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Shaarang Deepak
Shaarang Deepak
Shree krishna Diary
त्वमेव माता पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वम मम देव देव 🪈❤️ ©Shree krishna Diary त्वमेव सर्वम मम देव देव🙇❤️🪈✨ #shreekrishna
Shree krishna Diary
मैं खुद को आपको समर्पित करती हु कान्हा जी , अब मेरे जीवन में जो भी होगा वो आपकी इच्छा से होगा , और मुझे पूर्ण विश्वास है की आप मेरे लिए जो भी निर्णय लेंगे वो सर्वश्रेष्ठ होगा | ~ राधे राधे 🪈❤️ ©Shree krishna Diary श्री कृष्ण शरणम् मम: 🪈❤️🛐✨ #shreekrishna #krishna_flute
Shaarang Deepak
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विधा सरसी छन्द मात्रा भार :- १६/११ माता तेरे दर पर देखो , आया है शैतान । मान रहा है अपनी गलती , कहकर मैं नादान ।। तेरा ही तो बालक हूँ मैं , भटक गया था राह । ठोकर खाकर मन में जागी , अब जीने की चाह ।। काया-माया में मैं उलझा , भूल गया व्यवहार । रिश्ते-नाते तोड़ सभी मैं , किया सदा व्यापार ।। पाप पुन्य का मर्म न जाना , बना रहा बलवान । बनकर पापी द्वार तुम्हारे , आया मैं भगवान ।। किसको जाकर आज बताऊँ , मैं जीवन की भूल । यही कर्म मम जीवन पथ में , बने हुए हैं शूल ।। उनको समझ लिया था भगवन , जो भी थे धनवान । मातु-पिता होते है भगवन , नही मिला था ज्ञान ।। ०३/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा सरसी छन्द मात्रा भार :- १६/११ माता तेरे दर पर देखो , आया है शैतान । मान रहा है अपनी गलती , कहकर मैं नादान ।।
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गोविन्द दामोदर माधवेति श्रोतम् दामोदर स्तुति करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्, वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि, श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव, जिव्हे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति, विक्रेतुकामा किल गोपकन्या मुरारिपादार्पितचित्तवृत्ति:, दध्यादिकं मोहवशादवोचद् गोविन्द दामोदर माधवेति, गृहे गृहे गोपवधूकदम्बा: सर्वे मिलित्वा समवाप्य योगम्, पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं गोविन्द दामोदर माधवेति, सुखं शयाना निलये निजेऽपि नामानि विष्णो: प्रवदन्ति मर्त्या, ते निश्चितं तन्मयतां व्रजन्ति गोविन्द दामोदर माधवेति, जिव्हे सदैवं भज सुन्दराणि नामानि कृष्णस्य मनोहराणि, समस्त भक्तार्ति विनाशनानि गोविन्द दामोदर माधवेति, सुखावसाने इदमेव सारं दु:खावसाने इदमेव ज्ञेयम्, देहावसाने इदमेव जाप्यं गोविन्द दामोदर माधवेति, श्रीकृष्ण राधावर गोकुलेश गोपाल गोवर्धन नाथ विष्णुः, जिव्हे पिबस्वा मृतमेतदेव गोविंद दामोदर माधवेति, जिव्हे रसज्ञे मधुर प्रिया त्वं सत्यं हितं त्वां परमं वदामि, अवर्णयेथा मधुराक्षराणि गोविन्द दामोदर माधवेति, त्वामेव याचे मम देहि जिह्वे समागते दण्डधरे कृतान्ते, वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या गोविन्द दामोदर माधवेति, श्रीनाथ विश्वेश्वर विश्व मूर्ते श्री देवकी नंदन दैत्य शत्रु , जिव्हे पिबस्वामृतमेतेव गोविंद दामोदर माधवेति , गोपी पते कंसरिपो मुकुंद लक्ष्मी पते केशव वासुदेव जिव्हे पिबस्वामृतमेतेव गोविंद दामोदर माधवेति , ©₹0Hiत दामोदर स्तुति करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्, वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि, श्रीकृष्ण गोविन्द हरे
Neena Jha
आस, आस्था, अस्तित्व, विश्वास और जाने अनजाने में हुई मुकम्मल दुआएँ जाने किस शहर का धुआं जाने किस गाँव की धुन्ध और न जाने किस समंदर की रेत में शनैः शनैः मिटते जा रहे हैं, सम्पूर्णता की आस में अधूरापन हाथ लगा, प्यार की महफ़िल में केवल एकाकीपन, दोस्ती कोई रिश्ता होता नहीं, फ़िर न जाने कैसे , एक फूल अपनेपन का एहसास लिए मेरे मन की बगिया में खिला न रंगत और न ही महक थी उसमें करीब से देखा तो लगा स्पर्श पाते ही टूट जाएगा, छूने से डरने लगी फिर भी हौले-हौले उससे जुड़ने लगी रोज़ पास आती थी उसके, उससे बात करती कभी महक का अंदाज़ा लगाती मानो एक तितली सिर्फ़ और सिर्फ़ उस एक फूल हेतु बनी मैं, मग़र या तो मेरी बातें पसंद नहीं थी या महज़ बातें ही लगती थी या शायद समझ ही नहीं पाया वो मुझे, वो वापिस खिलना ही नहीं चाहता शायद! रोज़ अपनापन जता कर अपना मान लेती हूँ, मग़र वो अकेलापन ढूँढ़ता रहता, रोज़ इत्र-सा उसमें घुलती हूँ, मग़र वो गाँव की धुन्ध में खो ही जाता, रोज़ फ़िज़ाओं में उसे अनुभव करती हूँ, मग़र वो धुआं बनकर आसमान में उड़ जाता, ज़ख्मी बना ज़मीं पर अकेला छोड़ जाता, किसी दिन और फूलों सा महकाता है मुझे, तो अगले ही दिन सहरा में पड़ी टूटी टहनी सा बना देता, कोई कर्ज़ नहीं चढ़ने देता मुझ पर, एक पल मुस्कान दूजे पल आँसू, सब सूत समेत चुकता करता, बस एक इसी फूल ने सारी आस्था विश्वास आस अस्तित्व पानी पानी कर दिया मेरा, रोज़ ज़िन्दा कर रोज़ बीमार करता, ये फूल बेहद उदास, निर्जीव. रंगहीन प्रतीत होता है, जिसने प्यार शब्द से नाउम्मीद कर दिया है। नीना झा संजोगिनी ©Neena Jha #kitaab #neverendingoverthinking #नीना_झा #जय_श्री_नारायण #संजोगिनी जय माँ शारदे 🙏 विषय... कर्ज़ भरा प्यार आस, आस्था, अस्तित्व, विश्वास औ
Satpal Das