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Sarfaraj idrishi
Night sms quotes messages in hindi सुनो हीरों को परखना है तो अंधेरे का इंतज़ार करें धूप मे तो कांच के टुकड़े भी चमकते हैं ©Sarfaraj idrishi हीरों को परखना है तो अंधेरे का इंतज़ार करें धूप मे तो कांच के टुकड़े भी चमकते हैं Islam Sarfraz Ahmad udass Afzal khan Sethi Ji बाबा ब्रा
हीरों को परखना है तो अंधेरे का इंतज़ार करें धूप मे तो कांच के टुकड़े भी चमकते हैं Islam Sarfraz Ahmad udass Afzal khan Sethi Ji बाबा ब्रा
read moreChaurasiya4386
Unsplash दिसंबर की सर्द शाम ... इस साल का ख़त्म होना ... और तुम्हारा आना सच कहें तो जाड़ों के मौसम में धूप का आना सा लगा… मेरी शायरी में... तुम थे, तुम हो, तुम ही रहोगे ...❤️💔 ©Chaurasiya4386 #दिसंबर की #सर्द शाम, इस साल का ख़त्म होना और #तुम्हारा आना सच कहें तो #जाड़ों के #मौसम में #धूप का आना सा लगा… मेरी #शायरी में.
दिसंबर की सर्द शाम, इस साल का ख़त्म होना और तुम्हारा आना सच कहें तो जाड़ों के मौसम में धूप का आना सा लगा… मेरी शायरी में.
read moreBanarasi..
Unsplash गर तू मेरी जमीं होती तो आसमां मैं तेरा होता। जहां जहां तेरे पैर ठहरते वो चमन गुलिस्तां होता। सूरज की तपिश मुझसे होके सुनहरी धूप का आशियां होता। गर तू मेरी जमीं होती तो आसमां मैं तेरा होता। ©Banarasi.. #lovelife गर तू मेरी जमीं होती तो आसमां मैं तेरा होता। जहां जहां तेरे पैर ठहरते वो चमन गुलिस्तां होता। सूरज की तपिश मुझसे होके सुनहरी धूप क
#lovelife गर तू मेरी जमीं होती तो आसमां मैं तेरा होता। जहां जहां तेरे पैर ठहरते वो चमन गुलिस्तां होता। सूरज की तपिश मुझसे होके सुनहरी धूप क
read moreKalpana Srivastava
वो शीत की खिली सुनहरी धूप किरणों की गर्मी जो देती है सबको सुकून करते हैं सब रोज इसका इंतजार न दिखे सर्दियों में तो हो जाए हाल बेहाल.. ©Kalpana Srivastava #धूप
Arjun Singh Rathoud #Gwalior City
शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की चहचहाट थमी। आकाश रंग बदलता, शाम आई, मन को भाती। * संध्या का समय: आज का दिन हुआ समाप्त, तारे निकले, चाँद आया। हवा चलती, शीतल लगती, मन शांत, आनंद भरा। * शाम की यादें: बचपन की शामें याद आतीं, दोस्तों संग खेलते थे। खेतों में दौड़ते फिरते, खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍 ©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की
शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की
read moreAzaad Pooran Singh Rajawat
White "सुबह की सुनहरी धूप रेत को सुनहरी बना रही है सुबह की सुनहरी धूप प्रकृति का आलस्य भगा रही है सुबह की सुनहरी धूप खिलेगी वहीं पर जहां पर्यावरण शुद्ध होगा पराली का धुआं उड़ रहा है जहां वाहनों का कार्बन उड़ रहा है जहां सुबह की सुनहरी धूप ने भी कोहरे का घूंघट ओढ़ रखा है वहां।" "पर्यावरण शुद्ध रखिए सुबह की सुनहरी धूप का आनंद लीजिए।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #sad_quotes #सुबह की सुनहरी धूप#
#sad_quotes #सुबह की सुनहरी धूप#
read moreRakesh frnds4ever
White बर्फ बनकर जी रहे हैं हम इस मोम से जलते पिघलते कखोल में जूझ रहें हैं अकेले ही इस अंधकार, धुएं से धुंधलेपन में धूप होना लग रहा है मुश्किल झुलस सिकुड़ रहें हैं आत्मा से नरकीय माहौल में ©Rakesh frnds4ever #बर्फ बनकर जी रहे हैं #हम इस #मोम से जलते #पिघलते कखोल में जूझ रहें हैं अकेले ही इस #अंधकार , धुएं से धुंधलेपन में
shaanvi
White आज देखे हैं मैंने रिश्तों के बेनकाब होते मुखोटे जो कहते रहे कि हम साथ हैं पर सालों से कोई साथ ना दिया, दिया तो अकेलापन मायूसी उदासियां, वक्त अकेला गवाह रहा रिश्तों की चिंदियां उड़ा चले गए अपनापन और मां-बाप के प्यार परवरिश को लंबी गाड़ी में बैठ धुआं बना के उड़ा गए। ©shaanvi #जिंदगी की धूप ✍️
#जिंदगी की धूप ✍️
read moregudiya
White वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती पत्थर कोई ना छायादार पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ; श्याम तन, भर बंधा यौवन, नत नयन ,प्रिय- कर्म -रत मन, गुरु हथोड़ा हाथ , करती बार-बार प्रहार ;- सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार । चढ़ रही थी धूप; गर्मियों के दिन दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू रूई - ज्यों जलती हुई भू गर्द चिनगी छा गई, प्राय: हुई दुपहर :- वह तोड़ती पत्थर ! देखे देखा मुझे तो एक बार उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार; देखकर कोई नहीं, देखा मुझे इस दृष्टि से जो मार खा गई रोई नहीं, सजा सहज सीतार , सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार; एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर, ढोलक माथे से गिरे सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा - मैं तोड़ती पत्थर 'मैं तोड़ती पत्थर।' - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ©gudiya #love_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प
#love_shayari nojotophoto #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प
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