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Kulbhushan Arora
प्रश्न पूछो स्वयं से प्रश्न करो स्वयं से देश के लिए क्या किया हमने? किसी देश की प्रगति शाशन से अधिक नागरिकों के अधीन है..... सवाल उठता है "देश ने हमारे लिए क्या किया" वरन इसके कि "हमनें देश के लिए क्या किया"
Farukh Maniyar
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सरसी छन्द :- गीत ये बेटे वीर बहादुर के , भारत की संतान । करके जिसको नमन यहां पर , उठता हर इंसान ।। ये बेटे बीर बहादुर के .... आओ तुमको आज दिखाऊँ , भारत की तस्वीर । इसमे सब इंसान बसे हैं , देव बने रघुवीर ।। यहाँ किसी की जाति नहीं है ,एक धर्म इंसान । फिर भी लोग लड़ाते इनको , कहकर अब हैवान ।। ये बेटे वीर बहादुर के..... आजादी में रक्त बहाये , भाई चार जवान । देश हुआ आजाद हमारा , मिली एक पहचान ।। गूँज उठा जयकारो से फिर , पूरा हिंदुस्तान । फिर भी लोभ हुआ ना कम , बेंच रहें ईमान ।। ये बेटे वीर बहादुर के ..... आज सरहदों के बाहर भी , भारत माँ का नाम । इक दहाड़ में दुश्मन कापें , कहता जय श्री राम ।। सुनकर प्रभु का नाम यहां तो , देता सीना तान । मत पूछो इस भारत माँ पे , कितना है अभिमान ।। ये बेटे वीर बहादुर के .... देखो अपना आज तिरंगा , छूता आसमान । लेकिन दुख है इसका मुझको , डूबा आज किसान । नेता बाँध रहे हैं गठरी , मीठी किए जुबान । शाशन और प्रलोभन तो बस , अब है एक दुकान । ये बेटे वीर बहादुर के ..... हम बेटे वीर बहादुर के , भारत की संतान । करके जिसको नमन यहाँ पर , उठता हर इंसान ।। ०५/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *🙏🌹सुप्रभात🌹🙏* सरसी छन्द :- गीत ये बेटे वीर बहादुर के , भारत की संतान । करके जिसको नमन यहां पर , उठता हर इंसान ।। ये बेटे बीर बहादुर के .
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत वह चीख उठी तो देख लिया , फिर देख उसे मुँह फेर लिया । एक-एक कर देखा सबने , फिर देख उसे मुँह फेर लिया ।। वह चीख उठी तो देख लिया .... वह अबला थी बेचारी थी , भारत की बेटी प्यारी थी । दुर्भाग्य कहूँ क्या मैं उसको , जो किस्मत की वह मारे थी ।। जिस निर्धन की बेटी को , उस वहशी ने अब घेर लिया । वह चीख उठी तो देख लिया .... इन अय्याशो ने फैशन से , परिधान हमारा बदल दिया । संस्कार हमारी थी पूजी , दौलत के बल से लूट लिया ।। क्यों चुप आज समाज हमारा , क्यों इनको बनने शेर दिया। वह चीख उठी तो देख लिया ... चुप है सेवक चुप है जनता , क्या मैं इसका मतलब समझूँ । आज बचाओ बेटी को तुम ,क्या मैं बस उदबोधन समझूँ ।। दौलत के आगे शाशन को , उसने तो अपने पैर लिया ।। वह चीख उठी तो देख लिया .... न्यायपालिका के हम सुनते , थे कितने ही रखवाले है । लेकिन दौलत पर चलने से , अब आए उनमें छाले है ।। उजले भारत की हमने अब , धुधंली तस्वीर हेर लिया । वह चीख उठी तो देख लिया ..... वह चीख उठी तो देख लिया , फिर देख उसे मुँह फेर लिया । एक-एक कर देखा सबने , फिर देख उसे मुँह फेर लिया ।। ०६/०६/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत वह चीख उठी तो देख लिया , फिर देख उसे मुँह फेर लिया । एक-एक कर देखा सबने , फिर देख उसे मुँह फेर लिया ।। वह चीख उठी तो देख लिया .... वह
devraj deepak
Ravendra
Avinash Jha
हे केशव, मैं अभागन तेरे दर्शन की अभिलाषी, मूक बने थे जब सभी सभागण तूने ही तो बच्चे थी मेरे काया की साड़ी, उधड़ा पड़ा था जब भी मेरा बदन तभी पड़े