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Prem_pyare
शब्दों से छुना पड़ता है तुमको अब... तुम तक अब मेरा शब्द पहुंचता ही कहा है।। ©Prem_pyare #BahuBali #निधिवन
स्मृति.... Monika
सुना है आज भी तुम निधिवन में आते हो, रास रचाते हो ............... राधा तुम्हें रिझाती है औ 'तुम राधा को रिझाते हो| वृन्दावन की गलियन में, , यमुना तट औ 'मधुवनमें, . ... प्रेम का पाठ पढ़ाते हो, राधा तुम्हें रिझाती है, औ 'तुम राधा को रिझाते हो || वृंदा के आलिंगन को, वायु के स्पंदन को, औ 'पीले सुरभित चंदन को, तुम ही महकाते हो, राधा तुम्हें रिझाती है औ 'तुम राधा को रिझाते हो||सुना है आज भी तुम निधिवन मेंआते हो , रास रचाते हो ' . #Nojoto #hindi poem #सुना है #आज भी# तुम निधिवन में आते हो
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विधा मुक्तक आता है निशिदिन निधिवन में , लेकिन वह शोर नहीं करता । गोकुल की उन गलियों में अब,क्या वह सुन रास नहीं करता । यह बात आज है जग जाहिर , वह माखन चोर पुराना है- लेकिन भव सागर को कोई , बिन उसके पार नहीं करता ।। ०४/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा मुक्तक आता है निशिदिन निधिवन में , लेकिन वह शोर नहीं करता । गोकुल की उन गलियों में अब,क्या वह सुन रास नहीं करता । यह बात आज है जग
Varsha Sharma
"मेरो वृदांवन" ❤️ मेरो वृदांवन ❤️❤️❤️ हाँ! मुझे वृन्दावन जाना है उस माटी में मिल जाना है उम्र भर के लिए, ए कान्हा! मुझे अब वहीं बस जाना है ए कान्हा मोरे...!
Shravan Goud
मन म्हारो लाग्यो वृन्दावन माही। मेरो वृदांवन ❤️❤️❤️ हाँ! मुझे वृन्दावन जाना है उस माटी में मिल जाना है उम्र भर के लिए, ए कान्हा! मुझे अब वहीं बस जाना है ए कान्हा मोरे...!
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर , दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।। राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे , दोनो की ये प्रीति भली , कभी न बिसारिये ।। रूप ये बदल आये , देख निधिवन आये , मिले कभी समय तो , उधर निहारिये ।। कट जाये जीवन यूँ , राधे-राधे जपते यूँ , शरण बिहारी के यूँ , जीवन गुजारिये ।।१ पटरी की रेल है ये , जीवन का खेल है ये , तेरा मेरा मेल है ये , प्रीति ये बढ़ाइये । चाँद जैसी सूरत है , अजन्ता की मूरत है , सुन चुके आप हैं तो , घुंघट उठाइये ।। नहीं हूर नूर देखो , पीछे हैं लंगूर देखो , जैसे भी हूँ अब मिली , जीवन गुजारिये ।। आई हूँ तू ब्याह कर , नहीं ज्यादा चाह कर , मुझे और नखरे न , आप तो दिखाइये ।।२ २९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर , दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।। राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे
Vedantika
राधिका जिस कान्हा के हृदय में बसे, स्वर बांसुरी के न अब साथ निभाए, उसके अंतस की पीड़ा कौन कहे सुने। कर्तव्यों की भीड़ में जो नितांत एकाकी, उसकी आँखें भी राधा दरस की प्यासी, उसकी विवशता को भी कौन कहे सुने। (अनुशीर्षक में विस्तार से……) राधिका जिस कान्हा के हृदय में बसे, स्वर बांसुरी के न अब साथ निभाए, उसके अंतस की पीड़ा कौन कहे सुने। कर्तव्यों की भीड़ में जो नितांत एकाकी, उस
AK__Alfaaz..
प्रातः भोर भये, सुनहरी साड़ी पहन, नदी.., निकली इठलाते-बलखाते, जरा लजाते- जरा शर्माते, सिंदूरी घूँघट माथे पर ताने, केसरिया किरणों की चूड़ी, हाथों में पहने, सूरज की बिंदिया, ललाट पे लगाके, पाँव मे ढ़लती चाँदनी की, पायल छनका के, Dedicating a #testimonial to गोपिका मेरी लाडली लाडली लाडली "कृष्णिका" प्रातः भोर भये, सुनहरी साड़ी पहन, नदी.., निकली इठलाते-बलखाते, जरा
Unconditiona L💓ve😉
मेरी पायल तरसती है, तेरी मुरली की धुन में, थिरकने को। बजने को। :🌺 मेरी नयन बरसती है, तुझे नेत्र ज्योति में, भरने को। अश्रुपूर्ण निहारने को। :🌺 मेरी ह्रदय मचलती है"कान्हा" एक सिर्फ़ तुझसे, आलिंगन लेने को। तुझमें ही सिमट जाने को। BG::- sonu motu ❤🤗 ________________________ 🌺हरे कृष्ण🌺 पलकों की कोमल टहनी से