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Divyanjli Verma
White झूठे, धोखेबाज, छिपे दुश्मनो और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए ©Divyanjli Verma झूठे, धोखेबाज, छिपे दुश्मनो और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए
झूठे, धोखेबाज, छिपे दुश्मनो और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए
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White झूठे, धोखेबाज, छिपे दुश्मनो और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान जी ©Divyanjli Verma झूठे, धोखेबाज, छिपे दुश्मनो और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए
झूठे, धोखेबाज, छिपे दुश्मनो और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए
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छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए ©Divyanjli Verma छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए
छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए
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झूठे,धोखेबाज, छिपे दुश्मनो और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए जय श्री राम ©Divyanjli Verma झूठे, धोखेबाज, छिपे दुश्मनो और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए...
झूठे, धोखेबाज, छिपे दुश्मनो और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए...
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छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए ©Divyanjli Verma छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए
छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए
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White छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए जय श्री राम ©Divyanjli Verma छिपे दुश्मनों और आस्तीन के सांपों से बाला जी हनुमान बचाए....
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read morevksrivastav
White करीबी रिश्तों का होना बहोत ज़रूरी है मगर रिश्तों में करीबी हो ये ज़रूरी नही ©Vk srivastav करीबी रिश्तों का होना बहोत ज़रूरी है #Quotes #Love #Poetry #Life #Shayari #vksrivastav
करीबी रिश्तों का होना बहोत ज़रूरी है Quotes Love Poetry Life Shayari vksrivastav
read moreविजय कुमार सुतेड़ी
White द्वंद लिए सौ मन मंदिर में मुग्ध हंसी भावों को लेकर जो चलते निष्काम जगत में चैतन्य खोज ही लाते हैं। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं। संशय और बंधन से उठकर काम, लोभ और मोह कुचलकर कलि के क्लिष्ट कालचक्र में भी जो धरम ध्वजा लहराते हैं। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं। घोर दंश और प्रतिकारों में जो वैरागी बने सहज मन इंद्रजीत सी आभा लेकर चिरंजीव बन जाते है। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं। लौकिक आडम्बर की जड़ता भाव शून्य में अर्पण करते जो श्लाघा की क्षुधा भुलाकर परहित मंगल गाते है। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं। जीव तत्व का दर्शन शिव में जिन्हें मिला है अंतर्मन में जगत बोध और अनुभव पाकर जो तारतम्य तर जाते है। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं।। ©विजय कुमार सुतेड़ी अभय होना
अभय होना
read moreShashi Bhushan Mishra
आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
#आस्तीन के सांप बहुत थे#
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