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"जय" - कवि

जय महेश, जय जय जट्टाल।

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Anu Aggarwal

#baisakhi को ओ जट्टा आई बैसाखी #विचार

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Shraddha Arya

♥️दिल विच रहनी बात जट्टा वे 🤍❤️ #story #ShraddhaArya #Love

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dineshbehniwal

चन्द अल्फाज मेरे जो आपसे पूछते है। मैं तेरे धरम के वहम की परत उधेड़ दूं क्या ? मैं तेरे करम की गैरत खदेड़ दूं क्या ? मैं तेरे धोखे तेरे खुदा #Poetry

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चन्द अल्फाज मेरे जो आपसे पूछते है। 

मैं तेरे धरम के वहम की परत उधेड़ दूं क्या ?
मैं तेरे करम की गैरत खदेड़ दूं क्या ?
मैं तेरे धोखे तेरे खुदा के झूठ को छेड़ दूं क्या ?
मैं तेरे मजहबी रहबरों को नथेड़ दूं क्या ?

जट्ट की शर्त है वन्दया तू हकीकत से रूबरू तो हो ! 

दिनेश बैनीवाल(जाटिज्म वाला जट्टा ) चन्द अल्फाज मेरे जो आपसे पूछते है। 

मैं तेरे धरम के वहम की परत उधेड़ दूं क्या ?
मैं तेरे करम की गैरत खदेड़ दूं क्या ?
मैं तेरे धोखे तेरे खुदा

MANJEET SINGH THAKRAL

इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है। सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा) ने अंग्रेज़ों के तीन काले कृषि क़ानूनों क #Sunrise #विचार #kisanandolan #IndiaWithFarmers #KisanNahiToDeshNahi

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इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है। सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा) ने अंग्रेज़ों के तीन काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन खड़ा किया था, जिन्हें बाद में अग्रजों को वापस लेना पड़ा। अगर अंग्रेज उन क़ानूनों को वापस नहीं लेते तो ज़मींदार अपनी ही ज़मीन पर मज़दूर हो जाते। “पगड़ी संभाल जट्टा” इस आंदोलन का नारा बना।
आज़ भी कमोबेश हालात वही हैं, वही तीन काले क़ानून आज हैं, बस अंग्रेज़ों की जगह उनके नौकर आ गये हैं।
#KisanNahiToDeshNahi
#IndiaWithFarmers #KisanAndolan

©MANJEET SINGH THAKRAL इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है। सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा) ने अंग्रेज़ों के तीन काले कृषि क़ानूनों क

dineshbehniwal

#खत_जिसने_अंधेरे_भी_रोशन_कर_दिये एक मित्र अपना साथ ही पोस्टेड था वो अक्सर शाम को प्रेक्टिस के बाद मेरे पास आकर बैठता था बहुत सारी बाते होती #कीमत_खुशी_की #जरूर_पढ़ें

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#कीमत_खुशी_की    #जरूर_पढ़ें

#खत जिसने अंधेरे को रोशन कर दिया 

एक मित्र अपना साथ ही पोस्टेड था वो अक्सर शाम को प्रेक्टिस के बाद मेरे पास आकर बैठता था बहुत सारी बाते होती थी ,उसके एक लड़की थी दूसरी खुशी उसके घर गूंजने वाली थी ।अब उसने एक बार जिक्र किया था कि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में अमुक तिथि बताई है मेरे ध्यान नही रहा ।

3 दिन मैंने महसूस किया कि भाई कुछ उदास है और मेरे पास भी नही आता ,ओर फोन भी बन्द कर रखा है में उसके पास गया वो मोबाइल में गाने लगाकर मुँह ढककर सो रहा था। 

मैने उसको उठाया उसने ड्रिंक की हुई थी उस से पहले मैंने उसे कभी ड्रिंक हुए नही देखा था क्योंकि वो एक अच्छा खिलाड़ी था,मैंने उस से पूछा भाई क्या बात है घर तो सब सही है वो फफक कर रो पड़ा और मुझ से लिपट गया ,बोला भाई बहुत बड़ी गलती हो गई मुझे अब ये सांस भी बोझ से लग रहे है। 

मैं घबरा गया खुद को सम्भालते हुए बोला क्या बात हुई है यह बता ,वो बोला भाई 3 दिन पहले बेटी जन्मीं है घर ,मुझे घर से फोन आया था फिर पता नही क्यों मुझे कुछ मायूसी हुई और ग्राउंड में सभी आपस मे बात करते रहते है किसी अफसर के बारे में कि उसमे दम नही है इसीलिए उसके बेटी ही बेटी है। वो सभी इसी तरह की बात करते है रोज मुझमें हिम्मत नाम की कोई चीज नही बची ,कि में अपनी बेटी के जन्म की खुशी कैसे मनाऊ ,बुरे बुरे ख्याल लोगो की बाते,दुनियादारी के माहौल ने मुझे तोड़ दिया ।जिस तरह आज कल की बेटियां आज़ादी के नाम पर कैसे माँ बाप के अरमानों को कुचल रही है ।
ओर में छुट्टी सैंक्शन होने के बाद भी घर नही जा पाया ,अब अपनी बेटी की माँ को कैसे मुँह दिखाऊंगा कि उसके शारीरिक कष्ट दुख दर्द में मैं उसके पास मौजूद नही रहा ,कैसे उसका सामना करूँगा ,कैसे उसकी नजरो से नजर मिला पाउँगा ,मुझे बचा ले भाई में कुछ गलत कदम न उठा लू,

में असमंजस की स्थिति में था क्योंकि कुछ ऐसा ही वक़्त में अपनी जिंदगी में पहले देख चुका था मैंने उस भाई से पूछा कि तुझे क्या तकलीफ है असली वजह बता ,भाई बोला तकलीफ यही है कि मुझसे गलतीं हो गई कि में इतने जरूरी वक़्त में अपनी जीवनसंगिनी के पास मौजूद नही रहा ,बस अब इस गलतीं को सुधारने का मुझे कोई रास्ता नजर नही आ रहा है। 

मैं बोला उस से तूने फोन बंद कर रखा है तेरे घरवाले कितने परेशान होंगे ,बोला मैने चचेरे भाई को बता दिया कि ड्यूटी में बाहर गया हूँ 5 दिन बाद घर आ जाऊंगा ,बस भाई घर कैसे जाउँ उसका कैसे सामना करू ।

मैंने उसको बताया एक रास्ता है तू कल सुबह निकल तेरी छुट्टी सैंक्शन हो रखी है, आधी रात तक तू घर पहुँच जाएगा घर किसी को फोन मत करना रात को पैदल जाना ,ओर एक खत लिख अपनी पत्नी के लिए ओर उस खत को रात में जाकर अपनी पत्नी के सिरहाने रख देना ,

ओर घर के अलग हिस्से में जाकर सो जाना ,सुबह का उजाला तेरे मानसिक अंधेरे को दूर करके नई ताकत देगा ,आजमा लेना जा अपने भाई दिनेश बैनीवाल जट्ट की बात को , 

अब भाई बोला कि आप ही लिख दो भाई में आपकी बात से सहमत हूँ ,मेने लिखा 

मन(काल्पनिक नाम उसकी पत्नी का) मुझे माफ़ कर देना ,मुझसे जो गलतीं हुई है ,मुझे पता है में आपका गुनहगार हूँ मेरे बिना आपका हर एक पल दर्द के साथ दुख और चिंता में बीता होगा , मन मुझे माफ़ कर देना आपको पता है मैने आज तक कभी आपसे गलत व्यवहार भी नही किया होगा ,दुनियादारी की बातों और माहौल ने मुझे तोड़ दिया था ,आज कल के बच्चो के बर्ताव से में डर गया था लेकिन हम साथ मिलकर अपनी बेटियों को अच्छा संस्कारिक पारम्परिक बनाएंगे मर्यादा ओर आज़ादी में भरोसा पहले बताएंगे ।
मन आप बस मुझे माफ़ कर दो अब जिंदगी भर आपको ओर अपनी प्यारी बेटियों को उदास नही होने दूंगा ,बस इस गलतीं को माफ कर दो ।

इस पत्र को लिए वो रात में 2.10 को घर पहुँचा ,धीरे से दरवाजा खोला ओर छोटे बल्व की रोशनी टिमटिमा रही थी कमरे में उसने धीरे से वो पत्र पत्नी के सिरहाने रखा और जाकर दूसरे कमरे में लेट गया ,

सुबह जागते जागते हुई कि कैसे सामना करूँगा तभी उसकी माँ ने आवाज लगाई बोली भाई मन बुला रही है सुन ले ,
वो इसी पल के इंतजार में कब से तन्हाइयों में घुट रहा था जमीन में नजर गड़ाए कमरे में घुसा ,

मन बोली कि देखो कैसे हँस रही है आपकी नटखट बेटी गोदी नही खिलाओगे इसको ,दोनो पति पत्नी की आंखों में आँसू थे लेकिन वो एक खामोश तूफान के बाद सुकून ओर खुशी के आंसू थे ,
उसने अपनी नन्ही बेटी को उठाया और आंसुओ से भरी आँखों भर्राई आवाज में उसको प्यार से आवाज लगाई, अपनी पत्नी के बराबर में बेटी लो सुलाकर दोनो को बाहों से भर लिया ,

मन बोली कि इसका असली जन्म आज हुआ है क्योंकि इसकी माँ को आज मातृत्व सुख मिला है आज मुझे महसूस हुआ कि हाँ आज आई है खुशी हमारे घर मे ,उनकी बड़ी बेटी यह दृश्य देखकर मुस्कुरा रही थी।

जन्म की खुशी तब होती है जब प्यार निश्वार्थ निष्पक्ष हो मैं भी जन्मदिन नही मनाता हूँ लेकिन आज आप सभी के प्यार ने मुझे एहसास कराया है कि हाँ यह अपनापन,भाईचारा,ओर भरोसा एक डोर है जो कौम जाट नस्ल के नाम से हम सभी मे बंधी है ।आज मुझे असली खुशी की कीमत का एहसास हुआ है कसम है पुरखो की इस भरोसे को कभी भी धूमिल नही होने देंगे ।निश्वार्थ निष्पक्ष किरदार के साथ इस कौम की एकता और उत्थान के लिए सभी मिलकर डटे रहेंगे, जुटे रहेंगे ।

उसने उसी दिन मुझसे 1 घण्टा फोन पर बात की ओर उसकी खुशी बता रही थी कि हमे अपने दुखों ओर दर्दो को अपने साथियों से साझा करना चाहिए शायद कोई राहत का रास्ता मिल जाये ।

दिनेश बैनीवाल(जाटिज्म वाला जट्टा) #खत_जिसने_अंधेरे_भी_रोशन_कर_दिये

एक मित्र अपना साथ ही पोस्टेड था वो अक्सर शाम को प्रेक्टिस के बाद मेरे पास आकर बैठता था बहुत सारी बाते होती

dineshbehniwal

#जब_बिखर_जाओगे_तो_कहा_जाओगे रात के 1 बजे होंगे एक बड़े बंगले के पास खड़े प्रेमी युगल डोर बैल बजा रहे थे,यहां तक कि गेटकीपर भी घोड़े बेचकर अं

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 #जब_बिखर_जाओगे_तो_कहा_जाओगे 

रात के 1 बजे होंगे एक बड़े बंगले के पास खड़े प्रेमी युगल डोर बैल बजा रहे थे,यहां  तक कि गेटकीपर भी घोड़े बेचकर अं
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