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Chandan Kumar
Indian Kanoon In Hindi
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Shravan Goud
रिश्तेदारो को हमेशा खुश रखने के लिए उनकी हां में हां मिलाइए। जो ऐसा नही करेंगे तो रिश्तेदार आपको बदनाम कर देंगे। स्वाभिमानी व्यक्ति ऐसा नही कर सकता। इसका एक ही उपाय है रिश्तेदारों को सीमित कर दो याने रिश्ता मत रखो। यह कदम आगे चलकर सही और साहसी साबित होगा। रिश्तेदारो को हमेशा खुश रखने के लिए उनकी हां में हां मिलाइए। जो ऐसा नही करेंगे तो रिश्तेदार आपको बदनाम कर देंगे। स्वाभिमानी व्यक्ति ऐसा नह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
हाथ से जाम जब उठाए हम । घर न क्यों यार को बुलाएँ हम ।। १ कर गई इश्क़ में दगाबाजी । ज़ख़्म फिर क्या उसे दिखाएँ हम ।। २ गिर गये जब नजर से तेरी । तो सुनो क्या नजर मिलाएँ हम ।। ३ देख उनको उड़े परिंदे भी । तू बता जाल क्या बिछाए हम ।। ४ हाथ देखा यहां नमक उनके । जख़्म अपने तभी छुपाए हम ।। ५ अब प्रखर देखकर हसी रुख को । यह कदम भी नही बढ़ाए हम ।। ६ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हाथ से जाम जब उठाए हम । घर न क्यों यार को बुलाएँ हम ।। १ कर गई इश्क़ में दगाबाजी । ज़ख़्म फिर क्या उसे दिखाएँ हम ।। २ गिर गये
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- व्याकुल मन कहते किसे , पूछो हमसे आज । जब भी जाता पास में , कहता आती लाज़ ।। व्याकुल मन कहते किसे.... साँसों में वह घुल रही , थोडा थोडा रोज । जिससे जीवन में हुआ , देखो मेरे ओज ।। मिलते निशिदिन स्वप्न में , ले बाहों का हार । जाता हूँ मैं भूल फिर , यह प्यारा संसार ।। आज प्रीत के बोल पे , छेड़ रही ऋतु साज ।। व्याकुल मन कहते किसे ... रूप उसी का देखकर , आ जाता है प्यार । उस पर अब यह चाँदनी , करती हमपर वार ।। चल पड़ते हैं यह कदम , करने को मनुहार । नींद नही बोझिल लगे , होते जब दीदार ।। उनके आना की खबर , होती निशिदिन राज । व्याकुल मन कहते किसे... रहता है प्यासा जिया , धड़कन है बेचैन । ऐसे उठती है कशक , कैसे समझे बैन ।। बोल सभी मन को चूभे , जैसे चुभते शूल । आ जाओ तुम पास में. हो जाए सब फूल ।। धड़कन पर मेरे रहे , फिर तेरा ही राज । व्याकुल मन कहते किसे... व्याकुल मन कहते किसे , पूछो हमसे आज । जब भी जाता पास में , कहता आती लाज ।। २२/०७/२०२३ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- व्याकुल मन कहते किसे , पूछो हमसे आज । जब भी जाता पास में , कहता आती लाज़ ।। व्याकुल मन कहते किसे.... साँसों में वह घुल रही , थोडा थो
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- व्याकुल मन कहते किसे , पूछो हमसे आज । जब भी जाता पास में , कहता आती लाज़ ।। व्याकुल मन कहते किसे.... साँसों में वह घुल रही , थोडा थोडा रोज । जिससे जीवन में हुआ , देखो मेरे ओज ।। मिलते निशिदिन स्वप्न में , ले बाहों का हार । जाता हूँ मैं भूल फिर , यह प्यारा संसार ।। आज प्रीत के बोल पे , छेड़ रही ऋतु साज ।। व्याकुल मन कहते किसे ... रूप उसी का देखकर , आ जाता है प्यार । उस पर अब यह चाँदनी , करती हमपर वार ।। चल पड़ते हैं यह कदम , करने को मनुहार । नींद नही बोझिल लगे , होते जब दीदार ।। उनके आना की खबर , होती निशिदिन राज़ । व्याकुल मन कहते किसे... रहता है प्यासा जिया , धड़कन है बेचैन । ऐसे उठती है कशक , कैसे समझे बैन ।। बोल सभी मन को चूभे , जैसे चुभते शूल । आ जाओ तुम पास में. हो जाए सब फूल ।। धड़कन पर मेरे रहे , फिर तेरा ही राज । व्याकुल मन कहते किसे... व्याकुल मन कहते किसे , पूछो हमसे आज । जब भी जाता पास में , कहता आती लाज ।। २२/०७/२०२३ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- व्याकुल मन कहते किसे , पूछो हमसे आज । जब भी जाता पास में , कहता आती लाज़ ।। व्याकुल मन कहते किसे.... साँसों में वह घुल रही , थोडा थो