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Varun Savita (वर्ण)
मुहब्बत का अंजाम जानना है, तो उससे पूंछो जो मुहब्बत तो करता है, किन्तु बयाँ करना नहीं जानता। सहना
Shahab
जो कभी बदल नहीं सकता उसे सहना सीखें माफ करना और कुछ बातों को भूलना सीखें पहचान पाने की लालसा ना रखें अपना कर्म करते रहें किसी के काम में तब तक दखल ना दें जब तक पूछा ना जाए ऐसा कोई काम ना करें जिसके लिए बाद में पछतावा हो ईर्ष्या की भावना से बचें और दूसरों के अच्छे कामों की प्रशंसा करें... ©Shahab #सहना
Ahamad naved
सूर्य और पिता की गर्मी गर्मी को सहना सीखो क्यों की जब दोनो डूबते हैं,तो चारो तरफ अंधेरा छा जाता है। ©Ahamad naved सहना सीखो
Raone
मीत मेरे कुछ सहना पड़ता है जो ना चाहो पर करना तो पड़ता है हृदय के उन अरमानों को इच्छाओं को दफनाना पड़ता है कुदरत के क्रूर प्रहारों को कष्टों और विकारों को हृदय में उठते असीम पीड़ाओं को उसे भी सहन करना पड़ता है दर्द को ख़ुद का ढाल बना के ख़ुद से ख़ुद को मरहम लेप लगा के चेहरे पर झूठी कुछ मुस्कान दिखा के सन्मुख सबके हँसना पड़ता है हृदय में जलते शोलों और अंगारों को आंखोँ के पीछे आँसू के बहते फव्वारों को हिम सदिस करना पड़ता है जीवन है तो जीना पड़ता है माँ के कंपित होठों पर झरते अश्कों की बूँदें माँ के गोरे गालों पर जहर सा घूँट पी पीकर के माँ की ख़ातिर मर मर कर भी जीना पड़ता है सपनों को उनके ढाल बनाकर अश्कों को तलवार बनाकर कांटों के पथ पर चलकर आगे तो बढ़ना हीं पड़ता है शिप सी कोमल जान मेरी एक तो ज़ुल्मी है संसार तेरी फ़िर भी कलेजे पर पत्थर को रखकर समाज से हमको हीं लड़ना पड़ता है माना अशुभ की हूँ मर्दन करती व्यथित मन को ख़ुद हीं फुसलाकर मुझको आगे तो चलना पड़ता है कुछ न कुछ तो सबको हीं सहना पड़ता है.....2 राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी ©मेरी दुनियाँ मेरी कवितायेँ सहना पड़ता है
Trilok
समाज में प्रसिद्धि के लिए, कहना सीखना होता है परिवार की समृद्धि के लिए, रहना सीखना होता है खुद की प्रसन्नता के लिए, सहना सीखना होता है। ये कहना रहना सहना, मूल मंत्र है सुखी जीवन के प्रसंग मिलते हैं इनसे, अनेकों अपनेपन के कहने के लिए मधुरता शब्दों में लाना रहने के लिए प्रेम को बढ़ाते जाना सहने के लिए अपने अहं को बिसराना इन गुणों के त्रिपुंज से सुख के विरले पुंज से जिंदगी खुशहाल होती मिलते हैं हर्ष के मोती। इस गुण त्रिवेणी संगम को अपना जाओ सबका साथ, सबका विकास, सबको अपनाओ।। रहना कहना सहना
Parasram Arora
ये किसी ग्रंथ का कोइ उदेश्य भी नहीं हैँ और न ही ये किसी महापुरुष के मुँह से निकला किसी वक्तव्य का कोइ अंश ही हैँ कहने से सहना ज्यादा भली बात हैँ और यही मेरे जीवन की गीता का सारांश भी हैँ कि अपने आंसूओ का निर्माण अपने मन की कार्यशाला मे करने से ज्यादा बेहतर होगा कि उन्हें सही वक़्त के लिए रोक कर रखा जाय कहना और सहना