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Safar Ka musafir
मिल के कुछ ऐसा कमाल दिखाते है, जगमग हो जहां हमारा , आओ मिलकर दीपक जलाते है। आप भी आओ।।।
आप भी आओ।।।
read moreअज्ञात
पेज-21 एक ओर जहाँ शुभ सगुन दिखाई देने लगे थे लड़की के पिता का मन पूरी तरह से संतुष्टि के अंतिम शिखर को पा चुका था, अब कोई जिज्ञासा नहीं केवल इसके की जल्द से जल्द अपनी बिटिया का ब्याह होते देखे... वहीं दूसरी ओर कथाकार की दृष्टि रत्नाकर कालोनी में दो नये सदस्यों के आगमन पर पड़ी.. कहते हैं निःस्वार्थ भाव से किये गये कर्मो का फल भी परमानंदित करने वाला होता है, कालोनी का संगठित सकारात्मक प्रभाव और सभी रचनाकारों का एक दूजे के प्रति समर्पित प्रेम सम्मान और विनम्र स्वभाव ने सबका मन मोह लिया कालोनी भी नित नव अपनों को पाकर धन्य धन्य हो रही थी...ईश्वरीय कृपा से इस कालोनी का भाग्योदय होने लगा.. जिन दो सदस्यों को कथाकार अपनी कालोनी का हिस्सा बनते देख रहा है वह नोजोटो ऐप में अपनी रचनाओं कलाओं के दम पर इतिहास रचते हैं... ऐसे ही रचनाकारों में जाना माना नाम "चंद्रमुखी मौर्य जी", और "प्राजू उर्फ़ प्राजक्ता जी " इनके बारे में कथाकार ने मन बनाया सभी नवागंतुक रचनाकारों को उनके रचनात्मक परिचय से नवीन रचनाओं के माध्यम से कालोनी को विस्तार से बताएगा फ़िलहाल दोनों सहज स्वभाव मिलनसार रचनाकारों का रत्नाकर कालोनी भव्य स्वागत कर कथाकार अपनी कथा आगे बढ़ाता है.. संध्या बेला में राकेश गेस्टहॉउस पहुंचा जहाँ एक पिता राकेश से कुछ चर्चा करने को बड़े ही बेसब्र दिखाई दे रहे थे, राकेश ने उन्हें प्रणाम किया और पूछा- राकेश-जी, आदेश करें आदरणीय.. क्या बात है जो इतने आतुर भाव से याद किया..!🙏🙏 जे एल जी- महानुभाव.., मेरे पास शब्द ही नहीं बचे कुछ कह पाऊं...! मानो मुझे वो जमाता मिल गया हो जिसकी केवल में कल्पना ही करता था..! अब आप उचित परामर्श दें कैसे हम अपनी बात उन तक पहुंचायें..! राकेश-जी ये बड़ी खुशी की बात है कि मानक आपको पसंद आ गया उसका घर परिवार आपको भा गया, आपकी तरफ से एक जिज्ञासा और थी..! जे एल जी- जी कहिये ना.. ! राकेश-अपनी बेटी से और पूछ लीजिये क्या उसे लड़का पसंद आया है...! जे.एल जी-अर्रे रे रे.. अभी लीजिये... बेटा मनीषा.. !जरा इधर आओ.. और आप भी आओ हमारी धर्मपत्नी जी.. ! [पिता के पुकारते ही दोनों आकर राकेश को अभिवादन करते हैं..और पिता के पास बैठ जाते हैं.. ] राकेश-जी, बेटी की माता जी को पसंद है मानक.. ! माता जी- जी जिस कालोनी में इतने प्यारे प्यारे सतकर्मी सज्जनों का डेरा है वहाँ के बारे में भला किसे संदेह होगा.. मेरा मन तो पहली बार में ही यहाँ बेटी ब्याहने का हो गया था पर, ये पिता हैं ना.. ! जब तक ये पूरी तरह संतुष्ट नहीं होते तब तक हम आगे कैसे बढ़ सकते थे.. ! राकेश-जी बिलकुल सही कहा आपने, मनीषा जी क्या आपने मानक की तस्वीर देखी है... मेरा भाई लाखों में एक है... बड़ा भाई मानता है मुझे.. !कहता है आप जो निर्णय लोगे मुझे सिरोधार्य होगा.. आज के समय में जहाँ सगे भाइयों में जंग देखने को मिलती है वहाँ सोशल मीडिया में ऐसे भाई मिलना असम्भव नहीं तो दुष्कर जरूर है... अरेरे रे... आपकी आँखें नम क्यूँ हो गईं... क्या मैं कुछ गलत कह गया... प्लीज... आप ऐसे रोइये नहीं.. ! अब आगे पेज-22 ©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी एक ओर जहाँ शुभ सगुन दिखाई देने लगे थे लड़की के पिता का मन पूरी तरह से संतुष्टि के अंतिम शिखर को पा चुका था, अब कोई जिज्ञास
Rachna Mishra
"अब तो दिल भर गया होगा मुझे सताने से चलो अब लौट भी आओ किसी बहाने से! " लौट भी आओ
लौट भी आओ
read morevivek kumar krishn
कोई दुश्मन ठेस लगाये, तो मीत जिया बहलाये मनमीत जो घांव लगाये उसे कौन मिटाये? #अब लौट भी आओ
#अब लौट भी आओ
read moreकवि शशांक शेखर त्रिपाठी
अपना समय अब बीत चुका है, अब तो नाराजगी हटाओ ना सुनो कल कालेज खुल रहा है तुम भी कालेज आओ ना । एक दिन गया था मैं अपने बीएड वाले क्लास में घूमते घूमते बच्चे बहुत मिले वहां पर गीत गुनगुनाते हुए मगर कोई अपना नजर नही आया कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है यह गीत फिर से सुनाओ ना सुनो कल कॉलेज खुल रहा है तुम भी कॉलेज आओ ना। सीढ़िया कॉलेज की जाने क्यों रुलाती रहती हैं तुम्हारे हाथ की बनी हुई लालमोहन आज भी तुम्हारी याद दिलाती रहती है फिर से 3 दिन की सड़ी हुई लालमोहन खिलाओ ना सुनो कल कॉलेज खुल रहा है तुम भी कॉलेज आओ ना । अब जब भी आता हूँ कॉलेज में एक याद रुलाकर चली जाती है अब राकेश सर की आवाज कहीं नजर नही आती है अजित पाण्डेय की कविता रणविजय की लेक्चर अब कहाँ खो जाती है विपिन की मस्ती उत्तिम की शरारत फिर से लौटाओ ना सुनो कल कॉलेज खुल रहा है तुम भी कॉलेज आओ ना तुम्हारे लिए मैं हमेशा खड़ा था बेवकूफ नही था जो तेरे लिए सबसे लड़ा था । लड़कियों की बेइज्जती मैं कैसे सह सकता था । जो कभी मेरा था वो मेरे सामने किसी और का रखैल कैसे बन सकता था मेरी मोहब्बत मुझे फिर से लौटाओ ना सुनो कल कॉलेज खुल रहा है तू भी कॉलेज आओ ना । शशांक शेखर त्रिपाठी तुम भी कॉलेज आओ ना
तुम भी कॉलेज आओ ना #कविता
read moreEr.Shashank Shekhar
बहुत याद आएँगें हम उस दिन जिस दिन हम सिर्फ एक याद बन कर रह जाएँगे ।। #NojotoQuote अब लौट भी आओ न
अब लौट भी आओ न
read moreJeet
🙇 Mera तो एक ☝️ही वसूल हैं.. Pyar ❤️ हद से jyada 😘 🤣 और Nafrat 😠 उस से भी jyada..! -RANJIT... तुम भी हम भी आओ साथ खेलते हैं
तुम भी हम भी आओ साथ खेलते हैं
read moreगुमनाम शायर
आप में ही अन्त आप में ही मेरा साया हैं सब कुछ तो हमने आप से ही तो पाया है कुछ भी तो नहीं हमारा हममें फिर भी ना जाने किसी झूठी शान में हमने खुद को फसाया है।। ©Shurbhi Sahu आदि भी आप अंत भी आप
आदि भी आप अंत भी आप #Motivational
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