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उमा जोशी
तरुणाई मोठी धीट भुलणार नाही आता मतदार झाला सज्ज दाखवील "त्यांना" जागा खोट्या वचनांची गाडी चालणार आता नाही श्राद्ध घालतील जर बाप दाखविला नाही तंत्रज्ञान ज्यांच्या हाती करतील सारे त्रागा मतदार झाला सज्ज दाखवील "त्यांना" जागा किती रेटणार तुम्ही स्वप्ने प्रगतीची खोटी पूर्ण करण्याला स्वप्ने इच्छा पडते का थोटी? पूर्ण करुनी वचने मग नक्की मते मागा मतदार झाला सज्ज दाखवील "त्यांना" जागा नाही साऱ्यांना मिळत अन्न वस्त्र निवाराही भूक दैन्य साचलेले घराघरातून राही काम देऊन हातांना विचारांची गाथा सांगा मतदार झाला सज्ज दाखवील "त्यांना" जागा कोणतीही असो पार्टी कोणताही असो पक्ष व्हावा विकास देशाचा हेच असो त्यांचे लक्ष्य देशभरात वाहू दे विकासाची चंद्रभागा सज्ज मतदार मग देई सिंहासनी जागा २६/ ०६/ २०२३ @१३:०० ©उमा जोशी #मतदार
Sabir Khan
उदय और अस्त का सूर्य एक समान ही दिखता है। कोई क्या समझता है, ये उस पर निर्भर करता है। जहाँ तक जागृत व्यक्ति ही सत्य को जानता है। अतः अपनी ऑखों का इस्तेमाल करें। 🙏 जागृत
जागृत
read morePushkar Sahu
अपने दिल के तरंगों को जागृत करो अपने मन से उन्हें नयी पहचान दो जागृत करो
जागृत करो
read moreEk villain
आलस्य का त्याग जागृत होना है किसी व्यक्ति के प्रगति में दूसरे लोग कम बाधक होते हैं वह स्वयं ज्यादा बाधक होता है आलस्य के चलते असफल होने पर लोग अपने भाग्य को कोसते हैं ऐसी स्थिति में व्यक्ति हीन भावना का शिकार होता है उसका आत्मबल कमजोर हो जाता है आगे किसी काम में हाथ लगाने से डरने लगता है ज्यादातर लोगों को आज का काम कल पर डालने की वजह से आज सफलता मिलती है आलस्य की आदत बचपन से ही शुरू हो जाती है स्कूली शिक्षा के दौरान छोटे से लेकर बड़े विद्यार्थी तक कल से पढ़ाई शुरू करूंगा बोलते हुए सुने जाते हैं माता-पिता या घर के सबसे बड़े सदस्य अभी तो बच्चा है कहकर उसकी आदत बिगड़ते हैं और उसमें काम डालने की आदत डेरा जमा लेती है अत्यंत निर्धन और उसमें काम डालने की आदत डेरा जमा लेती है अत्यंत निर्धन और सहायक परिवारों में दिखने में आता है कि बच्चा घर की जिम्मेदारी के साथ अपनी पढ़ाई में लगा रहता है यानी परिस्थितियों से लड़ने का बीज उसमें बचपन से पड़ जाता है नतीजा पूरी जिंदगी अपनी सक्रियता और कड़ा में था उनसे वह बालक पर मुकाम पर पहुंच जाता है जिससे लोग कल्पना तक नहीं कर सकते संत कबीर दास का एक दोहा काल करे सो आज कर आज करे सो अब पल में प्रलय होएगी बहुरि करेगा कब हर स्त्री पुरुष को याद रखना चाहिए कोई भी दौड़ रहा हो हर समय प्रतिफल का वातावरण समाज में रहा है यदि हम कुछ नया करना चाह रहे हैं तो उसमें आजकल लगाए हुए हैं तो वह नया कार्य कोई और कर बैठेगा ऐसी स्थिति में सिर्फ निराशा के अलावा कुछ हाथ नहीं लगेगा व्यक्ति जब असफल होता है तो उससे जुड़े अन्य लोगों की हदों उत्साह होते हैं रावण के मरते समय ही कहा था कि कोई काम कल पर नहीं डालना चाहिए जो सोचिए तत्काल और प्रोजेक्ट में लग जाइए आलस्य का त्याग कर कर्म में लगना ही जागृत अवस्था है ©Ek villain # जागृत अवस्था #safar
# जागृत अवस्था #safar
read moresomnath gawade
कठीण काळात इतरांकडून 'आधाराची' अपेक्षा करू नका! कारण हल्ली 'आधारकार्ड' सुद्धा सहजासहजी मिळत नाही. #आधार