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Naushad bin Sharif
Unsplash 1. "दिखावे के शरीफ बनने की आदत नहीं है हमारी" मीनिंग: हमें दिखावे के लिए अच्छा बनने की जरूरत नहीं है, हम सच्चे और ईमानदार हैं। 2. "शब्द चाहे जैसे भी हो खुलेआम लिखते हैं" मीनिंग: हम अपने विचारों को खुलकर और स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं, चाहे हमारे शब्द कितने भी कठोर या सच्चे क्यों न हों। ©Naushad bin Sharif #Booसाथ: 1. "दिखावे के शरीफ बनने की आदत नहीं है हमारी" मीनिंग: हमें दिखावे के लिए अच्छा बनने की जरूरत नहीं है, हम सच्चे और ईमानदार हैं। 2
#Booसाथ: 1. "दिखावे के शरीफ बनने की आदत नहीं है हमारी" मीनिंग: हमें दिखावे के लिए अच्छा बनने की जरूरत नहीं है, हम सच्चे और ईमानदार हैं। 2
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White लोगों के फरेबी चेहरे देख कर, जज़्बातों से रिस रहा हूँ , दिल और दिमाग की इस रस्साकशी में, मैं पिस रहा हूँ ...!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha लोगों के
लोगों के
read moreहिमांशु Kulshreshtha
Unsplash कर के मोहब्बत भरपूर तुमसे .. हिस्से में सिर्फ तेरी बेरुखी के हक़दार हुए .. ख़बर भी ना लगी कब दिल खो गया कब तेरी चाहतों के शिद्दत से तलबगार हुए .. ©हिमांशु Kulshreshtha कर के..
कर के..
read moreGhanshyam Ratre
जंगल उपवन के छेड़छाड़ पेड़ -पौधों की कटाई कर रहें हैं। वन्य प्राणी पशु-पक्षियों का जीवन संकटों से प्रभावित हो रहें हैं।। जंगल में रहने वाले पशु-पक्षियां गांवों- शहरों में आ रहें हैं। खेती-बाड़ी फसल को उजाड़ कर बर्बाद कर रहे हैं।। ©Ghanshyam Ratre जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन
जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन
read moreLove Shayri
नाम और पहचान चाहे छोटी हो पर अपने दम पर होनी चाहिए। ©Love Shayri नाम और पहचान चाहे छोटी हो
नाम और पहचान चाहे छोटी हो
read moreF M POETRY
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset समंदर के किनारे आ के अक्सर बैठ जाता हूँ.. सुना है दिल के दर्द-ओ-ग़म समंदर सोख लेता है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #समंदर के किनारे आ के अक्सर..
#समंदर के किनारे आ के अक्सर..
read moreGhanshyam Ratre
शीत लहरें कोहरे का ठंडा का महिना है । गरम वाले सुती ऊनी वस्त्र लगते सुहाने हैं।। बहुत ठंडा लगता है ठंड से शरीर कांपते हैं। ठंडा में गर्मागर्म खाने के चीजें अच्छे लगते हैं।। ©Ghanshyam Ratre ठंडा के महिने
ठंडा के महिने
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क ओले राशन पानी पर गिराकर महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है मानक सफ़लता के सरकारों के पास है गफलत में हम, दम तोड़े जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
#sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
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