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N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान् श्रीकृष्ण जी के सारे कर्म लीलामय होते हैं। उनके कर्मों से लोगों को नीति, धर्म और प्रेम का उपदेश मिलता रहता #मोटिवेशनल
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White {Bolo Ji Radhey Radhey} हैं भारत जो जीव मुझ परमेश्वर मे मन को सभी प्रकार से लगाने पर कर्मयोग के तत्त्व को जानने वाला ही मनुष्यों में बुद्धिमान् है, योगी है, और सम्पूर्ण कर्मों का करने वाला है, इसलिये वह इस कर्म रहस्य को समझ कर संसार बन्धन से सदा के लिए मुक्त हो जाता है। ©N S Yadav GoldMine #Paris_Olympics_2024 {Bolo Ji Radhey Radhey} हैं भारत जो जीव मुझ परमेश्वर मे मन को सभी प्रकार से लगाने पर कर्मयोग के तत्त्व को जानने वाला
#Paris_Olympics_2024 {Bolo Ji Radhey Radhey} हैं भारत जो जीव मुझ परमेश्वर मे मन को सभी प्रकार से लगाने पर कर्मयोग के तत्त्व को जानने वाला #मोटिवेशनल
read moreLAKKI
White किसी भी प्रकार का भय और अधूरी इच्छा ही हमारी दुखों का कारण है ©LAKKI किसी भी प्रकार का भय और अधूरी इच्छा ही हमारी दुखों का कारण है motivation
किसी भी प्रकार का भय और अधूरी इच्छा ही हमारी दुखों का कारण है motivation #Motivational
read moreHimanshu Prajapati
White हर हालात से लड़ा हूं, हर प्रकार के इंसान से मिला हूं, पर मेरे जैसा कोई नहीं, जो मोहब्बत में है पर किसके साथ पता नहीं..! ©Himanshu Prajapati #sad_shayari हर हालात से लड़ा हूं, हर प्रकार के इंसान से मिला हूं, पर मेरे जैसा कोई नहीं, जो मोहब्बत में है पर किसके साथ पता नहीं..!
#sad_shayari हर हालात से लड़ा हूं, हर प्रकार के इंसान से मिला हूं, पर मेरे जैसा कोई नहीं, जो मोहब्बत में है पर किसके साथ पता नहीं..! #विचार
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White गीता ४।१४) {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी जीव के 'कर्मों के फल में मेरी स्पृहा नहीं है; इसलिये मुझे कर्म लिप्त नहीं करते -इस प्रकार जो मुझे तत्त्व से जान लेता है, वह भी कर्मों से नहीं बँधता।' ©N S Yadav GoldMine #love_shayari गीता ४।१४) {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी जीव के 'कर्मों के फल में मेरी स्पृहा नहीं है; इसलिये मुझे कर्म लिप्त नहीं करते -इ
#love_shayari गीता ४।१४) {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी जीव के 'कर्मों के फल में मेरी स्पृहा नहीं है; इसलिये मुझे कर्म लिप्त नहीं करते -इ #मोटिवेशनल
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White गीता ११।५४) {Bolo Ji Radhey Radhey} जय श्री राधे कृष्ण जी।। 'परंतु हे परंतप अर्जुन! अनन्य भक्ति के द्वारा इस प्रकार चतुर्भुज रूप वाला, मैं प्रत्यक्ष देखने के लिये, तत्त्व से जानने के लिये तथा प्रवेश करने के लिये अर्थात् एकीभाव से प्राप्त होने के लिये भी शक्य हूँ।' ©N S Yadav GoldMine #love_shayari गीता ११।५४){Bolo Ji Radhey Radhey} जय श्री राधे कृष्ण जी।। 'परंतु हे परंतप अर्जुन! अनन्य भक्ति के द्वारा इस प्रकार चतुर्भुज र
#love_shayari गीता ११।५४){Bolo Ji Radhey Radhey} जय श्री राधे कृष्ण जी।। 'परंतु हे परंतप अर्जुन! अनन्य भक्ति के द्वारा इस प्रकार चतुर्भुज र #मोटिवेशनल
read moreMUNNA KUMAR GANDHI
जिस प्रकार से जल से बाहर मछली निकाल देने के बाद तड़पती है ठीक उसी प्रकार आज मनुष्य तड़प रहा है। #Life
read moreSD
शीर्षासन एक प्रकार का शीर्षासन आसन योग है जिसमें शरीर पूरी तरह से उल्टा होता है। इसे दीवार के सहारे या उसके बिना किया जा सकता है। इस स्थिति #SAD
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