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Shailendra Singh Yadav

शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।

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अब नहीं हैं।
दिखते वो जो साथ।
रहते थे।
उम्मीद थी कभी।
वो साथ देंगे पर।
दूर हो गये।
कविः-शैलेन्द्र सिंह यादव,कानपुर। शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।

Shailendra Singh Yadav

शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।

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अधर होंठ रदच्छद ओष्ठ रदपुट ओठ।
अधिकार आधिपात्य हक स्वत्व प्रभुत्व स्वामित्व।
आचार्य गुरू शिक्षक अध्यापक प्रवक्ता  व्याखाता।अनाज शस्य धान्य गल्ला अन्न।
अनार दाडिम शुक्रबीज रामबीज।
अनी सेना चूम कटक दल फौज।
अनुपम अद्भुत अनूठा अपूर्व अद्वितीय अप्रितम अनोखा।
अनुवाद उत्था भाषान्तर तजुर्मा।
अनेक एकाधिक नाना अनेकानेक कई ।
अन्धा प्रज्याचक्षु अन्ध सूरदास चक्षुविहीन नेत्रहीन।
कवि:-शैलेन्द्र सिंह यादव( राजू), कानपुर।

©Shailendra Singh Yadav शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।

Shailendra Singh Yadav

शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।

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दीन दुखियों।
पर तरस आता।
नहीं है क्यों उन्हे।
वो सिर्फ धन।
को माँ बाप मान
बैठे हुये हैं। 
कवि:-शैलेन्द्र सिंह यादव,कानपुर। शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।

Shailendra Singh Yadav

शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता

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दिल भी वही ।
तोड़ने वाले वहीं।
तोड़ ही दिया।
कसूर  किस।
ने किया सजा मिली।
किसे मंजूर।
दौलत की ही।
बदौलत उसने।
दिल है तोड़ा।
कविः-शैलेन्द्र सिंह यादव शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता

Shailendra Singh Yadav

शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता

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उम्मीद है कि एक दिन मंजिल मिल जायेगी।
मुरझाई कलियाँ भी एक दिन खिल जायेंगी।
जिन्दगी जब तक है उम्मीद का दामन नहीं है छोड़ना।
चाहे कितने भी हो दुश्वारियाँ प्यार का रास्ता नहीं है छोड़ना।
कविः-शैलेन्द्र सिंह यादव शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता

Shailendra Singh Yadav

शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता

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ये उजाला प्यार पल पल बढ़ता जायेगा।
ये ज्यों ज्यों बढ़ेगा जैस जैसेे दिन चढ़ता जायेगा।
एक बार यह बढ़ गया यह फिर न घटता जायेगा।
आशिकों के सिर चढ़कर बोलेगा इश्क ज्यों ज्यों वक्त गुजरता जायेगा।
कविः-शैलेन्द्र सिंह यादव शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता

Shailendra Singh Yadav

शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।

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तम तिमिर ध्वान्त अँधकार अंधेरा ।
अभिव्यक्ति प्रकटन प्रकाशन स्फूटीकरण स्पष्टीकरण कब आयेगा सवेरा।
कविः-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।

Shailendra Singh Yadav

शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता

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दैत्य राक्षस रात्रिचर दानव दनुज इन्द्रारि आशर असुर।
पीयूष सुधा अमित जीवन जीवनोदक अमिय अमृत असर।
कविः-शैलेन्द्र सिंह यादव 
   #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता

Shailendra Singh Yadav

शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।

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अंग टूटा अंग लगे अंग गिरा अंग अंग ढीला हुआ अंग फड़के अंग अंग फूले न समाये ।
अंगार सिर धरे अंगार बरसे अंगार उगले अंगारों पर लोटे अंगारों पर पैर रखे जाये।
अंगुली पर नचाये अंगुली पकड़कर पहुंचा पकड़े आंगूठा चूमे अंगूठा दिखाये।
अंगूठी का नगीना अंगूठे पर मारा अंगूर खट्टे हुये अस्थि पंजर ढीले हुये अंतड़ियाँ गले पड़ी अंधाधुंध लुटाये।
अंतड़ियों में बल पड़ा अंधेरे में रखा अंधेरे घर का उजाला अंधेरे में तीर चलाये।
अक्ल का दुश्मन अक्ल का पुतला अक्ल का अंधा अक्ल के पीछे लाठी लिये फिरे अक्ल चकराये।।
कवि:-शैलेन्द्र सिंह यादव (राजू ),कानपुर।

©Shailendra Singh Yadav शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।

Shailendra Singh Yadav

शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।

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मायूसी क्यों है।
उदास हर कोई।
परेशान है।
रिश्ते जुड़ते।
नहीं टूट जाते हैं।
तोड़ना आसान।
फिक्र किसको।
दिल में जो फर्क है।
नफरत है।
कवि-शैलेन्द्र सिंह यादव,कानपुर। शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता।
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