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Radhika
निस्तेजात भरकटलेल्या आयुष्याला थोडे से नाविन्य रुप देऊ.. रोज स्वतः ला आरशात पाहतो, आज थोडे स्वतः ला जाणून घेऊ.. कधी मोकळा हवेत फेरफटका मारत निसर्गाच्या सानिध्यात मनातली प्रतिबिंब पाहू.. कोकिळेच्या स्वरात ह्रदयी दडलेले शब्द, कधी तरी मधूर सुरात गाऊ कंटाळून ओथंबलेल्या स्वप्नांतून कधीतरी, कोवळ्या किरणांच्या रंगात जाऊ. नभात गर्द अंधारी त्यात चमचमीत तारे अंगणी शिंपल्यातील त्या ओंजळीत वेचून घेऊ. श्रावण सरीत कधीतरी चिंब भिजून .. वादळात मनातील धूळ उधळून देऊ. विचारातील भिती विजेच्या लख्ख, प्रकाशात जाळून उम्मेदी ज्योत पेटू. कल्पनेतील स्वप्नांना कधीतरी, सत्य जगात जगून घेऊ. निस्तेज झालेल्या आयुष्याला आज थोडेसे नाविन्य रूप देऊ राधिका ❣️ ©Radhika #kitaabein निस्तेज
Sneh Prem Chand
काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं, और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष, अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम #Hope
CalmKazi
//दिसम्बर तेरी कमी से निस्तेज मेरी पलकों की धुँधली शामें ख़यालों के सोफ़े पर हसरतों का कम्बल ओढ़े बैठी हैं, ठहरी; के कब तू आए और अपनी हामी के नाज़ुक स्पर्श से इस कम्बल के कोनो को मिला इश्क़ की चिबुक का सहारा ले कर ज़िंदगी की तह सुधारेगी।। तब तक यूँ ही मेरी तन्हाई की ऐड़ी सरो-समाज की हवा में ठिठुरेगी ।। दिसम्बर निस्तेज=lacking चिबुक=Chin #CalmKaziWrites #YQDidi #Poetry #December #Love
Alok Vishwakarma "आर्ष"
विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए गौण ।। अमत मत विराग राग, हृदय से रिसता पराग । अन्ध दीप्त तम अलोक, क्षण वियोग अश्रु शोक ।। "विलोम-लोम मिश्रण" एक कविता लोम व विलोम के पहलुओं को दर्शाती हुई। विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए ग
राकेश मनावत"राज"
निःशब्द शून्य । बस शून्य शून्य।। ओर आँखे निस्तेज। शायद खोये सपने तलाश रही है।
DR. SANJU TRIPATHI
अनपढ़ चाहे कितना भी समझदार क्यों ना हो जाए, उसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर ही रहता है। ईश्वर ने भी जाने कैसी मुसीबत सबके सर पर डाली है, बचे तो बचे कैसे कोई भी आगे कुआं तो पीछे खाई है। औरतें चाहे घर बाहर के सब काम सामंजस्य से कर लें, रहेंगी जीवन भर घर की मुर्गी दाल बराबर के जैसी ही। न रह गया अब रिश्तों में विश्वास कोई भी मान सम्मान, सभी एक दूजे से थोथा चना बाजे घना बनकर रहते हैं। करते हैं सभी न्याय की बड़ी बातें बताते हैं खुद को सही, डरते हैं सभी दूध का दूध और पानी का पानी कौन करें। प्रयुक्त विलोम शब्द काला अक्षर भैंस बराबर आगे कुआं पीछे खाई थोथा चना बाजे घना घर की मुर्गी दाल बराबर दूध का दूध पानी का पानी #काव्यसंग्
REETA LAKRA
वो किसी का दुश्मन नहीं हो सकता। तुम जिसके यार हो न वो किसी का याराना भुला नहीं सकता। तुम जिसके मित्र हो न वो किसी का शत्रु नहीं हो सकता। तुम जिसके साथी हो न वो किसी का साथ नहीं छोड़ सकता। तुम जिसके दिलदार हो न वो तुमसे दिलदारी नहीं छोड़ सकता। ३२४/३६६ तुम जिसके दोस्त हो ना... #जिसकेदोस्तहो #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi विलोम yreeta-lakra-9mba
REETA LAKRA
सोना जागना लगा रहेगा, उत्थान पतन लगा रहेगा, उपयोग दुरुपयोग लगा रहेगा, आदान प्रदान लगा रहेगा, आरंभ अंत लगा रहेगा, उधार नकद लगा रहेगा, रुकना चलना लगा रहेगा, जय पराजय लगा रहेगा, क्रय विक्रय लगा रहेगा, उतार चढ़ाव लगा रहेगा, जब तक जीवन है, तब तक मरण का डर लगा रहेगा। ३३७/३६६ पाना खोना लगा रहेगा, रोना धोना लगा रहेगा... #पानाखोना #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #विलोम yreeta-l