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F M POETRY
Unsplash यहाँ नहीं है वहाँ नहीं है.. तुम्हारी यादें कहाँ नहीं हैं.. कोई तो ऐसा मक़ाम होगा.. जहाँ पे दिल को सुकूँ मिलेगा.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #कोई तो ऐसा मक़ाम होगा...
#कोई तो ऐसा मक़ाम होगा...
read moreनवनीत ठाकुर
आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंसाफ का सूरज अब उगाना होगा, नई क्रांति का परचम लहराना होगा। हर साजिश का पर्दाफाश करना होगा, हर अन्याय को जड़ से उखाड़ना होगा। आओ उम्मीदों की मशाल जलाएं, इस सियाह दौर को रौशन बनाएं। ©नवनीत ठाकुर #आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंस
#आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंस
read moreधाकड़ है हरियाणा
neelu
White साफ साफ देखना तो मुश्किल होता होगा पर साफ साफ कहना तो मुश्किल नहीं होता होगा ©neelu #love_shayari #साफ_साफ साफ देखना तो #मुश्किलभीनहीं होता होगा पर साफ साफ कहना तो मुश्किल नहीं होता होगा
#love_shayari #साफ_साफ साफ देखना तो #मुश्किलभीनहीं होता होगा पर साफ साफ कहना तो मुश्किल नहीं होता होगा
read moreneelu
White मेरी नानी कहती थी जानकर अंजान बनने वालों को तो बेवकूफ भी नहीं कह सकते है.. यह मेरे लिए तो नहीं कहा होगा ना.. फिर किसके लिए कहा होगा ©neelu #sad_quotes फिर #किसके लिए #कहां होगा
#sad_quotes फिर #किसके लिए #कहां होगा
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी लाज शर्म के पर्दे खत्म प्रदर्शन जिस्मो के है घरो परिवारों से सुशोभित थी नारी वह आज फूड कल्चरो में है नर की बराबरी पर आने के लिये सारी हदें तोड़ने पर है हाथ बटाने नही परिवारों के साजिशों के तहत बाजारों में है अंग अंग की सजती नुमाइश आबाद कॉस्मेटिक ,ब्यूटी पार्लर फैशनों के सिम्बल है खुद शिकार है नारी बदलाव के लिये लज्जा शर्म संस्कारो को छोड़कर प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #chaandsifarish लाज शर्म के पर्दे खत्म
#chaandsifarish लाज शर्म के पर्दे खत्म
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
स्वलिखित हिन्दी रचना शीर्षक समय विधा विचार भाव वास्तविक अभी शून्य है तरु समय पक्ष में नहीं अपने जब होगा दुख भरे संघर्षों में थोड़ा सुक
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