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Neel
White तू अपना प्रेम जाहिर करे या न करे ये तेरी इच्छा...😊 पर मेरा वजूद तुझमें हर पल झलके ये मेरी इच्छा...💕 🍁🍁🍁 ©Neel मेरी इच्छा 🍁
RAMAKANT VERMA
Mahadev Son
जब कोई दूसरा तकलीफ में... कर्मों की सज़ा! जब खुद तकलीफ में.... प्रभु इच्छा! |वह रे इंसान || ©Mahadev Son जब कोई दूसरा तकलीफ में होता है तो कर्मों की सज़ा! जब खुद तकलीफ में तो प्रभु इच्छा! |वह रे इंसान ||
Internet Jockey
गर इच्छा राम की है तो हिस्से में वनवास भी आयेगा ©Internet Jockey #ramayan गर इच्छा राम की है तो हिस्से में वनवास भी आयेगा ramnavmi quotes
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए सहस्र चंडी यग्न का महत्व हमारे धर्म-ग्रंथों में बताया गया है। इस यग्न को सनातन समाज में देवी माहात्म्यं भी कहा जाता है। सामूहिक लोगों की अलग-अलग इच्छा शक्तियों को इस यज्ञ के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। अगर कोई संगठन अपनी किसी एक इच्छा की पूर्ति या किसी अच्छे कार्य में विजयी होना चाहता है तब यह सहस्र चंडी यग्न बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। असुर और राक्षस लोगों से कलयुग में लोहा लेने के लिए इसका पाठ किया जाता है। 📜 मार्कण्डेय पुराण में सहस्र चंडी यग्न की पूरी विधि बताई गयी है। सहस्र चंडी यग्न में भक्तों को दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं। दस पाँच या सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में शामिल किए जा सकते हैं और एक पंडाल रूपी जगह या मंदिर के आँगन में इसको किया जा सकता है। यह यग्न हर ब्राह्मण या आचार्य नहीं कर सकता है। इसके लिये दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले व मां दुर्गा के अनन्य भक्त जो पूरे नियम का पालन करता हो ऐसा कोई विद्वान एवं पारंगत आचार्य ही करे तो फल की प्राप्ति होती है। विधि विधानों में चूक से मां के कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है इसलिये पूरी सावधानी रखनी होती है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले मंत्रोच्चारण के साथ पूजन एवं पंचोपचार किया जाता है। यग्न में ध्यान लगाने के लिये इस मंत्र को उच्चारित किया जाता है। ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} कई लोग मुझे गिराने में लगे हैं, मेरा चिराग बुझाने में लगें है, वो यह समझ ले में एक सिर्फ कतरा नही हूँ,एक पूरा समुद्र हूँ, डूब गए वो लोग, जो डुबाने में लगे थे, यह सभ सम्भव हुआ भगवान श्री हरि इच्छा से, होना तो वही था, जो मेर श्री कृष्ण जी चाहेगे।। ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} कई लोग मुझे गिराने में लगे हैं, मेरा चिराग बुझाने में लगें है, वो यह समझ ले में एक सिर्फ कतरा नही हूँ,एक
Sethi Ji
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 🌺 जय माता दी 🌺 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 माता रानी दिलों में विश्वास जगाती हैं अपने भक्तों का साहस बढाती हैं दे कर हम सबको अपना आशीर्वाद माता रानी अपने हर भक्त को ख़ास बनाती हैं माँ दुर्गा दुष्टों का संहार करती हैं नेक दिल इंसानों से प्यार करती हैं हम सब निरंतर करते हैं पूजा उनकी नवरात्रोँ में माता हर भक्त को अपने पास बुलाती हैं 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 🌸 चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें 🌸 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 ©Sethi Ji ♥️🌟 Happy Navratri 🌟♥️ चैत्र नवरात्रि और नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें माता रानी आप सबकी हर इच्छा और आप सबका हर सपन
Sangeeta Kalbhor
काळीज तुटता तुटता.. काळीज तुटता तुटता तुटून जातो माणूस का अन् कशासाठी प्रश्नात अडकतो माणूस वहायचे असते आत्मफूल आत्मा नाही सापडत अंधार करुन भवताली अखंड असतो चाचपडत नशीब म्हणून जयाचे लागेबांधे जो जपतो कमनशिबी बनण्याचे खापर तोच पचवतो प्रेम करुनिया वैकुंठी रिक्त ज्याची ओंजळ भाव तयाचे असतात किती किती प्रांजळ हे राम तुम्ही म्हणता मर्यादाचे कर पालन अपनत्व इच्छा मनी अवगुणांचे व्हावे क्षालन कसे आणि कोठून उधार घ्यावयाचे धैर्य जयाच्या मनी सदैव असतच नाही स्थैर्य काळीज असणाऱ्यांचा काळोख दाटून उरतो प्रेम हवे म्हणूनिया प्रेमाचा रोमरोम थरथरतो त्या वेदनेला कुठून यावी ग्लानी शांततेची काळजाला कला अवगत काळीज जोडण्याची..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #hibiscussabdariffa काळीज तुटता तुटता तुटून जातो माणूस का अन् कशासाठी प्रश्नात अडकतो माणूस वहायचे असते आत्मफूल आत्मा नाही सापडत अंधार करुन
Internet Jockey
इच्छा तुम्हें रंग लगाने से ज्यादा तुम्हारे रंग में रंगने की है ©Internet Jockey इच्छा तुम्हें रंग लगाने से ज्यादा तुम्हारे रंग में रंगने की है
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Village Life सन्ध्या छन्द 221 111 22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा ।। साधू कब तक बोले । लोभी मन मत डोले ।। इच्छा जब बढ़ती है । वो तो फिर डसती है ।। हो जीवन फिर बाधा । बोले गिरधर राधा ।। मीठी सुनकर वाणी । दौड़े सब अब प्राणी ।। सोचा नहिँ कुछ आगे । जोड़े मन-मन धागे ।। १४/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सन्ध्या छन्द 221 111 22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा