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shubham singh shekhawat
White श्री गणेशाय नमो नमः ©shubham singh shekhawat जय श्री गणेश
Godambari Negi
स्वार्थ के लिए वे सदा, हाथ हैं जोड़ते। है काम जब निकल गया, बाद मुख मोड़ते। सालों तलक भी उनके , दर्शन होते नहीं। निज हित का कभी कोई, अवसर न छोड़ते। ©Godambari Negi #नेता जी
Ganesh joshi
Author Rupesh Singh
गणेश व़ंदना गजवदन गनविनायक जी तुमको नमन् गौरी सुत, भोले शंकर जी तुमको नमन् मुसक वाहन है जिनका है उनको नमन् कार्तिकेय जी को है मेरा सादर नमन् गजवदन गनविनायक जी तुमको नमन् वन्दना है प्रथम जिनकी उनको नमन् रिघ्दि, सिध्दि के दाता जी तुमको नमन् गजवदन गनविनायक जी तुमको नमन ।। ©Rupesh Kumar Singh #retro #गणेश वंदना #रुपेश सिंह
Deepa Didi Prajapati
प्रत्येक जाति, समुदाय को हौसला है टिकट लेकर विजेता, नेता बनने का, लेकिन केवल धनोपार्जन हेतु क्योंकि सामर्थ्यवान होकर भी किसी दुखी, पीड़ित का दर्द बांटने का हौसला उनमें नहीं। (पहले हमें जिताओ फिर मदद पाओ) ©Deepa Didi Prajapati #नेता
Knowledge Fattah
नेता को जानवर नहीं बनना चाहिए जिस खेत को भी हरा देखा घास चुगने लगे नेता को अपनी पार्टी याद रहना चाहिए और अपने बादे भी जो चुनाव के समय जनता से करते हैं ©Muzaffar Ali official (A+A) मक्कार नेता जी
सत्यमेव जयते
शिव जी और पार्वती जी ने एक दिन विचार किया कि अब बच्चों का विवाह करना चाहिए। कार्तिकेय स्वामी और गणेश जी से कहा कि जो इस पूरे संसार का चक्कर लगाकर पहले लौट आएगा, उसका विवाह पहले कराएंगे। कार्तिकेय स्वामी तो अपने वाहन मयूर यानी मोर पर बैठकर उड़ गए। गणेश जी का वाहन चूहा है तो उन्हें अपना दिमाग दौड़ाया। गणेश जी ने तुरंत ही माता-पिता यानी शिव-पार्वती की परिक्रमा कर ली और कहा कि मेरे तो आप दोनों ही पूरा संसार हैं। ये बात सुनकर शिव जी और पार्वती जी बहुत प्रसन्न हो गए। शिव जी ने गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दे दिया। कार्तिकेय स्वामी संसार की परिक्रमा करके आए तो उन्हें थोड़ा ज्यादा समय लग गया। वापस लौटकर कार्तिकेय स्वामी ने देखा कि गणेश का विवाह हो गया है। पूरी बात मालूम हुई तो कार्तिकेय स्वामी नाराज हो गए। नाराज होकर कार्तिकेय स्वामी क्रोंच पर्वत पर चले गए। ये क्रोंच पर्वत आज दक्षिण भारत में कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर है। इसे श्रीपर्वत भी कहते हैं। माता-पिता ने कार्तिकेय स्वामी को मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन कार्तिकेय का गुस्सा खत्म नहीं हुआ। जब बहुत कोशिशों के बाद भी शिव-पार्वती कार्तिकेय स्वामी को मना नहीं पाए तो उन्होंने तय किया कि अब से वे हर माह की अमावस्या पर शिव जी और पूर्णिमा पर पार्वती जी कार्तिकेय से मिलने क्रोंच पर्वत पर जाएंगी। इसलिए श्रीपर्वत के मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में शिव जी और पार्वती जी, इन दोनों की ज्योतियां हैं। मल्लिका यानी पार्वती और अर्जुन यानी शिव जी। इस कहानी का संदेश यह है कि माता-पिता अपनी नाराज संतान को मनाने के लिए पूरी कोशिश करते हैं। बच्चों को भी अपने माता-पिता की भावना का ध्यान रखना चाहिए। बच्चे अलग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते हैं तो माता-पिता को ही उन्हें थोड़ा प्रेम से समझाना चाहिए। ©Kumar Vinod गणेश का विवाह हो