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XYZ INDORI
इंदौर में सोहन नाम का एक व्यक्ति रहता था जिसके दो बच्चे थे जिनका नाम करण और आकाश था करण बहुत ही शरारती बच्चा था और आकाश पढ़ाई में बहुत ही ध्यान लगाता था एक समय की बात थी करण पढ़ाई नहीं करता था तो उसके पापा बहुत उसे मारते थे पीटते थे जभी भी वह पढ़ाई नहीं करता था उसके पापा ने उसे हॉस्टल में डाल दिया। आकाश पढ़ाई में मन तो लगाता था पर बहुत ही कम उसके पापा उसकी सारी बातें सुनते थे उसे बहुत ही आगे बढ़ाने के लिए उसके पापा अपने सपने संजोए रखते थे पर वहां कम उम्र में ही शराब सिगरेट और अनेक प्रकार की नशे के नशे का आदी हो गया जब उसके पापा को पता चला तो उन्होंने कुछ नहीं कहा क्योंकि उसके पापा को आकाश पर बहुत भरोसा था परंतु आकाश 12वीं पास हो गया उसके बाद कॉलेज गया और वहां पर भी शराब का सेवन करता था उसे कॉलेज से भी निकाल दिया था परंतु उसके पापा को बहुत ही विश्वास था कि मेरा बच्चा यह नहीं कर सकता और आकाश अब छुप छुप कर नशे का सेवन करता था अब वह अपनी कॉलेज पास कर ली और उसे नौकरी कोई नहीं दे रहा था क्योंकि उसके चरित्र अच्छा ना होने के कारण और शराब का आदि होने के कारण और शराब की बदबू आने लगती थी इसलिए उसे नौकरी नहीं मिली और उसके पापा ने उसे मजदूरी करने लगा दिया आकाश का भाई हॉस्टल में बहुत ही शरारती के कारण वहां खेलकूद मैं बहुत ही आगे था और हमेशा अनेक इनाम ट्रॉफी जीत कल आता था और एक दिन वह मध्य प्रदेश राज्य मैं उसे क्रिकेट मैच के लिए बुलाया और वह प्रथम आया और उसकी टीम जीत गई उसे सरकार द्वारा 50,000 का इनाम दीया और उसे इंडियन लेवल पर आगे जाने के लिए प्रोत्साहित किया एक समय मैं करण इंडियन लेवल पर और अंतरराष्ट्रीय लेवल पर उसने बहुत ही सारी ट्रॉफी जीती और भारत के भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया उसके पापा कम उम्र में ही उससे रिश्ते नाते तोड़ दिए थे एक दिन जब वहां अपने घर आया तो पापा ने उसे नहीं पहचाना उसने बोला कि आप कौन हो बच्चे की आंखों में आंसू भर आए रोते हुए बोला पापा आपने मुझे नहीं पहचाना मैं करण हूं आपका वही शरारती बच्चा आज मैं इंदौरी क्रिकेटर के नाम से पूरे अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में मेरी प्रसिद्धि है । और उसके पापा रोते हुए बोले बेटा मुझे माफ कर दो मेरे से गलती हो गई मुझे दोनों पर बराबर ध्यान देना था आज तूने मेरा नाम गर्व से ऊंचा कर दिया। दोस्त आपको यह कहानी कैसी लगी और इस से क्या शिक्षा मिली है आप अपने कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं मैं आपके लिए ऐसी अनेक सारी कहानियां लाता रहूंगा। ©Ranvijay indori #शिक्षा पर कहानी भेदभाव की कहानी
Ek villain
नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए नया राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है इस संबंध में डॉक्टर के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में एक समिति विचार विमर्श कर रही इसमें बचपन से ही बच्चों में वैज्ञानिक सोच के विकास पर ध्यान दिया जाएगा साथ ही बच्चों में गणना संबंधित सोच पर तर्क करने की क्षमता पर भी खास ध्यान दिया जाएगा इसमें मौलिक कर्तव्य का अधिकार से जुड़े आयाम शामिल होंगे लेकिन इन तमाम बातों के बीच एक अहम विषय की कोई चर्चा नहीं हो रही हम बात कर रहे हैं नैतिक शिक्षा के अनिवार्य शिक्षण के रूप में रूपरेखा के निर्माण दरअसल नई शिक्षा नीति और अनिवार्य पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को शिक्षण विषय के रूप में शामिल करने की कोई बात नहीं कही गई है जबकि नैतिक शिक्षा के सामाजिक मूल्यों की स्थापना का सशक्त माध्यम होती है यह स्वीकार करना पड़ेगा कि अब तक हमारी शिक्षा प्रणाली मानवीय मूल्य और नैतिक चरित्र काम करने में कहीं ना कहीं नाकाम रही है यह वजह है कि रिश्तो के तत्वों का अभाव परिलक्षित हो रहा है हर रोज अखबारों की खबरें नाम देने में काफी उच्च शिक्षित होने का दम भरने वाले समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार की आधी किसी तरह से समाज को खोखला कर रहे हैं समाज में आज हर जिम्मेदार नागरिक स्वयं को आता है क्योंकि इस बात से कभी घोर अपराध से कटता सजा प्रावधान है कानून की सख्ती है फिर भी अपराधों के ग्राफ में हो रहा है संजय आगे अपराध बढ़े सी दिशा में हमें अन्य बातों पर विचार करना होगा जो समाज के अपराध मुक्ति में सहायक हो इस स्थिति में शिक्षा के संबंध को देखना महत्वपूर्ण हो जाता ©Ek villain #नैतिक शिक्षा की उपादेयता #Love
SK Poetic
आचार्य विनोबा भावे अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने विभिन्न धर्मों, मत-मतांतरों के साहित्य का अध्ययन किया था। बड़े-बड़े शिक्षाविद् ज्ञान का लाभ अर्जित करने उनके पास आया करते थे । विनोबाजी संस्कारों को सबसे बड़ी धरोहर मानते थे । एक बार महाराष्ट्र के किसी विश्वविद्यालय में उन्हें आमंत्रित किया गया। विनोबाजी वहाँ पहुँचे। उन्होंने प्राचार्य से बातचीत के दौरान पूछा, ‘विश्वविद्यालय में किस किस विषय के अध्ययन की व्यवस्था है ?’ उन्हें बताया गया कि विभिन्न भाषाओं, गणित, विज्ञान तथा अन्य विषयों का अध्ययन कराया जाता है। विनोबाजी ने पूछा, ‘क्या छात्रों को नैतिक शिक्षा देने की भी व्यवस्था है ?’ उन्हें बताया गया कि ऐसी व्यवस्था नहीं है । विनोबाजी ने पूछा, ‘क्या छात्रों को केवल धनार्जन के योग्य बनाने की शिक्षा देना ही पर्याप्त है ? क्या उन्हें सच्चा मानव, सच्चा भारतीय बनाना आप आवश्यक नहीं समझते? यदि छात्रों को अच्छे संस्कार नहीं दिए गए, उन्हें अच्छा मानव बनाने का प्रयास नहीं किया गया, तो युवा पीढ़ी अपनी प्रतिभा व शक्ति का राष्ट्र व समाज के हित में ही सदुपयोग करेगी, इसकी क्या गारंटी है ? मेरे विचार में तो सबसे पहले बच्चों व युवक-युवतियों को आदर्श मानव बनने के अच्छे संस्कार दिए जाने चाहिए । संस्कारहीन व्यक्ति तो ‘धनपिशाच’ बनकर समाज को गलत दिशा में ही ले जाने का कारण बनेगा। ‘ विनोबाजी की प्रेरणा से विश्वविद्यालय में छात्रों को नैतिक शिक्षा दी जाने लगी । ©S Talks with Shubham Kumar #guru नैतिक शिक्षा का महत्त्व
Devvarsha Chaurasia
डॉट रहे थे लोग ने उसको , वो डर से सड़क पर खड़ी थी । एक कापी के पेज लिए वो सड़क पर पड़ी थी नन्ही मुठ्ठी मै दबाए एक रंगीन कागज का टुकड़ा था । वह छोड़ना नहीं चाहती थी पर उसको लोगो ने फटकारा था इच्छा उसकी कुछ खींचने की लेकिन शब्दों से अनजानी थी उसकी आंखो मै सपना न कोई दिखाई दे। देख कर उसकी अभिलाषा मैंने एक निर्णय किया , शिक्षा प्रबंध कुछ हो इसका येसा संकल्प लिया। गरीब की बेटी की शिक्षा हो पूरी मैंने येसा कदम उठाया बस ये मन की इच्छा किसी नन्ही कलि को सड़क पर न आना पड़े , शिक्षा हो सबकी पूरी....। आखिर तो बेटी तो बेटी होती है आपकी हो या हमारी ।। ( सच्ची कहानी ) जय श्री कृष्णा ©Varsha Chaurasia शिक्षा सच्ची कहानी
Arya Arys
मै ,मै ना रहा ।। तेरे जाने के बाद 😪 तू नहीं बदली, मेरे लाख रिझाने के बाद। #छोटी सी कहानी