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lalitha sai
जीवन में कुछ यादों को देखकर ऐसा लगता है... वो जिन्दा तो रहते है फिर भी लाश की तरह ही होते है...... #zindahofirbhimurdahotum #yadein बस लाश... लाश की तरह ही होते है... जीवन में कुछ किस्से.. कुछ इंसान बस लाश ही होते है.. वो जिन्दा तो है फिर
harf
करवट के बल लेटी थी पेड़ की लाश पंख फड़फड़ाती चीलें और, कांव कांव करते कौए अगवानी कर रहे थे शायद मरघट में मुर्दों की... यह देख संवेदनाओ से भर आयी आंखें नदी की। पेड़ की लाश।
Anuj Ray
जितना जिया था तेरे साथ ही बस , बाद उसके तो लाश ज़िन्दा है। चल रही है सांसे याद करके तुझे, क़ैद पिंजरे में एक परिंदा है। ©Anuj Ray #लाश ज़िन्दा है
MUKESHKumarRAJPUT57
Happy Rath Yatra तारों की रात है तेरा मेरा साथ है डरने की क्या बात है जब ऊपर वाला अपने साथ है ©mukesh kumar Vestige तारों की लाश #RathYatra2021
dilip khan anpadh
एक लाश गुजरती है ***************** हर दिन इस शहर से,एक लाश गुजरती है हर दिन इस जहन में,एक बात बिचरती है जाना ही है सभी को तो,फिर आए ही कंहा थे किस बात का गुमां था,किस बात पे फ़ना थे। अरज लिया खुशी को, घर खूब बनाया था मंसूबों के हार से ,जिस घर को सजाया था? बन बैठे थे बाहुबली,मुकद्दर को धोखा देके आज बूझ गए तो फिर से ये आह लरजती है क्या क्या था, वो संजोया, सांसों को सकूं देने उसको भी न पता था,कोई आएगा फिर लेने आज काठ के बूते में, बैचैन सा वो होगा क्या साथ लेके जाऊं,खुद से ही वो कहेगा एक फासले पे उसको,टंगी तुला मिलेगी वो बद था या था सच्चा, हर बात फिर तुलेगी वो कर्म का विधाता, फिर फैसला करेगा तू जन्म ले दुबारा, मौत फिर तुझे मिलेगा महसूसता हूँ जीवन,ये कर्ज है किसी का संजोउँ या बिता दूँ, कर सजदा उसीका दिलीप कुमार खाँ""अनपढ़"" #एक लाश गुजरती है
सत्यमेव जयते
दिल को मेरे ये एहसास भी नहीं है, कि अब मेरा मेरा यार मेरे पास नहीं है, उसकी जुदाई ने वो ज़ख्म दिया हमें, जिंदा भी न रहे और लाश भी नहीं है। ©Kumar Vinod और लाश भी नहीं है।
Anant Nag Chandan
जिसको देखो मेरे माथे की तरफ़ देखता है दर्द होता है कहाँ और कहाँ रौशन है ©Anant Nag Chandan जिसको देखो मेरे माथे की तरफ़ देखता है दर्द होता है कहाँ और कहाँ रौशन है #darkness
प्रियजीत प्रताप
तिल तिल मरते उन्मादों में, कभी भीड़ कभी वीरानों में, हाथ धरे,पग समेट लिए हों, पर्वत,वन या सुनसानों में, गिरता रक्त अलाप रहा है, छूटता प्राण प्रलाप रहा है, शिथिल पड़े शरीर के ऊपर, उड़ता गिद्ध ठठकार करे, नोचें,खाएं अपने ही मद में, कौन उनका संहार करे? कब जागे वो आग हृदय में, कौन रोके यह रक्तप्रवाह, कौन बताए इस समर शेष में, कहाँ रावण है,राम कहाँ? -प्रियजीत✍️ कहाँ रावण है,राम कहाँ...