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Radhe Radhe
बिती हुई पल और तेरे साथ सीमटा हुआ याद तुझमें ही लिपट गयी खुद को देख ना पाइ उसके बातो में जो खो गयी जय श्री राधे ©Radhe Radhe खो गयी ,,,,,,
खो गयी ,,,,,,
read moreRAVI PRAKASH
White झूठ और चालाकियां रिश्तों में मत चलाया करो नहीं तो एक दिन आप जीवन में अकेले रह जाओगे !! ©RAVI PRAKASH #love_shayari झूठ और चालाकियां रिश्तों में
#love_shayari झूठ और चालाकियां रिश्तों में
read moreseema patidar
वो नही करती ...... अब पहले सी नादानियां लगता है अब संवर गई है पर शायद वो खुद में सिमट गई है .......✍️ ©seema patidar शायद वो खुद में सिमट गई है ....✍️
शायद वो खुद में सिमट गई है ....✍️
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी तालमेल के अभावो में नफरते सिर उठा रही है बहकी बहकी संसद है गुमराह सरकारे आ रही है नही सरोकार जनता से है एजेंडे अपने सत्ता में बने रहने का चला रही है रीत गयी इनकी राष्ट्रभक्ति एक सौ चालीस करोड़ो को तड़पाने की नीति बना रही है चट कर गयी सारा बजट तमाशा धर्मो पर करती है संवेदन हीनता नस इस मे हो जिनके वो हरण साधुत्व का करती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Dullness रीत गयी इनकी राष्ट्रभक्ति
#Dullness रीत गयी इनकी राष्ट्रभक्ति
read morereena sagar
Unsplash मैंने जो देखा वो सच है क्या?ये वही है न ,,लगता तो वो ही है,,, एक बार मुड़ कर देखती हूं !हां! यह वही है, वही है लेकिन ये यहां कैसे? पूछो ,,, नहीं नहीं नहीं ,सफेद शर्ट ,वही गाड़ी पर खड़े होने का अंदाज एक पैर गाड़ी पर दूसरा पैर जमीन पर लेकिन इसने मुझे पहचान क्यों नहीं अब मैं दिखती भी तो वैसी नहीं ,,कहता था_ जब तुम मेरे पास से होकर गुजरोगी तो मेरी मुट्ठी बंद हो जाएगी देखो तो सही एक बार पलट कर,,, ये क्या! आज भी मुट्ठी बंद है ,,, मैं जीत गयी,,, ©reena sagar #library जीत गयी
#library जीत गयी
read moreAjay Tanwar Mehrana
मानने और जानने में फरक होता है , अंधविश्वास भी एक नरक होता है ! हमारे बीच बस अंतर है इतना कि - आप हमें मानते हैं हम तुम्हे जानते है ! पहचानने और चाहने में फरक होता है एक तरफा प्यार भी नरक होता है , हमारी चाहत में बस अंतर है इतना कि हम तुम्हें चाहते बस आप पहचानते हैं ! . ©Ajay Tanwar Mehrana अंतर बीच हमारे poetry on love
अंतर बीच हमारे poetry on love
read moreShiv Narayan Saxena
White अंतर का गृह-युद्ध हमेशा मन से ही तो होता है। मन के ऐसे हालातों का मन खुद आप विजेता है।। मन में ठान लिया सरिता को सागर से मिलवाता है। निरुद्देश्य नालों में बहता जल बस सड़ता जाता है।। ©Shiv Narayan Saxena #GoodMorning अंतर का गृह-युद्ध..... poetry in hindi
#GoodMorning अंतर का गृह-युद्ध..... poetry in hindi
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