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अमित कुमार
White हम हैरान हुए थे गुलों से सजी विरासत देखकर और पल में दीवाने हो गये उनकी नजाकत देखकर। खता हुई मुझसे जो उनके सिरत को ना समझ पाया पल में लूट गयी वो मेरा जहान मेरी सराफत देखकर।। ©अमित कुमार सराफत देखकर
Ankur tiwari
White दिवाना उसने कर दिया एक बार देखकर हम कुछ भी कर सके ना लगातार देखकर उस हसीं का कायल जमाना हुआ पड़ा था हम अपनी हसी रोक ना पाए उसे बार बार देखकर @अंकुर तिवारी अंजान ©Ankur tiwari #emotional_sad_shayari दिवाना उसने कर दिया एक बार देखकर हम कुछ भी कर सके ना लगातार देखकर उस हसीं का कायल जमाना हुआ पड़ा था हम अपनी हसी र
i_m_charlie...
White अभी भी कुछ चीज़े ऐसी सामने आ जाती है जिसे देखकर मुझे ऐसा महसूस होता है जैसे में उसकी तरफ खींचा चला जाता हूं, वो चीज़े मेरे लिए बोहोत खास होती है क्यूंकि वो मेरे साथ मेरे बचपन से जुड़ी हुई होती है, फिर चाहे उस पल को मैंने जिया हो या फिर सिर्फ मेरे खयाल हो। ©i_m_charlie... #lonely_quotes ऐसी चीजे देखकर में खयालों में खो जाता हूं।
Abhi Rajput
White प्यार तो बेरोजगारी में होता है नौकरी देखकर तो शादी होती है । ©Abhi Rajput प्यार तो देखकर #Trading #Love
Vikas sharma
White पतझड़ में भी खिल रहे गुल.देख क्यूँ हो रही है हैरानियाँ सफ़र तो खत्म हुआ..रास्तों में फिर क्यूँ ,चमक रही है निशानियाँ सबक था जो पढ़ा नही,वक़्त है कि अब रहा नही रह रह कर याद आती है, बचपन की वो कहानियाँ क्या कुछ सहा नही,क्या कुछ है जो सुना नही ये जीवन रणभूमि है. जानता है फिर क्यूँ ,कर रहा नादानियाँ धन-दौलत,साजो-सामान सब बसते है घर मे अंदर जाने क्यूँ घर कर रही है ये वीरानियाँ लहरों का शोर जब बढ़ जाता है हद से किनारें अक्सर ख़ुद ही चुन लेते है खामोशियाँ ऊँचे दामों में बिक जाते है हवेली के जेवर ग़रीब के सोने में तो होती है ढेर सारी खामियाँ फुर्सत से मिलूँगा इक दिन तुझसे ऐ ज़िन्दगी जब पीछे छूट रहीं होंगी..महफिलें..बजती हुई शहनाईयाँ @विकास ©Vikas sharma #nightthoughts बजती शहनाई
Diksha Yadav
जीवन में बस इतना पैसा कामना हैं, की लोग व्यवहार देखकर नहीं, औकात देखकर अहमियत दे। ©Diksha Yadav पैसा देखकर ही लोग इज्ज़त करते हैं। Readme @Ankahiawaaz#dikshayadav#
Shashi Bhushan Mishra
Meri Mati Mera Desh ठहरा हूँ सैलाब देखकर, दरिया का फैलाव देखकर, रंजिश इतनी रखता है वो, लगा भीड़ में ताव देखकर, बँटवारे का खेल खेलता, बुरा लगा अलगाव देखकर, गौरव गाथा के परिसर में, फक्र हुआ मेहराब देखकर, दाल नहीं गल पाया शायद, लगा यही बिखराव देखकर, असमंजस में बैठी जनता, डरते लोग तनाव देखकर, सच की नाव चलाए सेवक, बैठ शज़र की छाँव देखकर, मंज़िल अभी दूर है 'गुंजन', चलो न बाबू ख़्वाब देखकर, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #ठहरा हूँ सैलाब देखकर#
Mukesh Poonia
किसी का धन देखकर नहीं... उसका मन देखकर उससे जुड़े... = ©Mukesh Poonia #UskeHaath किसी का #धन #देखकर नहीं... उसका #मन देखकर उससे #जुड़े...
Pintu
💕सूरत देखकर नहीं सीरत देखकर हमसफ़र ढूढ़ना बुढ़ापे में अच्छे चहरे नहीं अच्छे शहारे काम आते हैं 🥰😘😍 ©Pintu #raindrops 💕सूरत देखकर नहीं सीरत देखकर हमसफ़र ढूढ़ना बुढ़ापे में अच्छे चहरे नहीं अच्छे शहारे काम आते हैं 🥰