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अदनासा-
🙏🌹वैधानिक चेतावनी🌹🙏 मदिरा पान एवं धुम्रपान स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिप्रद है। जब-जब देखा है मुझको परवरदिगार ने हर मयख़ाने में और ये मदहोश सी माशूक मय लगी है मुझको बहकाने में परवरदिगार भी जानता है खामखां मिलूंगा इसी बहाने में फ़रमाया तेरे ग़म से ज़्यादा और भी ग़म है इस ज़माने में ©अदनासा- #हिंदी #Nasha #व्यसन #लत #समाज #Pinterest #Instagram #नशा #Facebook #अदनासा
Shiv Narayan Saxena
नाम जला न व्यसन न दानवी पागलपन ज़िन्दा हर इंसान में आज भी हैं दशानन जब तेरे दिल में रावण रावण के दिल में सीता आघात करें प्रभु कैसे घायल हो कहीं न सीता अपने दिल की लंका में रावण सुख को तरसेगा अमोघ बाण श्रीराम का तब दसों शीश हर लेगा फूंके बाहर क्या रावण सबके भीतर है रावण मन चातक के प्रभु राम तब रावण दहन सकाम. ©Shiv Narayan Saxena #happydussehra नाम जला न व्यसन. . . . . .
#happydussehra नाम जला न व्यसन. . . . . .
read moreU shivan rajauria
हिंदी दिवस की शुरुआत कैसे हुई? हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत 1953 में भारत के प्रधानमंत्री पद पर पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit jawaharlal nehru) ने संसद भवन में 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. इसके बाद से हर साल इस दिन को नेशनल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. ©U shivan rajauria #Hindidiwas हिंदी का प्रारम्भ
#Hindidiwas हिंदी का प्रारम्भ #जानकारी
read moreAashutosh Aman.
# हिंदी साहित्य# हिंदी कविता आज का ज्ञान आज का मंच। जय🙏🙏 ______&&&&&&&&&&& क्या योग्यता क्या इक्षाशक्ति और महत्व आकांछा क्या है। किसी सफल मंच के आगे निर्धन निरीह साँचा क्या है।। कैसी शिक्षा कैसा शिक्षित कैसा ज्ञानी विद्वान है वो। जो छोटे छोटा कर दे वो ज्ञान नहीँ अभिमान है वो।। हर सफल चापलूसी चाहे धन वैभव का समान करे। निर्धन निरीह योग्यता के संग बस छल कपट औरअभिमान करे। जो झुक जाए शालीन रहे हर शक्ति उसको छलती है।। धन के आगे अयोग्यता भी गंगाजल बन कर बहती है।। ज्ञान शील एकता भी केवल कहने भर दिखती है। समृद्धिऔर सफलता के संमुख न कहीं कभी भी टिकती है।। हम जिसको इक्षा शक्ति कहते कब कौन पूछता है उसको। श्रीमान सफलता के आगे इक्षा शक्ति भी बिकती है।। मुझको आती है हसी बहुत उनको उपदेशक देखूं तो। धनवान है जो पर योग्य नहीं और चोरी करते रहते है। अज्ञानी विद्वान बने और ज्ञान मांगता भीख मिले। करते उपहास योग्यता से महुँ जोरी करते रहते हैं।। सच कहा किसी ने बुरा लगा उसको असभ्य कह देते हैं। सभ्यता धरी रह जाती है जब संग असभ्य को लेते हैं।। अपना सम्मान तो चाहेंगे पर औरों का सम्मान नहीं। सब सम्मान चाहते हैं इस इनको संज्ञान नही।। संकुचित हृदय हो जाता है जिसको भी सफलता मिल जाए। मैं तो असफल ही अच्छा हूँ ना करूँ सहूँ अपमान कहीं।। आशुतोष अमन🙏🙏🙏🙏🙏 ©Aashutosh Aman. # हिंदी साहित्य# हिंदी कविता आज का ज्ञान आज का मंच। जय🙏🙏 ______&&&&&&&&&&&
# हिंदी साहित्य# हिंदी कविता आज का ज्ञान आज का मंच। जय🙏🙏 ______&&&&&&&&&&&
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