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OHO TALK
White मैंने अपने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया। यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है। कभी कभी यह पीड़ा असहनीय हो उठती है। मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया। यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया, तो यह जीवन व्यर्थ है। इसकी क्या सार्थकता है ? ~ Subhash Chandra Bose ©OHO TALK समय को व्यर्थ ना करें समय अनमोल है।#sunset_time , #nojohindi , #Nojoto , #viral , #nojotostreaks , #Time , #SubashChandraBose .....
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N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} ये जिंदगी तुम्हारी और ये बहुत सीमित है, पल का भी भरोसा नहीं है, इस जीवन को किसी और कि जिंदगी को जी कर व्यर्थ मत करो।। जय श्री राधे कृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #Sad_shayri {Bolo Ji Radhey Radhey} ये जिंदगी तुम्हारी और ये बहुत सीमित है, पल का भी भरोसा नहीं है, इस जीवन को किसी और कि जिंदगी को जी कर
Sangeeta Kalbhor
White मोकळ्या आकाशी.. मोकळ्या आकाशी मुक्त नभाशी हितगुज मला करावयाचे आहे व्रत करुनिया सत्त्व राखूनिया मलाच माझे व्हावयाचे आहे हवा कशाला घोर फुकाचा कोण इथे आहे का कुणाचा स्वार्थी बरबटलेल्या या जगी अर्थ समजतो कोण मौनाचा जोखड सांभाळले आजवरी दूरवरी मला फेकावयाचे आहे व्रत करुनिया सत्त्व राखुनिया मलाच माझे व्हावयाचे आहे फापटपसारा हा विचारांचा झोंबतो त्रागा किती अंतरीचा संकल्पाविना ना सिद्धी लाभते मंत्र असे हा सुखी जीवनाचा करुनिया प्रण नियंत्रित मन आता मजला राखावयाचे आहे व्रत करुनिया सत्त्व राखूनिया मलाच माझे व्हावयाचे आहे..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #Emotional मोकळ्या आकाशी मुक्त नभाशी हितगुज मला करावयाचे आहे व्रत करुनिया सत्त्व राखूनिया मलाच माझे व्हावयाचे आहे हवा कशाला घोर फुकाचा कोण
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब अपने इस अनमोल जीवन के समाप्त होने से पहले ही अपने श्रीपिरया-प्रीतम भगवान श्री राधे-कृष्ण को मन में बसा ले, तो हमने वह सब कर लिया जो हम इस धरा पर करने आए हैं, नही तो यह जीवन हमारा व्यर्थ में चला गया समझो, हम भगवतभक्ति व भगवत्प्राप्ति के लिए चूक गये, अब फिर 84 लाख योनियों में भटकने के लिए बाध्य हो गए।। ©N S Yadav GoldMine #VoteForIndia {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब अपने इस अनमोल जीवन के समाप्त होने से पहले ही अपने श्रीपिरया-प्रीतम भगवान श्री राधे-कृष्ण को म
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
Sangeeta Kalbhor
जगलेल्या क्षणांनी जागवून ठेवणे बरे नव्हे नाव प्रीतीचे गाव प्रीतीचे उमजून रडवणे खरे नव्हे कशाला हवा मार्ग परतीचा श्वास अनावर होताना लागावा की ठसका उगा ओरखडा मनावर करताना मुजून जातात खुणा व्रणाच्या घाव परी ठरलेला का म्हणून सोडावा हात हातात एकदा धरलेला सोडावा की स्वाभिमान नात्याला ह्रदयी कोरताना पाझरतील नयन आपसूकच प्रीत उरी स्मरताना जगलेल्या क्षणांनी व्हावे समजूतदार नको हट्ट उगा वाईट काळातही जगलेला क्षणच वाटतो की हो सगा काळ येवो कितीही सरसावून क्षणच होतात ढाल मनोदशा बदलायला क्षणांचीच तर ओढावी लागते शाल जगलेल्या क्षणांचा व्हावा जागर नाद मनी घुमवावा पडत्या क्षणांत असता आपण जगलेला क्षण आठवावा..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #boatclub जगलेल्या क्षणांनी जागवून ठेवणे बरे नव्हे नाव प्रीतीचे गाव प्रीतीचे उमजून रडवणे खरे नव्हे कशाला हवा मार्ग परतीचा श्वास अनावर होतान
Yogi Sonu
Yogi Sonu
बाहर की सब खोज व्यर्थ है ? बाहर ईश्वर मिल भी जाए तो क्या करोगे । वह तो भीतर ही बस्ता है ! ©Yogi Sonu #sadak बाहर की सब खोज व्यर्थ है ? बाहर ईश्वर मिल भी जाए तो क्या करोगे । वह तो भीतर ही बस्ता है !