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malay_28
White कहीं तुम हो कहीं हम हैं मुहब्बत हो तो कैसे हो ख़ुदा अब दूर इंसां से इबादत हो तो कैसे हो ग़ुलामी दौड़ती खूँ में बग़ावत हो तो कैसे हो नहीं पहचान है अपनी अदावत हो तो कैसे हो बना पत्थर रहा करता नज़ाक़त हो तो कैसे हो ©malay_28 #कैसे हो
Bulbul varshney
प्रेम पत्र जब लिखा था हमने जब उनसे पहली बार पहली मुलाकात और पहली मोहब्बत का एहसास हुआ था। ©Bulbul varshney #Likho #love प्रेम पत्र लिखा है हमने।
ANOOP PANDEY
पत्र तुमको लिखा यह खता थी मेरी तुम जो समझे नहीँ वो वफा थी मेरी रात को जागकर मैंने उसको लिखा नीर- नयनों में भरकर उसको है रचा उसने अक्षर नहीँ मेरे अहसास थे जिन्हें समझे ना तुम वो ख्यालात थे तुमको सबही है यारा ओ झूठा लगा कौन कितना है टूटा ये भी ना दिखा आज आती हँसी तेरी हर सोच पर तूने जो भी किया उस हसीं खेल पर मैंने जैसा था सोचा तू वैसा ना मिला साथ रहकर मेरे ही तू दगा कर गया क्या कहूँ मैं सनम उस अजब खेल पे जिसमें खंजर अनौखा मुझी पे चला दर्द को सह गया मैंने उफ्फ भी न की ना ही आँसू बहाए ना मिन्नत ही की तू मेरी थी चाहत बस इतना हीं सुन ना मैं हर्गिज कहूँ कि मुझॆ ही तू चुन मैं वफा ,इश्क, यारा और अहसास हूँ जिस तलक तू न पहुंचे वो ख्वाब हूँ दिल यह अपना हवाले अब कान्हा के उनको चरणों में रहता मैं इक दास हूँ ©ANOOP PANDEY #पत्र💚
malay_28
लगाते रंग चेहरे पर मगर दिल में ख़लिश रहता नहीं कुछ भी असर होता किसी के सर्द पीरों का ! न जाने लोग कैसे जी रहे हैं रूह दफ़ना कर फ़क़त कुछ ऐश की ख़ातिर करे सौदा ज़मीरों का ! ©malay_28 #कैसे कैसे लोग
Dinesh Sharma Jind Haryana
उसने पूछा क्या तुम मुझे अब भी याद करते हो अब बताओ मैं उसे याद कैसे करूं जब भुला नहीं उसे ©Dinesh Sharma Jind Haryana # याद कैसे करूं
M@nsi Bisht
इकरार न मोहब्बत तो खुशनुमा कैसे होता। हमसे बढ़ कर कोई और था। तो उनसे इश्क कैसे होता। वो सुकून को ढूंढने को बिछड़ गए ,तो अब ढूंढने से सुकून कैसे होता ।। ©M@nsi Bisht #कैसे होता
Divuu.writes
हमें मोहब्बत तो अब तभी होगी गालिब जब ज़माना प्रेम पत्र वाला लौटेगा ©Divuu.writes #wholegrain प्रेम पत्र
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- अब उसे आफताब कैसे दें । प्यार का हम हिसाब कैसे दें ।। जिनको इतना पसंद करता हूँ । उनको बासी गुलाब कैसे दें ।। हुस्न की आज मल्लिका वह है । सोचता हूँ ख़िताब कैसे दें ।। चंद कतरे मिलें हमें खत में । तू बता दे जवाब कैसे दें ।। गीत जिनके लिए लिखे हम थे । हम उन्हें वो किताब कैसे दें ।। प्यार उम्र भर जवान रहता है । तू बता फिर ख़िज़ाब कैसे दें ।। हसरतें दीद की लिए दिल में । अब प्रखर ये नक़ाब कैसे दें ।। १३/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- अब उसे आफताब कैसे दें । प्यार का हम हिसाब कैसे दें ।। जिनको इतना पसंद करता हूँ । उनको बासी गुलाब कैसे दें ।। हुस्न की आज मल्लिका वह