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dev soni
कुछ रिश्ते किराये के घर जैसे होते हैं कीतना भी सजा लीजिये कभी अपने नहीं होते । ©dev soni कुछ रिश्ते किराये के घर जैसे होते हैं जितना भी मर्जी हो सजा लीजिये पर कभी अपने नहीं होते । #sunlight
कुछ रिश्ते किराये के घर जैसे होते हैं जितना भी मर्जी हो सजा लीजिये पर कभी अपने नहीं होते । #sunlight
read moreBikash Kumar
White जिंदगी उस मोड पर है की समझ मे नहीं आता की किया करू घर की परेशानी जीना नहीं देता हैं ©Bikash Kumar #Emotional_Shayari घर की जिमेदारी जीना नहीं देता है
#Emotional_Shayari घर की जिमेदारी जीना नहीं देता है #SAD
read moremalay_28
शहर में हैं बसे ये गाँव कितने ही हमारे गाँव में शहरें नहीं होती नमी है आँख की सूखी हुई देखो किनारे रेत पर लहरें नहीं होती. ©malay_28 #रेत पर लहरें नहीं होती
Devesh Dixit
किवाड़ों से झाँकती रौशनी एक जगह थी जो सुनसान, दिखा वहीं पर घर अनजान। घर के आगे खुला इलाका, दिखता था पूरा शमशान। यहाँ सन्नाटा सब ओर था, घर पर नहीं कोई और था। किवाड़ों से झाँकती रौशनी, जिसका नहीं कोई छोर था। धूल - मिट्टी से भरा हुआ था, जालों का भण्डार लगा था। टूटते से किवाड़ थे उसके, कबूतरों का वो घर बना था। फर फर कर उसमें मंडराते, वो गुटर गूँ से शोर मचाते। खाने को नहीं मिले वहाँ कुछ, भोजन लाने को उड़ जाते। कर जतन भोजन को लाते, बड़े मगन से फिर वो खाते। हो जाता जब घर में अँधेरा, बेखौफ हो कर वो सो जाते। क्या आगे मैं हाल बताऊँ, वीराने का दृश्य दिखाऊँ। जाता नहीं कोई वहाँ पर, यही तुमको मैं समझाऊँ। ............................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #किवाड़ों_से_झाँकती_रौशनी #nojotohindi #nojotohindipoetry किवाड़ों से झाँकती रौशनी एक जगह थी जो सुनसान, दिखा वहीं पर घर अनजान। घर के आगे खु
#किवाड़ों_से_झाँकती_रौशनी #nojotohindi #nojotohindipoetry किवाड़ों से झाँकती रौशनी एक जगह थी जो सुनसान, दिखा वहीं पर घर अनजान। घर के आगे खु #Poetry #sandiprohila
read moreAnuj Ray
White कौन नहीं है मजदूर यहां पर" खुशी खुशी लगा के हाजरी दरबार में उसके,शान से सब टेकते हैं मत्था। कोई अकेला ही कतारों में खड़ा दिखता है, किसी के साथ है पूरा जत्था। वो एक ही मालिक है जहांन का सारे, किए हुए हैं सबको काम के बंटवारे। कोई मंत्री है यहां पर तो सिपाह सलार है कोई, दरोगा ओ चौकीदार काम सबके न्यारे। बना के फूल की मलाई भेजता है कोई , चढ़ा के फूल उसके चरणों में कोई आरती उतारे। नजर का धोखा है संसार यहां पर, ऐसा कौन है उसका, जो मजदूर नहीं है यहां पर। ©Anuj Ray # कौन नहीं है मजदूर यहां पर"
# कौन नहीं है मजदूर यहां पर" #मोटिवेशनल
read moreAnand vishnushali
उसकी यादें दिल से जाती नहीं हैं । उसको बुलाने पर वो आती नहीं हैं। राहत साहब का एक शेर झूठा लगता है, वो कभी अपने घर बुलाती नहीं हैं । #कविता
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