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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विहावा छन्द 122 122 12 मुझे रूप नारी लगे । वही सृष्टि सारी लगे ।। महादेव देवी कहे । धरा देख सेवी रहे ।। रहा व्यर्थ का सोचना । खड़ा साथ है मोहना ।। डरो आप ऐसे नही । मिले राह टेढ़ी सही ।। मुझे मातु सीता मिली । यही देख पत्नी जली ।। नहीं माँग वो तो भरे । सदा मूर्ख बातें करे ।। चलो बात प्यारी करे । नये स्वप्न क्यारी भरे ।। लगे प्रेम की ज्यों झड़ी । नहीं दूर देखो खड़ी ।। अभी देखना गाँव है । वहाँ नीम की छाँव है ।। मिले नीर जो कूप से । पियें संग वे भूप के ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विहावा छन्द 122 122 12 मुझे रूप नारी लगे । वही सृष्टि सारी लगे ।। महादेव देवी कहे । धरा देख सेवी रहे ।।
विहावा छन्द 122 122 12 मुझे रूप नारी लगे । वही सृष्टि सारी लगे ।। महादेव देवी कहे । धरा देख सेवी रहे ।। #कविता
read moreकवि अरुण द्विवेदी अनन्त
नयन हमारे ख्वाब तुम्हारे सुंदर स्वप्न सलोने से। जीवन में सब शुभ मंगल है एक तुम्हारे होने से। सिर्फ तुम्हारा नेह चरण रज पाकर मैं आनंदित हूं, कुछ पाने की चाह नहीं पर डरता है मन खोने से। ©कवि अरुण द्विवेदी अनन्त #नयन #ख्वाब #सुंदर #स्वप्न #सलोने #जीवन #शुभ #मंगल #नेह #चरण
Dr Usha Kiran
स्वप्न वह सुरमई सा अधखुली पलकों का दूर कहीं अंबर के उस पार मुस्काया था एक चाँद जैसे घुँघरू बंध गए हों दिशाओं के। लाज खींच गई थी पूरब की कनपटियों तक। उस सिंदूरी अंबर में दौड़ता मेरा स्वप्न तारों की झुरमुट से करता सरगोशियाँ कभी निहारिकाओं के संग खिलखिलाता खींचता चाँदनी को अपनी अंजुरी में कभी सांसों में भरता रजनीगंधा की भीनी सी महक। टोहता कभी भोर की किरण को फिर रश्मियों के संग खुलता मेरे अन्तर में रेशमी गाँठ की तरह। साँझ के ढलते ही खींच कर लाता चांँद को बालकनी के बीच और फिर वहीं टिका देता अधर में स्थिर! तब निहारता मन मुग्ध नयन सम्मुख मेरे मेरा स्वप्न वह …..! ©Dr Usha Kiran #स्वप्न वह
Anuj Ray
White स्वप्न डराने लगते हैं" वीभत्स भयंकर कैसे दिन थे वो, इंसान से डर डर कर रहने लगे थे इंसान । कोई अधिक पुरानी बात नहीं, कोरोना " अपन जनों की लाशों को छूना था मना । जैसे प्रलयकारी महामारी बीमारी से, कैसे निपटा है हमने सोने से स्वप्न डराने ने लगते हैं। ©Anuj Ray # स्वप्न डराने लगते हैंसी
# स्वप्न डराने लगते हैंसी #कविता
read moreBalwant Mehta
स्वप्न डराने लगते हैं, रात के साए में, अँधेरे की गहराई में, हर चीरा बन जाता है डरावना। पर जब सूरज की किरणें छू जाती हैं, उस स्वप्न को, अंधेरे का भय पिघल जाता है, और सच्चाई की रोशनी चमक आती है। स्वप्नों के भय को पार करने के लिए, हमें अपने दिल की आवाज़ को सुनना होता है, और उसका साथ देकर, सपनों की दुनिया को जीना होता है। ©Balwant Mehta #DREAM #स्वप्न
Pushpvritiya
हर रोज़ इक जागता स्वप्न स्वांस लेता है हृदय में..... सोचता है कि वो सोचता होगा मुझे मेरी तरह ही मीलो दूर से कहीं.... कि एकांत उसका भी मुझसे ही बातें कर रहा होगा...... ढूंढती होगी नज़र उसकी मुझे हर शय में.... करता होगा महसूस मुझे भी वो टूटकर मेरी तरह ही..... और बिखरकर मुझमें समेटता होगा संपूर्ण तक मुझे........ कि अंश अंश तक मेरा समाहित कर रहा होगा निज में...... थक रहा होगा...संभल रहा होगा... कि पीकर प्रेम को वो चल रहा होगा अपने पथ...मुझे लेकर.... मेरी तरह हीं... कि हर रोज़ इक जागता स्वप्न स्वांस लेता है हृदय में....... @पुष्पवृतियाँ . . ©Pushpvritiya #मेरीतरहहीं हर रोज़ इक जागता स्वप्न स्वांस लेता है हृदय में..... सोचता है कि वो सोचता होगा मुझे मेरी तरह मीलो दूर से कहीं.... कि एकांत
#मेरीतरहहीं हर रोज़ इक जागता स्वप्न स्वांस लेता है हृदय में..... सोचता है कि वो सोचता होगा मुझे मेरी तरह मीलो दूर से कहीं.... कि एकांत
read morekumar shivam hindustani
White स्वप्नों के लिए स्वप्न तोड़ रहे खुद से खुद का मन मोड़ रहे पंक्षी पंथी सब पड़े विराने में डगमग करते देह छोड़ रहे ..पर .. आकाश पवन में उड़ता देखा बाधाओं से भिड़ते देखा चिंगारी लिए जिगर में शमशीरों को लड़ते देखा उम्मीदों के सागर में जज्बातों के गागर में मिट्टी मिट्टी रोता जग आखों से मोती खोता खग घन तिमिर के काले वन में हिम्मत की मशाल जला उठा शस्त्र और उतर रण में मानव स्वप्न साकार करने चला ©kumar shivam hindustani स्वप्नों के लिए स्वप्न तोड़ रहे खुद से खुद का मन मोड़ रहे पंक्षी पंथी सब पड़े विराने में डगमग करते देह छोड़ रहे पर आकाश पवन में उड़ता देखा बाधाओ
स्वप्नों के लिए स्वप्न तोड़ रहे खुद से खुद का मन मोड़ रहे पंक्षी पंथी सब पड़े विराने में डगमग करते देह छोड़ रहे पर आकाश पवन में उड़ता देखा बाधाओ #Motivational #Trending #motivatation
read moreSagar Bangar
कसे विसरावे मी तुला तुझ्या नकळत तू पेरलेले स्वप्न जागे आहे माझ्या नकळत ✍️लेखन:-सागर बांगर ©Sagar Bangar #चारोळी ❤️🥰 कसे विसरावे मी तुला तुझ्या नकळत तू पेरलेले स्वप्न जागे आहे माझ्या नकळत❤️ लेखन:-सागर बांगर©® .
#चारोळी ❤️🥰 कसे विसरावे मी तुला तुझ्या नकळत तू पेरलेले स्वप्न जागे आहे माझ्या नकळत❤️ लेखन:-सागर बांगर©® . #कविता #लेखक #काव्य #कवी #मराठीकविता #मराठीचारोळी #मराठीप्रेम #प्रेमचारोळी
read moreSantosh Jangam
#"आशेची किरण" या कवितेतून आपल्याला कविची आशा प्रतिबिंबित करते. त्यामध्ये स्वप्न, उत्साह, आणि आकांक्षांचे चित्रण केलेले आहे. त्यामध्ये जीवनाच #मराठीशायरी
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