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N S Yadav GoldMine
Black {Bolo Ji Radhey Radhey} हमारी आत्मा का प्रकति के जिस गुण का सम्बंध हो, वही गुण उसमें बसने लग जाता है, मनोववर्ति उसी का आकार धारण कर लेता है, इसीलिए जो मनुष्य सम रह कर केवल अपने कर्तव्य कर्म करता है, वेर आदि की माया से ऊपर आत्मा मैं इस्थिर होता है, उस अवस्था मे उस को पाप स्पर्स नही करता।। ©N S Yadav GoldMine #Morning {Bolo Ji Radhey Radhey} हमारी आत्मा का प्रकति के जिस गुण का सम्बंध हो, वही गुण उसमें बसने लग जाता है, मनोववर्ति उसी का आकार धारण
Sameeksha Trivedi
Kuldeep KumarAUE
hanuman jayanti 2024 आप सभी को मंगलवार की हार्दिक शुभकामनाएं जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ©Kuldeep KumarAUE #hanumanjayanti24 आप सभी को मंगलवार की हार्दिक शुभकामनाएं जय हनुमान ज्ञान गुण सागर #kuldeepkumaraue #Hanuman
AD Kiran
Men walking on dark street तुम्हारे अंदर ओ तमाम गुण है जो एक तबायफ में होता है! तुम अपने धंधा में मस्त हो वहीं तेरा आशिक फुट-फुट कर रोता है!! ©AD Kiran तेरे अन्दर तबायफ का गुण है.... ravi i live
Ghumnam Gautam
नहीं हैं राम-जैसा कोई भी गुण मुझ अकिंचन में मगर सब भाइयों में मैं बड़ा हूँ मुझपे लानत है ©Ghumnam Gautam #ramayan #Ram #ghumnamgautam #गुण #राम #अकिंचन
Ravishankar Nishad
जीवन में कभी भी धन से इंसान के भीतर अच्छे गुण नहीं पैदा होते हैं, बल्कि अच्छे गुणों से धन जरूर पैदा होता है. ©Ravishankar Nishad #mohabbat जीवन में कभी भी धन से इंसान के भीतर अच्छे गुण नहीं पैदा होते हैं, बल्कि अच्छे गुणों से धन जरूर पैदा होता है.
Mukesh Poonia
गुण 36 नहीं, केवल चार चाहिए... अच्छा व्यवहार, साफ नियत, नेक दिल और ईमानदारी... जय हो गुरु जी की... . ©Mukesh Poonia #gururavidas #गुण 36 नहीं, केवल चार चाहिए... अच्छा #व्यवहार, #साफ #नियत, #नेक #दिल और #ईमानदारी... जय हो #गुरु जी की...
Jk
'मन चंगा तो कठोती में गंगा' संत रोहिदासांचा हा प्रसिद्ध दोहा आपण प्रत्येकवेळी ऐकत असतो. ते एक उत्तम कवी सुद्धा होते. संत रोहिदासांनी गुण-निर्गुण, एकता, सामाजिक न्याय समानतेची, एकतेची शिकवण दिली. संत रोहिदास यांना जयंती दिनानिमित्त विनम्र अभिवादन 🙏 ©Jk #gururavidas 'मन चंगा तो कठोती में गंगा' संत रोहिदासांचा हा प्रसिद्ध दोहा आपण प्रत्येकवेळी ऐकत असतो. ते एक उत्तम कवी सुद्धा होते. संत रोहिद
||स्वयं लेखन||
कितने तो उसके गुण महकते हैं, उतनी महक गुलाब में भी नहीं, सादगी से भरे श्रृंगार हैं इतने कि चंद्रमा में जितनी कलाएँ नहीं। ©||स्वयं लेखन|| मेरी प्रियसी... कितने तो उसके गुण महकते हैं, उतनी महक गुलाब में भी नहीं, सादगी से भरे श्रृंगार हैं इतने कि चंद्रमा में जितनी कलाएँ नहीं।