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Vinod Mishra
Shiv Narayan Saxena
White ईश्वर के इस जग विधान का, ईश्वर भाग्यविधाता है। पाप-पुण्य से अलग आत्मा, ईश्वर रूप कहाता है।। वर के मद में चूर मगर जब, ईश्वर से टकराता है। ईश्वर जिसे दंड देता है, उसको कौन बचाता है।। ©Shiv Narayan Saxena #Sad_Status ईश्वर दंड जिसे देता है hindi poetry
#Sad_Status ईश्वर दंड जिसे देता है hindi poetry
read moreVs Nagerkoti
White अगर आप के पास ढंग से जीने के लिए काफी कुछ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है । तो उसका लुत्फ जरूर उठाएं ना की बेकार की उलझनों को और मोल ले लें। ये जिंदगी आपको ये मौका बार बार नही देगी । क्या पता आप बिना खाए पिए निकल लिए । इसलिए ईश्वर को हर चीज़ के लिए धन्यवाद दें। और उन लोगों के बारे मैं सोचें जिनके सर पर ना तो छत और न हीं मां बाप का शाया । कभी सोच के देखिए की लोग कितनी मुश्किलें झेलते होंगे । ©Vs Nagerkoti #love_shayari आपके पास जीतना भी है क्या कभी आप उसका ढंग से use कर पाए हैं ।
#love_shayari आपके पास जीतना भी है क्या कभी आप उसका ढंग से use कर पाए हैं ।
read moreनवनीत ठाकुर
पहाड़ों से निकली एक धारा खास, सपनों से भरी, एक नई तलाश। पत्थरों से टकराई, राह बनाई, हर दर्द को हँसी में समेट लाई।। हर ठोकर को उसने गले लगाया, रुकना उसकी किस्मत में नहीं था। दर्द से उसने अपना राग बनाया, सच में, वो कभी थमा नहीं था।। जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई, उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।। सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा, उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा। नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ, पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।। फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई, सागर के आँचल में हर याद बस गई। ©नवनीत ठाकुर फना हो कर भी अमर हो गए
फना हो कर भी अमर हो गए
read moreShiv Narayan Saxena
White दुनिया माया जाल है, सच बस है हरि नाम। जिसे समझना ही नहीं, माया ही परिणाम।। 'शौक' पठन-पाठन कहीं, पढ़ने का न उपाय। जिसे समझना ही नहीं, गुरु भी उसे पढ़ाया।। जाग सके यदि सोय तो, कुंभकरण किन कोय। जागे कैसे जान जो, ऑंखें भींचे होय।। जीवन करम का फेर है, सुख-दुख हैं परिणाम। समझे अब हित मानते , बाकी खट्टे आम।। ©Shiv Narayan Saxena #good_night जिसे समझना ही नहीं hindi poetry
#good_night जिसे समझना ही नहीं hindi poetry
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी कानूनों से हाथ बाँधकर अराजक व्यवस्था पनपी है मनमाना रवैया सरकारों का जनता के अरमानों की हदे तोड़ी है अपराध जगत सियासतों के हाथों में जब चाहे तब दंगो और बलबा करके रोटियाँ राजनीतिक सेकी है दूषित चरित्र राजनेताओं के हो तो कैसे सभ्य समाज बन सकता है अपराधबोध जिसे ना हो अपनी करनी का वो देश समाज का किया भला कर सकता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #love_shayari अपराध बोध ना हो जिसे अपनी करनी का
#love_shayari अपराध बोध ना हो जिसे अपनी करनी का
read moreAuthor Munesh sharma 'Nirjhara'
जीतना और हारना नियम जीवन का #Sunday #SundayThoughts #writerscommunity Shayari #muktak #hindishayari
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