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नवनीत ठाकुर
न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा। हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा। हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्लत से, हुए है वो भी रूबरू अपनी जिंदगी से हाल ही में, आज उन्होंने जन्नत को भूल जाना ही बेहतर समझा। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा, हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्
#नवनीतठाकुर न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा, हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्
read moreAdv Sony Khan
Google जाते जाते साल में एक सितारा चला गया, जिसको सच्चा देश प्रेम है उसके यहां मातम छा गया। कैसे मनाऊं आने वाले साल की खुशियां यह दिसंबर न जाने हमारे देश के कितने नौजवानों को खा गया। ©Adv Sony Khan #Manmohan_Singh_Dies #जयपुर Adhuri Hayat Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" Tarannum Sana Sethi Ji विवेक ठाकुर 'शाद' आज का विचार
#Manmohan_Singh_Dies #जयपुर Adhuri Hayat Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" Tarannum Sana Sethi Ji विवेक ठाकुर 'शाद' आज का विचार
read moreLalit Saxena
Unsplash मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं तारीफ़ तो मेरे बेवफ़ा हालातों की है जो मुझे लिखने के लिए हर पल, हर लम्हा बेताब करते है।।।।। गर ये लम्हे ये हालात ये अफसाने ना होते ..............तो क्या मैं लिखता? कोई कवि, शायर, गजलकार, या फनकार कलम कही पड़ी होती किसी कोने में और कागज़ हवा में उड़ रहे होते कैसा लगता....ख्वाबों में गोते लगाना डूब कर अंधेरों में कही दफ़न हो गए होते। मै लिखता हूं.....इसमें तारीफ़ नहीं!!! ©Lalit Saxena #Book दिल से
#Book दिल से
read moreParasram Arora
Unsplash जिंदगी को अपना समझ कर मैंने उससे गुफफ़्तगू करली और बहूत सारे अपने राज़ भी उससे साझा कर लिए अब पछता रहा हूँ कि कही वो मेरे राज़ सबकेसामने उगल न दे काश जिंदगी मेरी बहरी होती ©Parasram Arora जिंदगी से गुफ़्तगू
जिंदगी से गुफ़्तगू
read moreShishpal Chauhan
White अपनी लेखनी से कभी लिखता हूँ, कभी लिखकर मिटाता हूँ । कभी हृदय का प्रेम छुपाता हूँ, कभी सोए हुए को जगाता हूँ । लेकिन मैं सोचता हूँ कि तुमने मेरी लेखनी से प्यार नहीं किया यह तुम्हें मैं क्यों बताता हूँ , तुमने तो मेरे व्यक्तित्व से प्रेम किया; यह सोचकर सहम-सा जाता हूँ । तुम्हें पढ़ने की फुर्सत नहीं है ; यूँ ही दिल को ठेस पहुँचाता हूँ, मुझे वो चेहरा पसंद नहीं है ; केवल दिखावा करता है मैं आपनी लेखनी से ही मन को बहला लिया करता हूँ । अ मेरे जीवन साथी शायद तुम्हें पता ही नहीं मेरी जिंदगी को तुमने कितना बदल दिया सोते हुए नींद में भी लिख लिया करता हूँ , लेकिन तुम्हें क्या फर्क पड़ता है मेरी नींद हराम करने वाली बेकार में ही दिल की धड़कन बढ़ा लिया करता हूँ। तुमने मेरी प्रेम की गहराईयों को समझा ही नहीं तेरी यादों से ही बेरहम अंधेरी रात काट लिया करता हूँ, तुम साथ न दो कोई बात नहीं ; अश्कों को ही स्याही बना लिया करता हूँ। मैं तुमसे मिलने से पहले एक बेजान-सा पुतला था तुमने ही मुझे दिया नाम, पी लिया करता हूँ गमों का जाम। पहचान और शोहरत दी बस तू मेरे साथ रहे यही मैं चाहता हूँ, जैसे सुनार सोने को पिघलाकर आकार देता है तुमने मेरी जिंदगी ही बदल दी तुम से जुदा न हो पाऊँगा बस तुझमें ही खो जाना चाहता हूँ। कितने लोग आए और कितने चले गए कईयों के रिश्ते बिगड़ गए तो कईयों के संवर गए सुख हो दुख हो तुम्हारे संग हर लम्हा बिताना चाहता हूँ, कुछ लोग प्यार की गंभीरता को समझते हैं वे दुनिया को बहुत कुछ दे जाते हैं शायद मैं भी उनमें से एक हूँ अपने मधुर शब्दों से यादें छोड़ देना चाहता हूँ। प्यार में झूठे वायदे झूठी कसमें खाई जाती है उनको निभाता है कोई-कोई ऐसे बंधन में नहीं मैं बंद जाना चाहता हूँ, प्रेम ईश्वर का दिया एक नायाब तोहफ़ा है; उसमें एक अलग खुशबू है अपनी पवित्रता का ख्याल रखना चाहता हूँ । लेखन बयां कर देता है दिल का हाल – चौहान, लेखनी है मेरी जान ।। ©Shishpal Chauhan #मेरी लेखनी से
#मेरी लेखनी से
read moreविपिन सेवक "
White ख़ुद पर आज गुस्सा आ रहा है मन कर आज Suicide कर लूँ पर मम्मी पापा कि तरफ देखता हुँ वों अकेले पड़ जायेगे.. आज देख लिया मैंने अपनी जात के लोग अपने कुटुंब के लोग कभी काम नहीं आते यहाँ तक अपने घर के लोग तक नहीं सिर्फ दिखावा करते है... ©विपिन सेवक " लोग केहते है अच्छे लोगो के साथ भगवान हमेंशा अच्छा करते है मेरे साथ तो उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया 🥺🥺😭
लोग केहते है अच्छे लोगो के साथ भगवान हमेंशा अच्छा करते है मेरे साथ तो उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया 🥺🥺😭
read moreपूर्वार्थ
White बैठी हैं क्यों दर्द लिए; आतीत-सा मन को शान्त किये । जो बीते पल माहुर से थे; आज क्यों उनके जाम पिए। भविष्य सुनहरा राह देखता; तेरे हर पल आने की, हौसले से तोड़ बेड़ियाँ जख्म भरे अल्फाजों की देख आसमाँ भर ऊँची उड़ाने; आगे बढ़ तू इसी बहाने , दर्द मिटा तू ख्व़ाब गढ़ ; भूल न उसे ; जो कहता तू आगे बढ़। जीवन समर में कुछ ऐसे उतर ; शत्रु हो जाए छितर - बितर।। मौत भी घबराए तुझ तक आने के लिए , तू बन जा एक मिसाल इस जमाने के लिए।। ©पूर्वार्थ #जख्म से जीता
#जख्म से जीता
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