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theABHAYSINGH_BIPIN
White टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो पुरानी कितनी प्यारी थी, जहां हफ्तों रुकता था हर मेहमान। भाईचारे की भावना एक हस्ती थी, अब भाई को नहीं मिलता सम्मान। अब किराए का शहर छोड़कर, उसी गांव में फिर से बस रहा इंसान। खो दिया है सबका अपमान कर, अब गैरों में ढूंढता है सम्मान। ये कैसा दौर चला है कलयुग का, देखकर भी कुछ न सीखता है इंसान। मुकर जाता है एक मदद के नाम से, अभय से ना रखता है जान-पहचान। ©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_qoute टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो
#sad_qoute टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो
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किस कदर बेखबर है वो मुझसे, एक साया है मगर साथ कब से। ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ, जाने कहाँ खो गई है वो हमसे। अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस्कान, खिला नहीं कोई गुलाब भी कब से। सवालों का पिटारा है मेरे दिल में, पर पूछने की इजाजत नहीं उससे। नज़रों से सवाल कर जाती है, अब नज़र मिलती नहीं मेरी उससे। देखकर मेरे बगल से गुजर जाती है, सोचता हूँ, सजा दूँ बालों में गजरे। कैसी बेताबी है, उसे क्या ख़बर, देख ले इश्क़, जो मिल जाए नज़रे। किस कदर सब्र का चोला पहना, इसी हाल में जी रहा 'अभय' कब से। ©theABHAYSINGH_BIPIN किस कदर बेखबर है वो मुझसे, एक साया है मगर साथ कब से। ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ, जाने कहाँ खो गई है वो हमसे। अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस
किस कदर बेखबर है वो मुझसे, एक साया है मगर साथ कब से। ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ, जाने कहाँ खो गई है वो हमसे। अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस
read moreShubham akkeyji
White जिंदगी में सबसे बड़ा Challeng उसी काम को करने में आता है, जिसे देखकर लोग कहते हैं... यह तुम्हारे बस का नहीं है... ©Shubham akkeyji #love_shayari जिंदगी में सबसे बड़ा Challeng उसी काम को करने में आता है, जिसे देखकर लोग कहते हैं... यह तुम्हारे बस का नहीं है...
#love_shayari जिंदगी में सबसे बड़ा Challeng उसी काम को करने में आता है, जिसे देखकर लोग कहते हैं... यह तुम्हारे बस का नहीं है...
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी दायरे में हम सब, गब्बर सिंह टैक्स के आ रहे है एक ही तरह की चीज पर कई दर जीएसटी की लगा रहे है खूब निकाला है लूट का फंडा इस्तेमाल का तरीका देखकर लोगो की निजी जिंदगी में झांक रहे है गरीबो का पोपकोर्न मेला ठेला का शौक अठारह परसेंट लगा कर सता रहै है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #quotation इस्तेमाल का तरीका देखकर,टैक्ट लगा रहे है
#quotation इस्तेमाल का तरीका देखकर,टैक्ट लगा रहे है
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Unsplash हा, मैं यूंहीं नहीं हूं ख्यालों में उसके, कभी-कभी खुद से भी मैं बातें करता हूं। सोचता हूं अक्सर, प्यार से भरी बातें उसकी, अक्सर सोचकर, उसे मैं मुस्कुराता हूं। बावली है थोड़ी, और चंचल सी यादें हैं उसकी, कभी-कभी दिन के ख्वाबों में मैं खो जाता हूं। मनमुग्ध सी मुस्कुराहट है होठों पर उसके, मैं अक्सर गहरी काली आंखों में डूब जाता हूं। होठों के तिल, खूबसूरती में चांद लगाते हैं उसके, देखकर अक्सर उसे, खुशी से झूम सा जाता हूं। खूबसूरत और प्यारे एहसासों से भरी है वो, मैं उसकी गहरी बातों में अक्सर खो जाता हूं। ©theABHAYSINGH_BIPIN #lovelife #Ga #Hain #sayari #ishq #Love हा, मैं यूंहीं नहीं हूं ख्यालों में उसके, कभी-कभी खुद से भी मैं बातें करता हूं। सोचता हूं अक्सर, प
Anjali Singhal
छात्र जीवन ✍️ #AnjaliSinghal #Poetry shayari #shayaristatus #status #statusvideo nojoto "बच्चों को करते देखकर अध्ययन, याद आ जाता है मु
read moreAnjali Singhal
"ज़िन्दगी के सारे सपने, आँखों में अपनी संजोता है; खुशियों का आशियाना, हर पल वो बुनता है। बच्चों को खिलखिलाता देखकर, चेहरा उसका खिलता है; गमो
read moreनवनीत ठाकुर
White लफ़्ज़ कम हों, पर एहसास गहरा देना, मुलाकात को यादों का चेहरा देना। उसकी हंसी में जन्नत का नूर दिखे, उसे देखकर, हर ग़म को किनारा देना। ©नवनीत ठाकुर #लफ़्ज़ कम हों, पर एहसास गहरा देना, मुलाकात को यादों का चेहरा देना। उसकी हंसी में जन्नत का नूर दिखे, उसे देखकर, हर ग़म को किनारा देना।
#लफ़्ज़ कम हों, पर एहसास गहरा देना, मुलाकात को यादों का चेहरा देना। उसकी हंसी में जन्नत का नूर दिखे, उसे देखकर, हर ग़म को किनारा देना।
read moreMohammad Ibraheem Sultan Mirza
अब्दुल मज़हब देखकर खाना नहीं खिलाता 💯 ❤️❤️ मुहम्मद ﷺ ने फरमाया: भूखे इंसान को पेट भर के खाना खिलाना या उसकी किसी ज़रूरत को पूरा करना, अल्लाह
read moregudiya
White वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती पत्थर कोई ना छायादार पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ; श्याम तन, भर बंधा यौवन, नत नयन ,प्रिय- कर्म -रत मन, गुरु हथोड़ा हाथ , करती बार-बार प्रहार ;- सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार । चढ़ रही थी धूप; गर्मियों के दिन दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू रूई - ज्यों जलती हुई भू गर्द चिनगी छा गई, प्राय: हुई दुपहर :- वह तोड़ती पत्थर ! देखे देखा मुझे तो एक बार उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार; देखकर कोई नहीं, देखा मुझे इस दृष्टि से जो मार खा गई रोई नहीं, सजा सहज सीतार , सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार; एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर, ढोलक माथे से गिरे सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा - मैं तोड़ती पत्थर 'मैं तोड़ती पत्थर।' - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ©gudiya #love_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प
#love_shayari nojotophoto #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प
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