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Nsjsbaro
White घर के बाहर दिमाग लेकर जाओ ख्यींकि दुनिया एक बाजार है,औय घर के अन्दर सेर्प दिल लेकर जाओ ख्यींकि यहां एक परिवार है ©Nsjsbaro #घर के बाहार
#घर के बाहार
read moreRadhe Radhe
तुम पापा जैसे ध्यान तो रखोगे ना तुम मां जैसे प्यार तो करोगे ना तुम भाई की तरह रक्षक तो बनोगे ना क्योंकि सब कुछ छोड़ के आ रही मेरे घर जैसा प्रेम तुम मुझे करोगे ना जय श्री राधे ©Radhe Radhe घर के जैसे प्रेम
घर के जैसे प्रेम
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी खिड़कियों पर भी सूनापन है गलिया वीरान है चाँद हमारा बाजारों में दिखता खुला खुला हमारा दीदार है किस्से कहानी कौन गढ़े अब मोहल्ले रिश्तेदार भी अनजान है मिली आजादी जब से खुले प्यार की तब से साला करेज ही बंद हो गया इस पर दाग लगाना और बदनाम का प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #love_shayari चाँद हमारा बाजारों में दिखता
#love_shayari चाँद हमारा बाजारों में दिखता
read moreशुभम मिश्र बेलौरा
White घर के कोने कोने में ,मोबाइल सब पर हावी है, न ही अंकुश रहा किसी पर,और न कोई चाभी है। शर्म हया की बात न करिये,आधुनिकता यूं आई है, बेटे संग रोमांस दिखाकर मम्मी रील बनाई है। कांट्रैक्ट में बंधे दिख रहे सम्बन्धों के तार, घरवालों में खत्म हो रहा अपनापन और प्यार, बचा लो अपना अब परिवार-2 ©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night घर
#good_night घर
read moreअनिल कसेर "उजाला"
White प्यार में जीना और मर जाना है, जग में रंग प्रेम का भर जाना है। निकले हैं 'उजाला' हम कमाने को, लौट कर फिर हमें तो घर जाना है। ©अनिल कसेर "उजाला" घर जाना है।
घर जाना है।
read moreF M POETRY
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset दिल न बस में अगर हो तो मैं क्या करूँ.. सामने तेरा घर हो तो मैं क्या करूँ.. ©F M POETRY #सामने तेरा घर...
#सामने तेरा घर...
read moreSatish Kumar Meena
जिनके घर शीशे के होते हैं जिनके घर शीशे के होते हैं उनके दिल भी शीशे के ही होते हैं जो छोटे से कंकर की आवाज से ही चटक जाया करते हैं। ©Satish Kumar Meena जिनके घर शीशे के
जिनके घर शीशे के
read moreHarish Prajapati
Unsplash हमारा अधिकार हमारा कर्तव्य ©Harish Prajapati #leafbook हमारा अधिकार
#leafbook हमारा अधिकार
read moreDeepali Singh Chauhan
Unsplash केंद्रीय विद्यालय संगठन का सफ़र 15 दिसंबर 1963 में हुआ था गठन, सेंट्रल स्कूल के नाम से शुरू हुआ था संगठन। 20 रेजिमेंटल विद्यालय बने थे देने को शिक्षा, उनके बच्चों को जो करते हैं देश की सुरक्षा। शिक्षा मंत्रालय की और से देश को मिला वरदान था, 1965 को संगठन को मिला नया नाम था। ज्ञान की रोशनी लेकर फैलाया उजियारा, देश से विदेश तक बढ़ा संगठन हमारा। देश को 1,253 विद्यालयों की मिली हुई है सौगात, जहां ज्ञान विज्ञान से चमकता भविष्य प्रभात । विदेश में विद्यालय हैं काठमांडू, मॉस्को और तेहरान में, केंद्रीय विद्यालय संगठन सर्वोपरि संगठन है ज्ञान में। चलो बात करते हैं संगठन के मिशन की, 'तत् त्वं पूषन् अपावृणु' ध्येय लेकर संगठन के विजन की। विद्यालयी शिक्षा को उत्कृष्टता के शिखर पर पहुंचाना है, शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग और नवाचार को बढ़ाना है। राष्ट्रीय एकता और भारतीयता की भावना को विकसित करना है , छात्रों की प्रतिभा, उत्साह और रचनात्मकता को पोषित करना है। तमसो मा ज्योतिर्गमय के साथ तक्षशिला और नालंदा का इतिहास दोहराना है, भारत का स्वर्णिम गौरव केंद्रीय विद्यालय को लाना है। आओ इस 62वें स्थापना दिवस पर हम करते हैं ये प्रण, शिक्षा, ज्ञान – विज्ञान से उजला हो भारत का कण कण। ©Deepali Singh Chauhan #Book केंद्रीय विद्यालय संगठन
#Book केंद्रीय विद्यालय संगठन
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