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Rishu singh
White अगर एक के रहते आपको किसी दूसरे से प्रेम करने की इच्छा है तो आपका प्रेम और विवाह दोनो का कोई मतलब नहीं है ©Rishu singh #Free अगर एक के रहते आपको किसी दूसरे से प्रेम करने की इच्छा है तो आपका प्रेम और विवाह दोनो का कोई मतलब नहीं है
Rishu singh
White विवाह उसी से किया जाना चाहिए जिससे प्रेम हो अगर आप किसी और से विवाह कर लेते है तो भी आपका प्रेम कभी मर नही सकता बल्कि बढ़ता है और कब आपकी सादी सुदा जीवन नस्ट कर देगी आपको पता भी नही चलेगा ©Rishu singh #Sad_Status विवाह उसी से किया जाना चाहिए जिससे प्रेम हो अगर आप किसी और से विवाह कर लेते है तो भी आपका प्रेम कभी मर नही सकता बल्कि बढ़ता
धाकड़ है हरियाणा
धाकड़ है हरियाणा
INDIA CORE NEWS
bhim ka लाडला official
harsha mishra
अभी मौन है मेरी कलम अभी शांत हैं मेरे शब्दकोष अभी एकाग्र है मेरे चित्त अभी गुमसुम हैं मेरी उंगलियां अभी चिंतनशील है मेरे मस्तिष्क पटल हां मैं मौन हुई हूं ,मृत नहीं। जल्द लौटूंगी,,,, अपने अन्नत शब्दों की पाठशाला के साथ मैं लौटूंगी अपनी काव्य दुशाला के साथ हृदय पर सुशोभित काव्य माला के साथ तीखे व्यंग्य की घनघोर हाला के साथ आलोचनाओं पर लगाती हुई ताला के साथ विभत्स शब्दों पर लगाती हुई भाला के साथ माना कि मैं हो चुकी हूं अब पुरानी मगर मेरे काव्य लौटेंगे शब्द आला के साथ। हर्षा मिश्रा शिक्षिका अर्थ:::; पाठशाला - विद्यालय दुशाला - चादर हाला - शराब भाला - एक प्रकार का हथियार आला - ताजा ©harsha mishra Kumar Shaurya प्रशांत की डायरी अब्र (Abr) Gautam #शुन्य राणा shivom upadhyay Anshu writer Banjara विवेक ठाकुर 'शाद' शब्दरत्न कवि सम्मेलन Ran
ज़ख्मी दिल
शिव जी और पार्वती जी ने एक दिन विचार किया कि अब बच्चों का विवाह करना चाहिए। कार्तिकेय स्वामी और गणेश जी से कहा कि जो इस पूरे संसार का चक्कर लगाकर पहले लौट आएगा, उसका विवाह पहले कराएंगे। कार्तिकेय स्वामी तो अपने वाहन मयूर यानी मोर पर बैठकर उड़ गए। गणेश जी का वाहन चूहा है तो उन्हें अपना दिमाग दौड़ाया। गणेश जी ने तुरंत ही माता-पिता यानी शिव-पार्वती की परिक्रमा कर ली और कहा कि मेरे तो आप दोनों ही पूरा संसार हैं। ये बात सुनकर शिव जी और पार्वती जी बहुत प्रसन्न हो गए। शिव जी ने गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दे दिया। कार्तिकेय स्वामी संसार की परिक्रमा करके आए तो उन्हें थोड़ा ज्यादा समय लग गया। वापस लौटकर कार्तिकेय स्वामी ने देखा कि गणेश का विवाह हो गया है। पूरी बात मालूम हुई तो कार्तिकेय स्वामी नाराज हो गए। नाराज होकर कार्तिकेय स्वामी क्रोंच पर्वत पर चले गए। ये क्रोंच पर्वत आज दक्षिण भारत में कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर है। इसे श्रीपर्वत भी कहते हैं। माता-पिता ने कार्तिकेय स्वामी को मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन कार्तिकेय का गुस्सा खत्म नहीं हुआ। जब बहुत कोशिशों के बाद भी शिव-पार्वती कार्तिकेय स्वामी को मना नहीं पाए तो उन्होंने तय किया कि अब से वे हर माह की अमावस्या पर शिव जी और पूर्णिमा पर पार्वती जी कार्तिकेय से मिलने क्रोंच पर्वत पर जाएंगी। इसलिए श्रीपर्वत के मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में शिव जी और पार्वती जी, इन दोनों की ज्योतियां हैं। मल्लिका यानी पार्वती और अर्जुन यानी शिव जी। इस कहानी का संदेश यह है कि माता-पिता अपनी नाराज संतान को मनाने के लिए पूरी कोशिश करते हैं। बच्चों को भी अपने माता-पिता की भावना का ध्यान रखना चाहिए। बच्चे अलग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते हैं तो माता-पिता को ही उन्हें थोड़ा प्रेम से समझाना चाहिए। ©Kumar Vinod गणेश का विवाह हो