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Yashpal singh gusain badal'
White शहीद खून की तरह बहा वो शिराओं में , सारा बदन तर कर गया, मरना कहाँ था उसे ? अमर होना था ! इसलिए शहीद हो गया, कुछ हवा बनकर महक गया, कुछ जमीं पर बिखर गया, वो चिरायु है तेरे और मेरे ख्यालों में, वो खुद को प्रेम सा गढ गया, उसने अमर बना दिया खुद को, वो जर्रे जर्रे में निखर गया, भारत माँ का सपूत है वो, मातृ चरणों में बिखर गया, चिर युवा है वो अमर है, बुढापा छू नहीं पायेगा उसे, वह अमृत रस चख गया, खून बन कर बहता है वह शिराओं में, इसलिए मातृ रज में लिपट गया। खुद को विलीन कर गया । ©Yashpal singh gusain badal' शहीद
शहीद
read moreB.P. Godara
घर में बोल बा स्यू पहचान मिल सी बारे जदे मान मिल सी घणी रुपाणी, रुप की एकता रेवेली जदे ही तो.... 8वीं अनुसूची में स्थान मिल सी । ©B.P. Godara Rajasthani दिवस
Rajasthani दिवस
read moreaapki_adhuri_baten
#सुनो में मोहताज नही हु प्रेम दिवस का, जहाँ आप साथ हो मेरे तो हर दिन प्रेम दिवस है...!! #Radha ©aapki_adhuri_baten #सुनो में मोहताज नही हु प्रेम दिवस का, जहाँ आप साथ हो मेरे तो हर दिन प्रेम दिवस है...!! #Radha
VIKHYAT REKWAR
White महात्मा गांधी शहीद दिवस और ये 20 चुनिंदा शेर.... · कभी वह दिन भी आयेगा जब अपना राज देखेंगे जब अपनी ही जमीं होगी जब अपना आसमां होगा · मेरी शहादतों का ©VIKHYAT REKWAR #sad_quotesमहात्मा गांधी शहीद दिवस और ये
#sad_quotesमहात्मा गांधी शहीद दिवस और ये
read moreMadhusudan Shrivastava
अंग्रेजों के थे पराधीन तब तंत्र भी थे उनके अधीन । देकर वीरों ने अपनी जान स्वाधीन हुए पाए थे मान।। जय लोकतंत्र जय संविधान जय लोकतंत्र जय संविधान।। प्रबुद्ध सुबद्ध सभा बैठी एक लिखित विधान बनाने को। नव सृजित राष्ट्र में जनहित को सुख और सुशासन लाने को । नेहरू, वल्लभ भाई, कलाम, अंबेडकर ने लिखा विधान ।। जय लोकतंत्र जय संविधान जय लोकतंत्र जय संविधान।। है यह अखंड एका भी है संप्रभु भी है, समता भी है । है यह तटस्थ मत–पंथों से समरस, न्यायिक प्रभुता भी है । हैं भिन्न लोग मत भिन्न मगर समभाव है इसमें विद्यमान ।। जय लोकतंत्र जय संविधान जय लोकतंत्र जय संविधान।। ©Madhusudan Shrivastava #RepublicDay गणतंत्र दिवस
#RepublicDay गणतंत्र दिवस
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
White ज़िन्दगी पूछती है ज़िन्दगी जियोगे कब। स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब। ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में - आसमाँ पर उड़ानें सपनों की भरोगे कब। आप खुद से बताओ यार अब मिलोगे कब। क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब। पालते हो क्यूँ दिल में ग़म उदास रहते हो- रंग जीवन में अपने खुशियों की भरोगे कब। जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब। दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब। कुछ नहीं मिलता है औरों के लिए जीने से- हो चुके सब के बहुत अपने बता होगे कब। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब
Ghanshyam Ratre
युवा शक्ति के प्रेरणा स्त्रोत युवा दिवस स्वामी विवेकानंद जी को शत् शत् नमन! सभी भारतवासियों को युवा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,! ©Ghanshyam Ratre युवा दिवस स्वामी विवेकानंद जी जन्म दिवस
युवा दिवस स्वामी विवेकानंद जी जन्म दिवस
read moreAnuj Ray
Unsplash समस्त नोजोतो परिवार को विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ©Anuj Ray #विश्व हिंदी दिवस
#विश्व हिंदी दिवस
read moreParasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
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