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Devesh Dixit
काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा ईश ने जब इसे, मकसद है कुछ खास। सदुपयोग इसका करें, उनको भी है आस।। काल चक्र के देवता, देते हैं परिणाम। जिसका जैसा कर्म है, वैसा उसको दाम।। काल चक्र बलवान है, कहते सभी सुजान। विमुुख न होना तुम कभी, बनकर के अनजान।। काल चक्र से बच सका, जरा बताओ कौन। मूल्य नहीं क्यों जानते, अभी रहो तुम मौन।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #काल_चक्र #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा ईश ने जब इसे, मकसद है कुछ खास।
#काल_चक्र #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा ईश ने जब इसे, मकसद है कुछ खास।
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नशा (दोहे) नशा करे कोई कभी, उसको घेरे रोग। मन से भी विचलित नहीं, हैं कैसे ये लोग।। तम्बाकू को ले रहे, समझे अपनी शान। सभी जगह पर थूकते, खोते अपना मान।। मदिरा भी शामिल वहीं, होश गँवाते लोग। अपशब्दों से तौलते, दिखता उसमें रोग।। डगमग-डगमग पैर हों, मन में भरे विकार। रिश्तों की चिंता नहीं, डालें खूब दरार।। कहती है सद्भावना, नशा करे बरबाद। छोड़ सको तो छोड़ दो, हो जाओ आबाद।। क्यों करना अब है नशा, कर दो इसका त्याग। मुक्ति केंद्र भी हैं खुले, ले लो इसमें भाग।। जीवन यह अनमोल है, मत करना उपहास। सुखमय भी यह तब रहे, हो उसमें उल्लास।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #नशा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry नशा (दोहे) नशा करे कोई कभी, उसको घेरे रोग। मन से भी विचलित नहीं, हैं कैसे ये लोग।। तम्बाकू को ले रहे, समझे अपनी शान।
#नशा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry नशा (दोहे) नशा करे कोई कभी, उसको घेरे रोग। मन से भी विचलित नहीं, हैं कैसे ये लोग।। तम्बाकू को ले रहे, समझे अपनी शान।
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जीवन धारा (दोहे) जीवन धारा बह रही, अंत समय की ओर। जीना है इसको हमें, सुख की पकड़ो डोर।। रंज से जीवन न कटे, कहते सभी सुजान। होती पीड़ा है बहुत, मत रहना अनजान।। जीवन धारा कह रही, मत रुक ऐ नादान। चलता जा बस मार्ग पर, क्यों होता हैरान।। कांँटे भी इस पर मिलें, रहना है तैयार। जीवन ही ये जंग है, मत समझो तुम भार।। जीवन जीने की कला, समझ सके इंसान। उत्तम उससे कुछ नहीं, ये उसकी पहचान।। ............................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जीवन_धारा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry जीवन धारा (दोहे) जीवन धारा बह रही, अंत समय की ओर। जीना है इसको हमें, सुख की पकड़ो डोर।। रंज से जीवन न कटे, कहते सभी सुजान।
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मोदीकेयर (दोहे) मोदीकेयर छा गया, बना यही आधार। जीवन भी सुखमय हुआ, कलयुग में अवतार।। हिय से सोचो जान लो, तुम इसके उपयोग। भ्रम में मत रहना कभी, वरना घेरें रोग।। मंजिल पानी है अगर, देना है श्रम दान। कहते कुछ विद्वान हैं, इसमें मिलता मान।। नासमझी में छोड़ते, कहते यह बेकार। दूजों को भी रोकते, समझ उसे उपकार।। मोदीकेयर ने दिया, हमको यह उपहार। रोग ग्रसित जो हैं अभी, उनका बेडापार।। धन वर्षा भी कर रहा, घुमा रहा परदेश। मोदीकेयर से मिला, हमको यह परिवेश।। उत्पादों की खासियत, पर हमको अभिमान। क्यों छोड़ें अब हम इसे, यहीं मिला वरदान।। मैं भी इसमें जुड़ गया, पाने को वरदान। सेहत भी इससे मिली, और जगे अरमान।। मोदीकेयर में बढ़ें, और कई उत्पाद। हम सबकी यह लालसा, रहे नहीं अवसाद।। मानूँ मैं देवेश हूँ, इसका ही आभार। मोदीकेयर प्राण हैं, हम सबका आधार।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मोदीकेयर #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi मोदीकेयर (दोहे) मोदीकेयर छा गया, बना यही आधार। जीवन भी सुखमय हुआ, कलयुग में अवतार।। हिय से सोचो जान लो, तुम इसके उपयोग।
#मोदीकेयर #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi मोदीकेयर (दोहे) मोदीकेयर छा गया, बना यही आधार। जीवन भी सुखमय हुआ, कलयुग में अवतार।। हिय से सोचो जान लो, तुम इसके उपयोग।
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भूल (दोहे) भूल हुई जो मान लो, पर हो छोटी जान। माफी भी तुमको मिले, और नहीं अपमान।। अपराधी में नाम हो, करो न ऐसी भूल। माफी उसकी है नहीं, लगते खुद को शूल।। भूल करो जो तुम वही, खाओगे फटकार। माफी फिर मिलती नहीं, सजा मिले हर बार।। बार बार अपराध कर, रटे भूल का नाम। मिले नहीं सम्मान है, रहता दुखी तमाम।। साधारण सी भूल पर, तुम जो करो विचार। फिर पनपेगा वो नहीं, होगा भी उद्धार।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #भूल #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry भूल (दोहे) भूल हुई जो मान लो, पर हो छोटी जान। माफी भी तुमको मिले, और नहीं अपमान।। अपराधी में नाम हो, करो न ऐसी भूल।
#भूल #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry भूल (दोहे) भूल हुई जो मान लो, पर हो छोटी जान। माफी भी तुमको मिले, और नहीं अपमान।। अपराधी में नाम हो, करो न ऐसी भूल।
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White गुरु गृह पढ़न गये रधुराई अल्पकाल विद्या सब पाई गुरू स्वरुप परब्रम्ह का क्षमा दया ज्ञान की खान कहे आशु बिनु गरू के ज्ञान नही और ज्ञान बिना उत्थान नही अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #guru_purnima #हिंदीnojoto #हिंदी_कोट्स_ #दोहे #आशुतोषमिश्रा Rajdeep Padma Solanky PФФJД ЦDΞSHI Sm@rty divi p@ndey M.k.kanaujiya Mahi - @Hardik Mahajan R... Ojha sushil Sumi Ravi Ranjan Kumar Kausik Krishna G KK क्षत्राणी PФФJД ЦDΞSHI वंदना .... Praveen Jain "पल्लव" Anudeep Mahi Subhashree Sahu a̶a̶j̶a̶d̶ p̶a̶r̶i̶n̶d̶e KRISHNA सुहानी यादें Kiຮhori (ᵔᴥᵔ) Vaibhav's Poetry Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
#guru_purnima #हिंदीnojoto #हिंदी_कोट्स_ #दोहे #आशुतोषमिश्रा Rajdeep Padma Solanky PФФJД ЦDΞSHI Sm@rty divi p@ndey M.k.kanaujiya Mahi - @Hardik Mahajan R... Ojha sushil Sumi Ravi Ranjan Kumar Kausik Krishna G KK क्षत्राणी PФФJД ЦDΞSHI वंदना .... Praveen Jain "पल्लव" Anudeep Mahi Subhashree Sahu a̶a̶j̶a̶d̶ p̶a̶r̶i̶n̶d̶e KRISHNA सुहानी यादें Kiຮhori (ᵔᴥᵔ) Vaibhav's Poetry Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
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अटल सत्य (दोहे) अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान। फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभिमान।। मोह छूटता है नहीं, अद्भुत ये संसार। अटल सत्य ये जान कर, भरते भी भण्डार।। अनदेखा इसको करें, पछताते फिर बाद। अटल सत्य को भूल कर, दिखलाते आबाद।। ईश्वर की ही देन है, ये जो माया जाल। अटल सत्य है जान लो, मौत यही विकराल।। घबराते इससे बहुत, आज सभी इंसान। अटल सत्य है क्या कहें, कहते सभी सुजान।। ............................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #अटल_सत्य #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अटल सत्य (दोहे) अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान। फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभिमान।। मोह छूटता है नहीं, अद्भुत ये संसार।
#अटल_सत्य #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अटल सत्य (दोहे) अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान। फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभिमान।। मोह छूटता है नहीं, अद्भुत ये संसार।
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मेरा अनुभव (दोहे) मेरा अनुभव कह रहा, बनों नहीं अनजान। जीवन यह संकट भरा, मत होना हैरान।। मेरा अनुभव कह रहा, ऐसा दो पैगाम। खुशियों की भरमार हो, मुख पर तेरा नाम।। मेरा अनुभव कह रहा, क्यों करते तुम बैर। संकट भी फिर घेरता, मने नहीं तब खैर।। मेरा अनुभव कह रहा, है कैसा यह दौर। मानवता को छोड़ते, करे नहीं अब गौर।। मेरा अनुभव कह रहा, सच की छोड़ें डोर। ऐसे ही गर यह चला, कैसे होगी भोर।। मेरा अनुभव कह रहा, हो सबका सम्मान। मन तेरा यह खुश रहे, दूजे का भी जान।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मेरा_अनुभव #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi मेरा अनुभव (दोहे) मेरा अनुभव कह रहा, बनों नहीं अनजान। जीवन यह संकट भरा, मत होना हैरान।। मेरा अनुभव कह रहा, ऐसा दो पैगाम।
#मेरा_अनुभव #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi मेरा अनुभव (दोहे) मेरा अनुभव कह रहा, बनों नहीं अनजान। जीवन यह संकट भरा, मत होना हैरान।। मेरा अनुभव कह रहा, ऐसा दो पैगाम।
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कलम की आवाज़ (दोहे) कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान। बल को मेरे जानकर, बनता है अनजान।। खडग काटती एक को, मैं काटूंँ सब साथ। मन में सच मेरे बसा, दुर्जन पीटें माथ।। जिसका जैसा हाथ है, कलम करे वह काम। सच से इसको प्रीत है, जिससे इसका नाम।। वही कलम से काँपते, जिनके मन में चोर। अधिकारी फिर सोचते, कैसे होगी भोर।। जिसको इससे प्रेम है, सुंदर हैं वे लोग। उत्तम वह रचना करें, करते सही प्रयोग।। कलम कहे यह जानलो, करो नहीं नाराज़। मेरी है विनती यही, सभी सुनें आवाज़।। ......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कलम_की_आवाज़ #दोहे #nojotohindipoetry nojotohindi कलम की आवाज़ (दोहे) कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान। बल को मेरे जानकर, बनता है अनजान।। खडग काटती एक को, मैं काटूंँ सब साथ।
#कलम_की_आवाज़ #दोहे #nojotohindipoetry nojotohindi कलम की आवाज़ (दोहे) कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान। बल को मेरे जानकर, बनता है अनजान।। खडग काटती एक को, मैं काटूंँ सब साथ।
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खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों ने तोड़ी कमर, बना हुआ नासूर। जीवन यह बद्तर लगे, कैसा यह दस्तूर।। दिन प्रतिदिन कीमत बढ़े, खर्चों का विस्तार। जिन्हें नौकरी है नहीं, माने दिल से हार।। खुद को भी पीड़ित करें, कुछ औरों को जान। लूट करें वे शान से, बनते हैं नादान।। खर्चों के वश में सभी, कुछ करते तकरार। जीवन में उलझन बढ़े, घटना के आसार।। यही विवश्ता तोड़ती, अपनों के संबंध। प्रेम भाव से दूर हैं, आती है दुर्गंध।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #खर्च #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों ने तोड़ी कमर, बना हुआ नासूर।
#खर्च #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों ने तोड़ी कमर, बना हुआ नासूर।
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