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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
प्रधानमंत्री की कुर्सी कोई आये ऐसा बब्बर,जो मान मेरा रख सके,ऱाजनीति की झंझावतों में,वह सम्मान वैसा ही रख सके,,,, कुर्सी ,कुर्सी रेस की तरह है,,,,,,,
Priyanka Sharma
पी.एम्. की कुर्सी पे मोदी का नाम लिखूं ? अब आप ही बता दो मैं इस जलती कलम से क्या लिखूं” ©Kajal Kajal Singh पी.एम्. की कुर्सी पे मोदी का नाम लिखूं #Flower
Twinkle Mishra
बच्चे पढ़ लिख कर बहुत बड़ा आदमी बन जाए मां बाप के इस बात पर इतराने से ज्यादा जरूरी है कि बच्चा एक अच्छा आदमी बन जाए इस बात पर गर्व करे😊🙏🏻 ©Twinkle Mishra हमने बहुत बड़ी कुर्सी पर बैठे बहुत से अफसरों को अपने मां-बाप की बद्दुआ लेते देखा है 🙄
#maxicandragon
आन मोदी शान मोदी देश की है जान मोदी बैठे हैं जयचंद बहुत उनकी अंतिम सांस मोदी शब्द मोदी वाक्य मोदी हिन्द अखंड चाणक्य मोदी आस मोदी खास मोदी देश का विश्वास मोदी ढाल मोदी धार मोदी दुश्मनों पर प्रहार मोदी सांस मोदी प्राण मोदी नव युग निर्माण मोदी हर हर मोदी घर घर मोदी दिन के आठों प्रहर है मोदी आशा मोदी भाषा मोदी युवाओं की परिभाषा मोदी द्रढ है मोदी सख्त मोदी राष्ट्रवादी देशभक्त मोदी #मोदी #Modi #kavita #Sadharanmanushya ©#maxicandragon आन मोदी शान मोदी देश की है जान मोदी बैठे हैं जयचंद बहुत उनकी अंतिम सांस मोदी शब्द मोदी वाक्य मोदी हिन्द अखंड चाणक्य मोदी आस मोदी खास मोदी
Nilesh kushwaha
प्रधानमंत्री की कुर्सी ईन दिनों प्रधान सेवक की कुर्सी ये सोच रही है, मेरे कंधों पर बैठने वाले गरीबों को नोच रही है, असली हकदार किसी पीढ़े पर ही रह जाता है..2 ये कौम चुनाव भर ही उसके आँशु पोछ रही है। #NojotoQuote #प्रधान की कुर्सी सोच रही है
Akshay Pratap Singh
Subant Kumar dangi(Poet, Writer)
इधर भी कुर्सी उधर भी कुर्सी जिधर भी देखो उधर है कुर्सी कुर्सी है खाली भरी है कुर्सी चारों तरफ ही लगी है कुर्सी कोई बैठा सो रहा है ताना बाना बो रहा है किसको कुछ पता नहीं न जाने क्या हो रहा है मटरगश्ती कुर्सी पर जम के मस्ती कुर्सी पर आता गस्ती कुर्सी पर डूबती कस्ती कुर्सी पर प्याला आता कुर्सी पर खाना आता कुर्सी पर मेज के अंदर पीना है सेज के अंदर सोना है ये कैसा कैसा तोड़ है टेबल कुर्सी का जोड़ है पीठ पर बोझ ढो रहा है पर खाली पेट सो रहा है सुनने वाला कोई नहीं है सुबक सुबक के रो रहा है कुर्सी लगी है गोल गोल घुमते रहना गोल गोल जैसे धरती घूमती है फिर वहीं मिलती है #कुर्सी की टूटी टाँग कविता है उट्पटांग