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Parasram Arora
White खाई थीं कसम सागर ने कि इक दिन वो रेगिस्तान मे भी फुल खिला दे गा अपनी कसम पूरी करने के लिए भेजा था उसने एक नदी को रेगिस्तानको सीचने के लिए पर वो नदी रेगिस्तान क़ी तपी रेत मे लुप्त हो जायेगी और लौट नही पाएगी ऐसा न उस सागर ने सोचा था न उस बदनसीब नदी ने ©Parasram Arora बदनसीब नदी
बदनसीब नदी
read moreShreyansh Gaurav
"नदी का पुराना पुल" कभी तुम गये हो गांव में नदी के किनारे बहुत सुकून मिलता है.! पहले मैं गांव रहता था, दोस्तों का ज़मावड़ा, मज़मा लगता था.! नदी पर पहले इक़ पुल था जो अंग्रेजो के वक़्त का बना है.! गया था मैं गांव कुछ साल पहले देखा अब बदल गया है.! उस पुल के बगल इक़ नया पुल बन गया है, पुराने पे अब सन्नाटा है सुना किसी ने बोला अब यहाँ कोई नहीं आता है.! पूछा क्यूँ कुछ हुआ था क्या इक़ ने कहा भैया, यहाँ कोई मर गया था.! इसलिये अब सब डरते है इधर कोई नहीं आता है.! हमनें देखा बहुत सन्नाटा छाया था जहाँ पहले लोंगो को सुकून मिलता था वही से लोग अब डरने लगे है.! क्या तुम भी लोंगो की तरह बुज़ुर्गो को छोड़कर नये ढूढने लगे हो.! मैं गया वहाँ अकेले ही मुझे कोई डर नहीं फ़िर वही सुकून, मुझे गांव लें गया.! यें "नदी का पुराना पुल " मुझे अब भी याद है, मुझे सुकून सन्नाटा दें गया.!! ©Shreyansh Gaurav #नदी का पुराना पुल #poerty
Parasram Arora
White समुन्दर नदियों को बहला फुसला कर उनके तरल ख़ज़ाने लूटता रहा और वे बदनसीब नदिया अपने वजूद का इंतकाल होते देख आंसू बहाती रहीं ©Parasram Arora समुन्दर और नदी
समुन्दर और नदी
read moreSatish Kumar Meena
इतिहास गढ़ने के लिए दृढ़ संकल्प होना और हिम्मत होना बहुत जरुरी है, एक ने हिम्मत से मुकाबला किया और दूसरी तरफ अपनी अस्मिता बचाने के लिए संकल्प के साथ जौहर कर लिया। ©Satish Kumar Meena इतिहास
इतिहास
read morevish
मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, जो थम जाऊँ.... मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, जो साहिल से टकराकर भी, अपने सागर से मिल जाऊँ.... जिंद़गी ©vish # नदी की वो धारा
# नदी की वो धारा
read morePraveen Jain "पल्लव"
Google पल्लव की डायरी वैश्वीकरण के दौर में भारत को विश्व की धारा से जोड़ा था आमजन भी मुख्यधारा में आये सबकी सम्पन्नता का द्वार खोला था वित्तमंत्री रहे हो या प्रधानमंत्री लोहा अपनी नीतियों का मनवाया था कम बोलते थे पर मनमोहन सिंह ने आर्थिक सम्पन्नता से विश्वपटल पर झंडा भारत का गाड़ा था याद रहेंगे युगों युगों तक गैर राजनीतिक के रूप में प्रधनमंत्री धरोहर इतिहास की कहलायेंगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Manmohan_Singh_Dies धरोहर इतिहास की कहलायेंगे
#Manmohan_Singh_Dies धरोहर इतिहास की कहलायेंगे
read moreSANIR SINGNORI
पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की पैसे के लालच में आज, साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने, बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की सहस्र जीवों का जीवन थी जो, इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण, जै बच जाए जान 'काटली' की पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की . ©SANIR SINGNORI #DesertWalk नदी बचाओ
#DesertWalk नदी बचाओ
read moreSatish Kumar Meena
इतिहास गवाह है इतिहास गवाह हैं जब भी किसी ने अहंकार किया है उसका सर्वनाश निश्चित रूप से हुआ ही है। ©Satish Kumar Meena इतिहास गवाह है
इतिहास गवाह है
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