करने के लिए बेहतर है कि कुछ ख़ामोशी हो मुझसे कुछ कहना हो तो ज़ुबाँ को सिल ले पहले #अभिशप्त_वरदान #yqbaba #yqdidi #yqhindi #परख
Gautam_Anand
अम्मा; तुम तो धागा थी घर का, गूँथ रखे तुमने ख़ुद में, जाने कितने रिश्ते - नाते, मान - मनौव्वल हँसना - रोना, गुस्सा, प्यार भरी जज़्बातें, कैसी गिरहें बाँधी थी तुमने; जादू जैसी, जब चाहा कुछ ढीली कर दीं, जब चाहा समेट लिये सब रिश्ते, खुली रह गई जाने कैसे ये गिरहें, बिखर गये सब तिनका - तिनका, मुझको भी कुछ तो सिखला दो, जितनी कोशिश करता हूँ, गिरहें बन जाती हैं गाँठें..... #अभिशप्त_वरदान #अम्मा_तुम_तो_धागा_थी
Gautam_Anand
ज़िन्दगी की ये जद्दोज़हद किसके लिये ज़हर ख़ुद को ही पीना है शहद किसके लिये बाँध रक्खा है ख़ुद को कश्मकश की डोर से जाने क्यूँ नहीं लांघता हूँ ये हद किसके लिये उजड़े हुए आशियाँ को बसाना मुमकिन नहीं फिर ठान रक्खा है ये अहद किसके लिये टूटी हुई उम्मीदों को तसल्ली किससे मिले सोचता रहता हूँ मैं बेहद किसके लिये #अभिशप्त_वरदान #yqbaba #yqdidi #yqhindi #कश्मकश
Gautam_Anand
कड़वी है हर एक घूंट मगर पीनी ही होती है ज़िन्दगी जिस लहज़े में मिले जीनी ही होती है ये रिश्ते बिना धागों की सुई बन गई हो जैसे सिलती नहीं कुछ भी बस रूह को चुभोती है कौन बर्बादियों का इल्ज़ाम सर अपने लेता है ज़िन्दगी मेरी ख़ुद अपने फैसलों पे रोती है मैं किन रिश्तों को अपना फ़िक्रमंद कहूँ सब रिश्तों का तर्ज़ुमा अब मतलब परस्ती है वो इबादतग़ाह के मुज़रिम हैं गुनहगार हैं सारे जिनके हाथ में खंज़र होठों पे दुआ होती है #अभिशप्त_वरदान #कड़वी_सी_ज़िन्दगी #yqbaba #yqdidi
Gautam_Anand
रिश्तों के इस महाभारत में खड़ा हुआ फिर पार्थ है कृष्ण बांच रहे हैं गीता उनको रग-रग में जिनके स्वार्थ है अट्टाहास करता है दुर्योधन अपनी कपटी चालों पर किंकर्तव्यविमूढ़ पड़ा है अर्जुन, रिश्तों का यही यथार्थ है चक्रव्यूह की रचना कर दी नारायण के ही सहयोग से ढूंढ रहा है अभिमन्यु भी इस गीता का क्या भावार्थ है दुर्योधन के बने सारथी जो धर्मध्वजा के वाहक थे नैतिकता का ढोंग किये हैं अद्भुत यह पुरुषार्थ है सुई की नोक बराबर भूमि देना दुर्योधन को स्वीकार्य नहीं सत्ता शक्ति जिसने लूटी वह दुर्योधन भी निःस्वार्थ है #अभिशप्त_वरदान #yqbaba #yqdidi #yqhindi #रिश्तों_का_महाभारत
Gautam_Anand
जैसी भी लगे ज़िन्दगी कभी ज़ायका तो चखिये, आ ही जाएँगे कभी काम अपनों से राब्ता तो रखिये। जी चाहा मुस्कुरा दिए, जी चाहा लानतें भेजी, रिश्तों को निभाने का, कुछ कायदा तो रखिये। हर एक बात में ढूंढ़ते हो, नफ़ा - नुकसान रिश्तों में, कुछ नुकसान भी उठाइये, परे ख़ुद से फायदा तो रखिये। कौन जाने, कब, किस मोड़ बदल जाएगी ज़िन्दगी, मुस्कुराते हुए मन में, कुछ खुशनुमा वायदा तो रखिये। अब क्यूँ रोते हैं आप, फ़स्ल-ए-ज़हर को देखकर, जो बीज बोया था, याद उसकी इब्तिदा तो रखिये। #अभिशप्त_वरदान #एक_लापता_रिश्ता #yqdidi #yqhindinazm #yqfamily
Gautam_Anand
मैं अपने हाथ में सच लिखने का सामान लिये फिरता हूँ तेरे फ़साने को अपने लफ्ज़ में कहने का इल्ज़ाम लिये फिरता हूँ अपनी तबाही का गुनाहगार समझकर वो मुझसे राब्ता नहीं रखते कौन समझाये उन्हें मैं अपने शौक से तेरा किरदार लिये फिरता हूँ तुम्हारे सामने से नज़रों को चुराकर निकलना मेरा मैं फ़ना हो जाता हूँ जो गुनाह किया नहीं मैंने अपने सर पे उसका इश्तेहार लिये फिरता हूँ दिल सोचता है अक्सर मैं हर सच को उजागर कर दूँ लेकिन मैं अपनी रूह पर तेरे प्यार का एहसान लिये फिरता हूँ हमारे रूहे मरासिम को वो शायद कभी समझ ही नहीं पाए मैं अपनी पाक़ीज़ा मुहब्बत का ये इनाम लिये फिरता हूँ ©gautam_anand #अभिशप्त_वरदान #yqbaba #yqdidi #yqhindi #इल्ज़ाम
Gautam_Anand
दौलत मिली जहान की रिश्तों को खो दिया खुदगर्ज हो के अपनों ने अपनों को खो दिया हासिल हुआ है किसको क्या ये तो वही जाने लेकिन सभी ने अपनी मुहब्बत को खो दिया ये क्या हुआ कि दर्द में भी रोती नहीं आँखें दिल की ज़मीन में ये ज़हर किसने बो दिया ग़र नाम लूँ मैं अपनों का लरज़ते हैं लब मेरे रिश्तों के हर सफ़हे में किसने आँसू पिरो दिया #अभिशप्त_वरदान #खुदगर्ज़ #yqbaba #yqdidi #yqhindi