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Titli
क्यो बद्दुआ दू में उस शक्श को जो मुझे मेरी जान से भी प्यारा है रहे सलामत वो और उसका आंगन हमेंशा दिल ने हमेंशा यही तो चाहा है...!!! Titli...💫💫 ©Titli #Apocalypse
Akhilesh Ray
कुछ आपसे कुछ हमसे बहाना बना लेते है वो लोग जो कहीं और ठिकाना बना लेते है ©Akhilesh Ray #Apocalypse
इक _अल्फाज़@airs
दस्तक़ देती हैं हर पल तेरी यादे .. हमसे क़भी खफ़ा नही होती वो.. चैनो सुकूँ से रहती हैं मेरे पास मेरी अमानत बनकर और तुझसे दूर होने के बाद कुछ यूँ होता है कि अंदर की घुटन से दिल और दिमाग इस हद तक तकलीफ़ में आ जाते है कि रोने से भी सुकून नही मिलता क्यूं नहीं मानते और समझते की नहीं रह पाऊंगा न तेरे बगैर क्यूं ज़िद करे बैठे हो ठीक है नहीं समझना नहीं जानना न सही पर खुद से दूर मत कर यूं नजरंदाज न कर... देख मैं बोल नहीं पाता बहुत कुछ बहुत कुछ जता नहीं पाता गलतियां नहीं करना चाहता पर जाने तुझे क्या गलत दिख जाता है माइनस में हो न तुम तो मुझे वो अपना वाला माइनस दे दे ताकि मैं भी बन सकूं शून्य से अलग.. तुझ सा माइनस तभी तो और लडूंगा न तुझसे... खूब सुन लड़ना है लड़ ले डांटना है बोलना है बोल ले पर ये दूर होने वाली सजा मत दे न... वैसे मेरी किस्मत में कभी कुछ अच्छा मिला नहीं और तू मिला भी तो ऐसे की…………… हां तुझे हक है अपनी दुनियां में खुश रहने का मेरा क्या है मेरी तो दुनियां ही तू है... तुझी से सब कुछ है ज़िद नहीं गुज़ारिश है और जो तू नहीं मेरे साथ तो मेरी दुनियां लावारिस है ओ सुन ले न मान जा मत कर दूर... @IMYTMI@ दो चार मुक्का मुझे लगा मैं नहीं समझ रहा तेरी बात या जलील कर सबके सामने तब शायद समझूं क्यूंकि मेरे पास तेरे अलावा कुछ नहीं है या शायद तू भी नहीं है और मेरी तो वैसे भी कोई इज़्जत नहीं.. न कोई मान है कहीं लेकिन फ़िर भी गुजारिश है की दूर मत कर खुद से... 🙏🙏😔😔🥺🥺MISS YOU TOOOOO MUCH I ©इक _अल्फाज़@airs #Apocalypse
qais majaz,pheonix
Ye dard hai kayamat hai Nafrat hai ya zulm ki himakat hai Ye zeest hai ya kuch or Mai kuch samajh nahi aya Ya mujhe samajhna nhi aya Kher jo aya so aya Tujh se juda ho kar meri mehfil me kher h k gair aya Aag ka samandar tha har su Aur mai 7 smndar tair aaya Kabhi ulfat bhi hmi se thi use Acha hua jo aaj bair aya Ek haseen mere ghar k aaspas rehti hai Badi mansookh h vo nazar jo dil k paas rehti hai Ye intezar hai kiska Vo gul r rukh kon hai Vo kyo darakht k paas bethi hai Tum mujhe payal na dikhaya kro Fakat is tarh khwabo na behlaya karo Khwab jo hakeekat karna ho to Akeekat me hi kareeb aya karo Jhuthe vado se na behlaya karp Kachche dhago de aseer na banaaya karo Gar hai zara si ulfat to Rah e ishq me qadam Mere sath badhaya karo Abru na chadhaya karo Urdu na samjhya karo Mujhe hai parhez Is haseen shararat se Ishq me bagavat na sikhaya karo Jhumka na khankaya karo Zulfe na legraya karo Deewano ki eed ho jaye jane ja Bas tum chhat pe aa jaya karo ©qais majaz, master #Apocalypse
ayushigupta
मुक्तक स्वप्न हमने सजाये तुम्हारे लिए। ग़म में भी मुस्कुराये तुम्हारे लिए। मेरे अश्को का कोई फ़र्क़ तुम पे नहीं, फ़िर भी आँसू बहाये तुम्हारे लिए। ©ayushigupta #Apocalypse
Pallavi pandey
परदेश जाते वक्त मां सहेजने लगती है मेरा जरूरी सामान , मेरे खाने की चिंता में बांधने लगती है अचार, पापड़, घी, मसाले, दाल,चावल की छोटी , बड़ी पोटली ... मैं कहती हूं परदेश में भी मिलती है ये सारी चीज़े , पर जानती हूं नहीं होता उनमें मां के हाथ का स्वाद . इन पोटलियों में वो बांधती है सामान के साथ ढेर सारा प्यार जीवन के फीकेपन में स्वाद , आज दाल में जायका कम है परदेश में बैठी तुम्हारी बिटिया तुम्हें याद करते हुए खा रही अचार के साथ भात –दाल मम्मी ! मेरी तुम्हारे होने से ही है जीवन में स्वाद.... © Pallavi pandey #Apocalypse
Sameer Kaul 'Sagar'
मंज़िलों से कह दो मेरी राह तकना छोड़ें, चराग़ों को बुझने की इजाज़त चाहे दे दो । कोह-ए-गिराँ से कह दो रोक लें चाहे रस्ता, शजरों से कह दो साया सर से तुम हटा दो । ख़्वाबों के टूट जाएँ मेरी आँखों से सारे रिश्ते, जिसको भी हो ज़रुरत मेरी नींदें उधार दे दो । ना पुकारे अब, किसी दीवार-ओ-दर से कोई, मेरे ही घर में मुझको क़ैद-ए-दर-ओ-बाम दे दो । बिछड़ा जो हमसफ़र, बे-ख़्वाहिश हो गए हम भी, उम्मीदों को चाहे ना-उम्मीदी का मोड़ दे दो । ना रहा वो जो मेरा, क्यों कर मैं रहूँ किसी का, महफिलें उसको हों सलामत, मुझे कुंज-ए-लहद दे दो । कोह-ए-गिराँ ( पर्वत ) शजरों ( पेड़ों ) दर-ओ-दीवार ( दीवारों और दरवाजों ) क़ैद-ए-दर-ओ-बाम ( दरवाजे और छत का कारावास ) कुंज-ए-लहद ( कब्र का कोना ) ©Sameer Kaul 'Sagar' #Apocalypse
Kumar Dinesh
जग न बोले तो भला,मेरी बला से तुम न बोले तो लगा,पतझर सा जग हर दिशा रंगीन, मौसम फाग वाला आचरण डूबे हुए, अनुराग वाला.. स्वर लहरियां नेह के वातावरण की उर व्यथाओं की व्यथा के त्याग वाला ... यदि न पहुंची प्यार की मधु गंध तुम तक व्यर्थ है मेरे लिए त्यौहार सा जग... जग न बोले तो भला,मेरी बला से .... एक बादल सा कहीं ज्यों फूटता हो, ज्यों कहीं कोई स्वजन फिर रूठता हो.. छूटता हो प्यार का पल्लू कहीं पर, या कहीं अनुबंध कोई टूटता हो... तुम कहो कुछ तो हो ध्वनित संसार ये चुप रहो तो शोकमय उदगार सा जग... जग न बोले तो भला मेरी बला से तुम न बोले तो लगा पतझर सा जग.. ©Kumar Dinesh #Apocalypse
UNCLE彡RAVAN
तुम पढ़ना चाहो तो, तुम ही हमारी शायरी का किताब हो, तुम इजाज़त दो तो, तुम ही हमारी मोहब्बत का किस्सा हो, तुम अपनो में गिनों तो, तुम ही हमारे अपनो में हिसाब हो, तुम साथ निभाओं तो, तुम ही हमारी जिंदगी का हिस्सा हो...!! ©UNCLE彡RAVAN #Apocalypse
Sameer Kaul 'Sagar'
तेरे हिस्से में आईं जहां भर की खुशियां तमाम, हमारे हिस्से तो फ़क़त ज़माने के गम आये हैं। तही दस्त नहीं लौटता तेरे दर से कोई फकीर, सो तुमसे तुम्ही को पाने हम, सहर-ए-दम आये हैं। तेरे अल्फ़ाज़ों के तीरों ने यूं ज़ख्मी किया हमें, इसलिए अपनी आशनाई में खम-दर-खम आये हैं। बर्ग-ए-खिजां ने टूटते ही चूमा जो फ़र्श-ए-हज़ीं, तुमसे बिछड़ते ही हम भी आगोश-ए-ग़म आये हैं। खूब सजीं है मेरे शहर में आज महफिलें तेरी, तभी हमारी मय्यत पे अहल-ए-वफ़ा कम आये हैं। मुंतज़िर था तेरी दीद को दफन होने से पहले, वक़्त-ए-दफन आये भी तो बे-चश्म-ए-नम आये हैं। तही दस्त : Empty handed सहर-ए-दम : Early in the morning आशनाई : Relationship खम-दर-खम : Twist within twist बर्ग-ए-खिजां : Leaf of autumn फ़र्श-ए-हज़ीं : Mourning ground आगोश-ए-ग़म : Embrace of sadness अहल-ए-वफ़ा : Loyalists मुंतज़र : Expecting दीद : Seeing बे-चश्म-ए-नम : without tears in eyes ©Sameer Kaul 'Sagar' #Apocalypse