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Parastish
White कितनी प्यारी कितनी सुन्दर कितनी अजमल वो आँखें देखे जो भी कर देती हैं उस को घायल वो आँखें दिल में पसरे सन्नाटे को बाँध के अपने पोरों से बन के धड़कन छम-छम करती जैसे पायल वो आँखें शाम सवेरे डोले ऐसे मन के वीराँ आँगन में दूर गगन में गोया कोई उड़ता झाँकल वो आँखें बचने को मुश्ताक़ जहां से मस्त रुपहली क़ामत पे शर्म हया का पैराहन या कह लो आँचल वो आँखें उन की शोख़-निगाही के अफ़्सूँ का भी है क्या कहना आलम सारा कर दे आबी बरखा, बादल वो आँखें तीर-ए-मिज़्गाँ ऐसे कितने अहल-ए-दिल नख़चीर हुए कितने बिखरे कितने तड़पे कलवल कलवल वो आँखें ©Parastish अजमल- रूपवान,अत्यधिक सुंदर गोया - मानो, जैसे । झाँकल- परिंदों का झुंड मुश्ताक़ - शौक रखने वाला, अभिलाषी रुपहली - चाँदी जैसी । क़ामत - शरीर
अजमल- रूपवान,अत्यधिक सुंदर गोया - मानो, जैसे । झाँकल- परिंदों का झुंड मुश्ताक़ - शौक रखने वाला, अभिलाषी रुपहली - चाँदी जैसी । क़ामत - शरीर
read morepuja udeshi
बदन मे फूल खिलते है कब तक जवा हो शरीर तब तक.......... बाद मे तो फूल की जगह धूल मिलती है वो भी हवा मे उड़ जाती है..... ©puja udeshi #शरीर #pujaudeshi
Rakesh frnds4ever
White कुछ तो होश रख ले ए मेरे हमदम हमनवा हमसफर हमराही हमदर्द ,,,,,,,,,,,मेरे शरीर,,,,,,,, कि इक तुझ बिन कोई मेरा अपना है भी तो नहीं इस जहां में ©Rakesh frnds4ever कुछ तो #होश रख ले ए मेरे #हमदम #हमनवां #हमसफर #हमराही #हमदर्द ,,,,,,,,,,,मेरे #शरीर ,,,,,,,, कि इक तुझ बिन
Devanand Jadhav
Rakesh frnds4ever
White वो पुरुष कैसे संभाले खुद को जो कि ना तो नशा करता है ,,,,,,,,ना ही गाली देता है जिसका न कोई संगी साथी है ,,,,,,,,,,,,न की प्रेमी न दुश्मन जिसके ना कोई अपने हैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,न कोई पराये जिसमें ना कोई चालाकी है ,,,,,,,,,,,,,,,,न कोई बेईमानी जो इस कलियुगी युग के माहौल जैसा नहीं है ,,,,, वो जो कि दिल, दिमाग ,आत्मा, तन - मन ,शरीर से इस नरकीय, क्रूर, जहन्नुम जैसी दुनिया में आर्थिक, सामाजिक ,शारीरिक, संवेदनात्मक, भावात्मक ,मानसिक बौद्धिक, संवेगात्मक, आत्मिक ,वंशानुगत, पारिवारिक आदि सभी स्वरूपों में निरंतर प्रताड़ित किया जा रहा है,,,नोचा जा रहा है,,, मारा जा रहा है,,,... कैसे संभाले वो खुद को ©Rakesh frnds4ever वो #पुरुष कैसे #संभाले खुद को जो कि ना तो #नशा करता है ना ही गाली देता है जिसका न कोई संगी #साथी है न की #प्रेमी न दुश्मन जिसके
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} पहले कोई भी जाति नही थी, सबसे पहले 4 वर्ण थे, ये सब का काम के आधार पर निर्भर था, ये तो सनातन धर्म को तोड़ने की साज़िश रची गई, सादी विवाह के लिए हम सब ने अपने आप बाट लिया, जो काम करता था, वही जाती मानली, यह सरासर गलत है, धर्म व शास्त्र विरुद्ध हैं, यह व्यवस्था है, जाति नही है, सबका शरीर परम् पिता ने बिल्कुल एक सा बनाया है, और हम सदा से सर्वदा सनातन से हैं, आगे आप सब की बुद्धि व विचारधारा हैं, दोस किसी का नही, अब हर जाति व धर्म में विवाह हो रहे हैं, पूरी दुनिया का मालिक एक और हम सब उस मालिक के, सबका खून लाल, हा विधि, विकार, विचार, रहन-सहन, भाषा और बहुत कुछ अलग हो सकता है।। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #diwali_wishes {Bolo Ji Radhey Radhey} पहले कोई भी जाति नही थी, सबसे पहले 4 वर्ण थे, ये सब का काम के आधार पर निर्भर था, ये तो सनातन धर्म को
#diwali_wishes {Bolo Ji Radhey Radhey} पहले कोई भी जाति नही थी, सबसे पहले 4 वर्ण थे, ये सब का काम के आधार पर निर्भर था, ये तो सनातन धर्म को
read moreAnuradha T Gautam 6280
#शरीर दिल के जख्म को मुस्कुरा कर छुपाई और शरीर के जख्म पर मरहम लगाई..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️
read moreRakesh frnds4ever
White मैं जो जी रहा हूं ,,,,ऐसे तो,,,,, तुम कभी एक पल भी न जी पाओगे मुझको जो तड़पा रहे हो,,सता रहे हो,,, मेरे बाद किसको सताओगे मैने अपना ,, ,, तन मन दिल दिमाग शरीर कलेजा ,,,, सब कुछ तो तुमको सौंपा है तुम्हारे सामने रखा है फिर ,, भी,,, क्या तुम सब को मैं दिखता नहीं क्यों,,,मेरा ,,,, ऐसा हाल कर रखा है क्यों मैं आखिर ,, क्या तुमको मैं सुनाई नहीं देता ,,,, मेरे बाद किसको सताओगे मेरे बाद ,,,,,,,,,,,किसको सताओगे,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever #मेरे_बाद_किसको_सताओगे #मैं जो जी रहा हूं ,,,,ऐसे तो,,,,, #तुम कभी एक पल भी न जी पाओगे #मुझको जो तड़पा रहे हो,,सता रहे हो,,,
#मेरे_बाद_किसको_सताओगे #मैं जो जी रहा हूं ,,,,ऐसे तो,,,,, #तुम कभी एक पल भी न जी पाओगे #मुझको जो तड़पा रहे हो,,सता रहे हो,,,
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