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- Arun Aarya
White अच्छे लड़के अच्छा ही रह जाते हैं , हा मग़र तन्हा ही रह जाते हैं..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #sad_quotes #तन्हा ही रह जाते हैं
#sad_quotes #तन्हा ही रह जाते हैं
read moreAnant Nag Chandan
White अश्क आँखों से गिरते-गिरते रह गए, हम ख़ुदकुशी को सोचते-सोचते रह गए। अनंत ©Anant Nag Chandan #Sad_Status अश्क आँखों से गिरते-गिरते रह गए, हम ख़ुदकुशी को सोचते-सोचते रह गए। अनंत
#Sad_Status अश्क आँखों से गिरते-गिरते रह गए, हम ख़ुदकुशी को सोचते-सोचते रह गए। अनंत
read moresanatani vikram ji
White ट्रेन की खिड़की से आँसू गिर रहे थे, बीते वादों के टुकड़े बिखर रहे थे। वो लड़की खामोश थी, दर्द कह न पाई, नज़रें झुकी थीं, पर आँखें सब सुनाई। लड़का बस दूर खड़ा देखता रह गया, दिल रोया बहुत, पर कुछ कह न सका। स्टेशन पीछे छूटता चला गया, एक प्यार था, जो रूठता चला गया। अब सिर्फ धुंधली यादें साथ रह गईं, वो ट्रेन चली गई… और मोहब्बत वहीं रह गई… 😞🥺🥀 ©sanatani vikram ji #Sad_Status धुंधली यादें साथ रह गईं😞🥺🥀
#Sad_Status धुंधली यादें साथ रह गईं😞🥺🥀
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White बड़ी शिद्दत से की थी मोहब्बत उनसे बेख़बर वो रहे तन्हा हम हो गये ©हिमांशु Kulshreshtha तन्हा हम रह गए
तन्हा हम रह गए
read moreAnamika Raj
White करीब उसके रहो, जो तुमसे दूर ना रह सके..! 💯 ©Anamika Raj करीब उसके रहो, जो तुमसे दूर ना रह सके..
करीब उसके रहो, जो तुमसे दूर ना रह सके..
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White रह रह कर घिरता है उन की यादों का घना कोहरा किस क़दर बेचैन करता है कोई उन के ख्यालों से पूछिए ©हिमांशु Kulshreshtha रह रह कर
रह रह कर
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी सुबह शाम रहती थी मेरे नाम अरमान सब के मुझसे जुड़े थे फिक्र सबकी मेरे हिस्से में थी जोड़े रहते सबको एक सूत्र में बस परिवारों की मुस्कराहट पर हम फिदा रहते थे व्यस्त हो गये सब अपने मे अब हम तन्हा अकेले इस पड़ाव पर रह गये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #tanha हम तन्हा अकेले इस पड़ाव में रह गये
#tanha हम तन्हा अकेले इस पड़ाव में रह गये
read moreVinod Mishra
Shashi Bhushan Mishra
कैसे चढ़ पायेगी सफलता की सीढ़ी, जब अवसाद ग्रस्त है आज युवा पीढ़ी, मन की उलझन से बच पाने का साधन, बना आज व्यवसाय है बिकती पंजीरी, पथ को कंटक पूर्ण देख मत घबराना, जीवन पथ की राह बहुत टेढ़ी-मेढ़ी, छद्म मान्यताओं ने जकड़े पांव यहां, दौड़ नहीं पायेगा काटे बिन बेड़ी, क्या लेकर आए क्या लेकर जाओगे, नाहक करते फिरते हो तेरी मेरी, मजदूरों ने सिखलाया पथ पर चलना, धुएं की कश में फूंक जला देता बीड़ी, मिट्टी में मिल जाता है सबकुछ 'गुंजन', रह जाता अवशेष राख बनकर ढ़ेरी, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #रह जाता अवशेष#
#रह जाता अवशेष#
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