Find the Latest Status about कात्यायनी मां की कथा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कात्यायनी मां की कथा.
Suresh Kumar
मंत्र : ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥ प्रार्थना चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥ स्तुति या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ©Suresh Kumar #मां कात्यायनी 🌺🙏🏻
Vivek prajapati
🌹🌹Hello friends 🌹🌹 कैसे हैं, आप सब लोग अच्छे ही होंगे, कुछ खुशमिजाज जिंदगी जीवन व्यतीत कर रहे होंगे। अपने घरों में.... "अश्विन शुक्ल पक्ष षष्ठी है, आज दुर्गा के छठे स्वरूप के रूप में कात्यायनी की पूजा व उपासना की जाती है । ऋषि कात्यायन ने कठोर तपस्या कर मां से उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान मांगा, मां परम्बा ने उनकी इच्छा पूर्ण की और पुत्री के रूप में जन्म लिया इसलिए कात्यायनी कहलायीं । ऐसा है स्वरुप: चार भुजाधारी माता सिंह पर सवार हैं, और उनके एक हाथ में तलवार और एक हाथ में कमल का पुष्प है तथा अन्य दो हाथ वर एवं अभय मुद्रा में है। धन्यवाद आप सभी का 🌹🌹🌹 विवेक🌹🌹🌹 #नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी
Deep Gandhi
..मां कात्यायनी मंत्र.. ॐ देवी कात्यायन्यै नम:॥ चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥ ©Deep Gandhi मां कात्यायनी मंत्र। #navratri #मंत्र #हिंदी #दुर्गा
Vikas Sharma Shivaaya'
नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, मां कात्यायनी मां दुर्गा का ज्वलंत स्वरूप हैं- मां कात्यायनी की पूजा विधि अनुसार करने से शक्ति, सफलता, प्रसिद्धि का वरदान प्राप्त होता है। मां कात्यायनी बीज मंत्र:क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नमः मां कात्यायनी के मंत्र: 1. ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।। 2. एत्तते वदनम साओमय्म लोचन त्रय भूषितम। पातु न: सर्वभितिभ्य, कात्यायनी नमोस्तुते।। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, मां कात्यायनी मां दुर्गा का ज्वलंत स्वरूप हैं- मां कात्यायनी की पूजा विधि अनुसार करन
Anchor Chetna Malviya
J.P. BABBU
कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।। नवरात्र के छठे दिन देवी के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा क
@nil J@in R@J
#जय मां शैलपुत्री🚩 मां शैलपुत्री - पहले नवरात्र की व्रत कथा एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया। इसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ-भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया, किन्तु शंकरजी को उन्होंने इस यज्ञ में निमंत्रित नहीं किया। सती ने जब सुना कि उनके पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं, तब वहाँ जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा। अपनी यह इच्छा उन्होंने शंकरजी को बताई। सारी बातों पर विचार करने के बाद उन्होंने कहा- प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं। अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है। उनके यज्ञ-भाग भी उन्हें समर्पित किए हैं, किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। कोई सूचना तक नहीं भेजी है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहाँ जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।' शंकरजी के इस उपदेश से सती का प्रबोध नहीं हुआ। पिता का यज्ञ देखने, वहाँ जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकरजी ने उन्हें वहाँ जाने की अनुमति दे दी। सती ने पिता के घर पहुँचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम के साथ बातचीत नहीं कर रहा है। सारे लोग मुँह फेरे हुए हैं। केवल उनकी माता ने स्नेह से उन्हें गले लगाया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव भरे हुए थे। परिजनों के इस व्यवहार से उनके मन को बहुत क्लेश पहुँचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहाँ चतुर्दिक भगवान शंकरजी के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का हृदय क्षोभ, ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा भगवान शंकरजी की बात न मान, यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है। वे अपने पति भगवान शंकर के इस अपमान को सह न सकीं। उन्होंने अपने उस रूप को तत्क्षण वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। वज्रपात के समान इस दारुण-दुःखद घटना को सुनकर शंकरजी ने क्रुद्ध होअपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया। सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वे 'शैलपुत्री' नाम से विख्यात हुर्ईं। पार्वती, हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था #NojotoQuote जय माता दी मां शैलपुत्री प्रथम व्रत की कथा
Mamta kumari
महर्षि कात्यायन ने तप किया भारी। मां दुर्गे प्रसन्न हो पुत्री कात्यायनी बन पधारी। महिषासुर तीनो लोकों में हाहाकार मचाई। तब कात्यायनी मां ने दुष्टों को मार गिराई। तब देवताओं ने मिल मां की आरती गई। जय कात्यायनी मां जय जय कात्यायनी मां। जिस प्रकार देवताओं को संकट से उबारी। उसी प्रकार भक्तो को अभय दान देती महारानी। जय मां कात्यायनी। ©Mamta kumari #navratriमां कात्यायनी।।