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Divyanjli Verma
छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए ©Divyanjli Verma छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए
छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए
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छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए ©Divyanjli Verma छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए
छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए
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White छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए जय श्री राम ©Divyanjli Verma छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए....
छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए....
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
मृदुल वचन ही बोलिये कोंड़ी लगे न दाम जाने कब आ जायेंगे अंजाने भी काम ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #दोहे
Ramji Tiwari
White विधा-दोहा छंद तरकश तीरों से भरा,रखे दिव्य हैं बाण। कविता रूपी तीर ये,भरते मृत में प्राण।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #दोहे #कविता #writer
Ramji Tiwari
Nature Quotes दोहा छंद काले कजरारे नयन,लूटें मन का चैन। मिसरी से मीठे लगें, गोरी तेरे बैन।। शोभित कुंडल कान में,गल में साजे हार। सुन्दर नासा कीर सी,भौंह कमानीदार।। गोरे-गोरे गाल हैं,सेब की तरह लाल। कुंतल काले हैं घने, हिरनी जैसी चाल।। मदिरा के प्याले अधर, गोरे-गोरे हाथ। साड़ी सुन्दर है बदन,तिलक नीलमणि माथ।। पायल पहने पाँव में,कंगन सोहे हाथ। गल में पहने नौलखा,टिकुली साजे माथ।। सर पर ओढ़े चूनरी,कमर करधनी डाल। हिरनी सी चलती मटक, मनमोहक है चाल।। फुर्सत में रब ने गढ़ा, सुन्दर रूप अनूप। मोहित हो जाता जगत,देख नारि का रुप।। सुन्दर नारी रुप का, दीवाना संसार। सुन्दर नारी देखकर, उपजे मन में प्यार।। प्रेमी काया का हुआ, सारा सकल समाज। नारी तेरे रुप ने, लूट लिया जग आज।। गोरी तेरे प्रेम में,पागल सारे लोग। दीवाने सब हो गए,पाल प्रेम का रोग।। स्वरचित रचना- राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #beatyQuotes #दोहे #श्रृंगाररस #नारी #कविता
beatyQuotes दोहे श्रृंगाररस नारी कविता
read moreAbdhesh prajapati
White चिंता से चतुराई घटे दुख से घटे शरीर ज्यादा बोलने से बुद्धि घाटे कह गए संत कबीर ©Abdhesh prajapati कबीर दास जी
कबीर दास जी
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