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CHOUDHARY HARDIN KUKNA
Anjali Singhal
N S Yadav GoldMine
जो नरश्रेष्ठ अपने शस्त्र के वेग से देवताओं को भी नष्ट कर सकते थे वे ही ये युद्ध में मार डाले गये हैं पढ़िए महाभारत !! 📒📒 महाभारत: स्त्री पर्व पन्चर्विंष अध्याय: श्लोक 32-50 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 जो नरश्रेष्ठ अपने शस्त्र के वेग से देवताओं को भी नष्ट कर सकते थे, वे ही ये युद्ध में मार डाले गये हैं; यह काल का उलट-फेर तो देखो। माधव। निश्चय ही दैव के लिये कोई भी कार्य अधिक कठिन नहीं है; क्योंकि उसने क्षत्रियों द्वारा ही इन शूरवीर क्षत्रिय षिरोमणियों का संहार कर डाला है। 📜 श्रीकृष्ण मेरे वेगशाली पुत्र तो उसी दिन मारे डाले गये, जबकि तुम अपूर्ण मनोरथ होकर पुनः उपप्लव्य को लौट गये थे। मुझे तो शान्तनुनन्दन भीष्म तथा ज्ञानी विदुर ने उसी दिन कह दिया था, कि अब तुम अपने पुत्रों पर स्नेह न करो। है जनार्दन। उन दोनों की यह दृष्टि मिथ्या नहीं हो सकती थी, अतः थोड़े ही समय में मेरे सारे पुत्र युद्ध की आग में जल कर भस्म हो गये। 📜 वैशम्पयानजी कहते हैं- भारत। ऐसा कहकर शोक से मूर्छित हुई गान्धारी धैर्य छोड़कर पृथ्वी पर गिर पड़ीं, दु:ख से उनकी विवेकषक्ति नष्ठ हो गयी। तदन्तर उनके सारे अंगों में क्रोध व्याप्त हो गया। पुत्र शोक में डूब जाने के कारण उनकी सारी इन्द्रियां व्याकुल हो उठीं। 📜 उस समय गान्धारी ने सारा दोष श्रीकृष्ण के ही माथे मढ दिया। गान्धारी ने कहा- श्रीकृष्ण। है जनार्दन। पाण्डव और धृतराष्ट्र के पुत्र आपस में लड़कर भस्म हो गये। तुमने इन्हें नष्ट होते देखकर भी इनकी उपेक्षा कैसे कर दी? महाबाहु मधुसूदन। तुम शक्तिशाली थे। तुम्हारे पास बहुत से सेवक और सैनिक थे। 📜 तुम महान् बल में प्रतिष्ठित थे। दोनों पक्षों से अपनी बात मनवा लेने की सामथ्र्य तुम में मौजूद थी। तुमने वेद-षास्त्रों और महात्माओं की बातें सुनी और जानी थीं। यह सब होते हुए भी तुमने स्वेच्छा से कुरू कुल के नाश की उपेक्षा की- जान-बूझकर इस वंष का विनाश होने दिया। 📜 यह तुम्हारा महान् दोष है, अतः तुम इसका फल प्राप्त करो। चक्र और गदा धारण करने वाले है केशव। मैंने पति की सेवा से कुछ भी तप प्राप्त किया है, उस दुर्लभ तपोबल से तुम्हें शाप दे रही हूं। गोविन्द। 📜 तुमने आपस में मार-काट मचाते हुए कुटुम्बी कौरवों ओर पाण्डवों की उपेक्षा की है; इसलिये तुम अपने भाई-बन्धुओं का भी विनाश कर डालोगे। हैं मधुसूदन। आज से छत्तीसवां वर्ष उपस्थित होने पर तुम्हारे कुटुम्बी, मन्त्री और पुत्र सभी आपस में लड़कर मर जायेंगे। 📜 तुम सबसे अपरिचित और लोगों की आंखों से ओझल होकर अनाथ के समान वन में विचरोगे, और किसी निन्दित उपाय से मृत्यु को प्राप्त होओगे। इन भरतवंषी स्त्रियों के समान तुम्हारे कुल की स्त्रियां भी पुत्रों तथा भाई-बन्धुओं के मारे जाने पर इसी प्रकार सगे-सम्बन्धियों की लाशों पर गिरेगी। 📜 वैशम्पयानजी कहते हैं- राजन। वह घोर वचन सुनकर माहमनस्वी वसुदेव नन्दन श्रीकृष्ण ने कुछ मुस्कराते हुए से गान्धारी से कहा- क्षत्राणी। मैं जानता हूं, यह ऐसा ही होने वाला है। तुम तो किये हुए को ही कह रही हो। इसमें संदेह नहीं कि वृष्णिवंष के यादव देव से ही नष्ट होंगे। 📜 शुभे। वृष्णिकुल का संहार करने वाला मेरे सिवा दूसरा कोई नहीं है। यादव दूसरे मनुष्यों तथा देवताओं और दानवों के लिये भी अवध्य हैं; अतः अपस में ही लड़कर नष्ट होंगे। श्रीकृष्ण के ऐसा कहने पर पाण्डव मन-ही-मन भयभीत हो उठे। उन्हें बड़ा उद्वेग हुआ। ये सब-के-सब अपने जीवन से निराष हो गये। एन एस यादव।। ©N S Yadav GoldMine #traintrack जो नरश्रेष्ठ अपने शस्त्र के वेग से देवताओं को भी नष्ट कर सकते थे वे ही ये युद्ध में मार डाले गये हैं पढ़िए महाभारत !! 📒📒 महाभार
AJAY NAYAK
बाप कभी नही हारता बेटा हार जाता है बाप कभी नहीं हारता उस हारे बेटे के लिए वो हर पल हर स्थिति परिस्थिति से लड़ने के लिए तैयार जो रहता है। विश्वास की अलख को अपने सीने में जलाए रखता है सबको भस्म कर देने वाली सबको राख कर देने वाली अग्नि भी नही जला पाती कभी.............. खुद के लिए जो नही लड़ता है –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #बाप कभी नही हारता बेटा हार जाता है बाप कभी नहीं हारता उस हारे बेटे के लिए वो हर पल हर स्थिति परिस्थिति से लड़ने के लिए
Raj Purohit ji Bateshwar Dham Bah (Agra)
'मनु' poetry -ek-khayaal
priya gupta
priya gupta
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