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Gautam Yadav
"ठिठुरता हुआ गणतंत्र" जनता– नेताजी यह समाजवाद कब आएगी? नेताजी –समाजवाद कोई मामूली चीज थोड़े ही हैं, जो यूं ही आ जाएगा। बड़ी चीज के आने में देर होती ही है। इसके लिए धैर्य रखना पड़ेगा। 👉समाजवाद प्रतिवर्ष दिल्ली से चलता है लेकिन राज्यों की राजधानी पहुंचते-पहुंचते उसका एक चौथाई भाग हड़प हो जाता है। फिर जिला मुख्यालय तक आते-आते वह आधा हो जाता है। प्रखंड तक आते-आते वह चौथाई भर बच जाता है। फिर बड़ा बाबू और उसके बाद छोटा बाबू इत्यादि की टेबल ओं तक पहुंचते-पहुंचते, घूमते– घामते इतना व्यस्त रह जाता है कि पुनः दूसरा गणतंत्र दिवस आ जाता है। और समाजवाद जहां का तहां रह जाता है। 😰😰😰 "ठिठुरता हुआ गणतंत्र" हिंदी साहित्य के विख्यात निबंधकार "हरिशंकर परसाई जी के द्वारा"
Aditya Agnihotri
shiv shankar
कवि हरिशंकर परसाई जी का चित्रांकन मेंरे द्वारा बनाया उनके जन्मदिन पर उनकी याद में।
एक इबादत
'जनता जब आर्थिक न्याय की मांग करती है, तब उसे किसी दूसरी चीज़ में उलझा देना चाहिए, नहीं तो वह खतरनाक हो जाती है. जनता कहती है हमारी मांग है, मंहगाई बंद हो, मुनाफाखोरी बंद हो, वेतन बढ़े, शोषण बंद हो, तब हम उससे कहते हैं कि नहीं, तुम्हारी बुनियादी मांग गोरक्षा है. बच्चा, आर्थिक क्रांति की तरफ बढ़ती जनता को हम रास्ते में ही गाय के खूँटे से बांध देते हैं. यह आंदोलन जनता को उलझाए रखने के लिए है......' (श्री हरिशंकर परसाई जी) हिन्दी लेखन जगत में व्यंग्य की विधा को सर्वोच्चता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले महान प्रसिध्द व्यंग्यकार-लेखक माननीय श्री
Er. Nishant Saxena "Aahaan"
Er. Nishant Saxena "Aahaan"