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Yogesh Goswami
White न जाने क्यों सारे दर्द अश्क बनकर आ रहे हैं। शायद मेरी डायरी के पन्ने कोई गीत गुनगुना रहे हैं। आते आते रुक जाते हैं लब्ज़ लब पर तेरे लिए। आख़िरी वादा किया था जो वही निभा रहे हैं । ©Yogesh Goswami #SAD शेष कथा फिर कभी
aaj_ki_peshkash
Gurudeen Verma
शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं ---------------------------------------------------------- हाँ, तैयार हूँ मैं, क्योंकि--------------, बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को, जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को, और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ? क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ? क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ? हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक, आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी, निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक, उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से, और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास, मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता, मुझको अब आगे बढ़ना है। और इसीलिए, हाँ, तैयार हूँ मैं , क्योंकि--------------------। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #लेखन
महाराष्ट्राची साहित्यगाथा समूह
Blue Moon nsjsjsjsjsjsjsnsnsnsjsjsjnsjsjsnsnsn ©महाराष्ट्राची साहित्यगाथा समूह आंतरराष्ट्रीय सर्व मराठी भाषिक साहित्यिकांचे ‘ महाराष्ट्राची साहित्यगाथा समूहात ’ सहर्ष स्वागत आहे . ‘ महाराष्ट्राची साहित्यगाथा समूह ’ या
Ankit Upadhyay....
चेहरों के बाजार में आईना भी बेचा गया नजर में आने वालों को नज़रिया भी दिया गया कहानियाँ ईमान की फैली ही नहीं शहर में "अंक" बेईमानियों के प्रसंग से अखबार सजाया गया आसमां बनते-बनते जमीन को कुचला गया चांद -सा रौशन इलाका अंधेरों का होता गया निभाने वाले ईमान पर दाग भी लगाए गए जश्न के माहौल में देश ही बदल गया एक अकेला क्रांति के फिर भी लगाए नारे यहां आँधियों के वार से पेड़ भी लड़ता गया खूब चलते है चाकू कितनों के सीने तलें अखबार के पृष्ठों में देश कहानियाँ पढ़ता गया जनतंत्र करता है शोर रसातल के मेहमान का मोल -तोल करते नहीं है चुनावी-प्रचार का अखबार ही क्या जवाबदेह है? लोकतंत्र के इस विकार का दफ़्तरों में मौन-मुखौटो से दीनों की बात हुई है दीमकों को कागज़ो -सी खुराकी मिल गई है मानवों में दानवों -सा रक्त बह गया है मानो कलमों को कलम ही रहने दो मत प्रलोभन के स्वर को मानो प्रतिवर्ष तन मन की निर्मलता से विवेक,त्याग और कौशलता से फूलों-सा ईमान आता है देश जानूस-सामना के परिवेश में दीमकों का बनता है भेंट ©Ankit Upadhyay.... #traintrack #कविता #भष्टाचार #Corruption #अंक #लेखन #मेरेशब्द #नोजोटो #Nojoto #आलोचक
वंदना ....
दो पुरुषों की प्रेम की कभी चर्चा नहीं सुनी ............युग युग से चलती आई जो प्रथा पर इनकी कभी कथा नहीं सुनी ........... सबको पसंद है अक्स सागर में नूर चांद का पर इनकी पवित्र प्रेम की कभी गाथा नहीं सुनी सागर मंथन में जब चौदा रत्न थे पाये ...........चांद भी आया उन में पर यह बात किसने ........... नहीं छेड़ी पिता पुत्र हो गई जुड़ा पर इनकी पीर नही समझी जब चांद होता है पूरा गगन में ..........सागर भी लहराता है फिर झूम झूम नए बादल ....... नया सावन बरसता है कितना सुंदर प्रेम है इनका पर ये बात , कोई नहीं समझा है दो पुरुषों की प्रेम की कभी चर्चा नहीं सुनी ©वंदना .... #hunarbaaz 🙏🙏🙏 मराठी गानों से प्रेरित #अपनी कलम से ...🤗🤗🙏🙏